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Gaya Sun Temple: यहां भगवान भास्कर तीनों प्रहर के रूप में मौजूद, जानें क्‍या है महिमा

Chhathi Chhath 2023 विष्णुपद क्षेत्र में सूर्यकुंड सरोवर स्थित है. यह सरोवर अति प्राचीन है. लगभग 292 फीट लंबा और 156 फुट चौड़ा यह सरोवर है. इस सरोवर में स्नान से लोगों की बीमारियां दूर होती है. व्याधियों से मुक्ति मिलती है. देशभर के कोने-कोने से श्रद्धालु सूर्यकुंड सरोवर में स्नान करने और सूर्य मंदिर में पूजा करने पहुंचते हैं और अपने कष्टों से छुटकारा पाते हैं.

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Published : Mar 27, 2023, 2:47 PM IST

गया: बिहार के गया में स्थित सूर्य मंदिर देश के अति प्राचीन मंदिरों में से एक है. इस पौराणिक सूर्य मंदिर की काफी महिमा है. यहीं पर सूर्य कुंड सरोवर स्थित है, जहां स्नान से बीमारियां दूर हो जाती है. शरीर निरोग होता है. मंदिर और इस सरोवर की महिमा काफी है. यहां स्नान और पूजन से कई ऋषि-मुनियों को भी व्याधियों से मुक्ति मिली थी. यहां चैती छठ के तीसरे दिन सोमवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. यहां भगवान सूर्य की दक्षिणायन प्रतिमा स्थापित है. अस्ताचलगामी सूर्य को यहां से दिया जाता है अर्घ्य : सदियों से सूर्यकुंड सरोवर में छठ के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. यहां से अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा है. मान्यता है, कि सूर्यकुंड सरोवर में अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद तालाब के समीप ऊपर में स्थित भगवान सूर्य की प्रतिमा का पूजन करने से श्रद्धालु की हर मन्नतें पूरी होती है. हर तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं. यहां की महिमा काफी दूर-दूर तक फैली है. यही वजह है कि यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है. यहां भगवान

पढ़ें-Chaiti Chhath 2023: चैती छठ को लेकर दुकानें सजकर तैयार.. जाने दउरा, सूप और हथिया की कीमतें

अस्ताचलगामी सूर्य को यहां से दिया जाता है अर्घ्य : सदियों से सूर्यकुंड सरोवर में छठ के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. यहां से अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा है. मान्यता है, कि सूर्यकुंड सरोवर में अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद तालाब के समीप ऊपर में स्थित भगवान सूर्य की प्रतिमा का पूजन करने से श्रद्धालु की हर मन्नतें पूरी होती है. हर तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं. यहां की महिमा काफी दूर-दूर तक फैली है. यही वजह है कि यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है.

यहां भगवान भास्कर तीनों प्रहर के रूप में मौजूद : गया में भगवान भास्कर तीनों प्रहर में विराजमान है. संभवत देश का यह पहला स्थान गया है, जहां भगवान भास्कर की प्रतिमा तीनों प्रहर के रूप में मौजूद है. गया के विष्णुपद क्षेत्र में चंद मीटरों की दूरी पर यह तीनों प्रतिमाएं स्थापित है. बताया जाता है, कि पिता महेश्वर में स्थापित भगवान सूर्य की प्रतिमा उदयीमान सूर्य के रूप में जाने जाते हैं. वही ब्राह्मणी घाट में अपराहन के भगवान भास्कर स्थापित हैं. इसे भगवान भास्कर की मध्यकालीन प्रतिमा माना जाता है. यहां भगवान सूर्य सपरिवार मौजूद हैं. वहीं, सूर्यकुंड समीप सूर्य मंदिर में संध्या प्रहर के भगवान भास्कर के रूप में भगवान सूर्य मौजूद हैं.

फिरोज शाह तुगलक ने मानी थी सूर्य कुंड की महिमा : गया के सूर्यकुंड में स्थित भगवान सूर्य की प्रतिमा काफी प्राचीन है. कुछ जानकार बताते हैं, कि मुगल शासकों ने भी इस सूर्य मंदिर की महिमा को माना है. यही वजह है, कि 1372 ईस्वी में जीर्णोद्धार का काम दिल्ली के शासक फिरोज़ शाह तुगलक के शासन के दौरान होने की बात बताई जाती है.

गया: बिहार के गया में स्थित सूर्य मंदिर देश के अति प्राचीन मंदिरों में से एक है. इस पौराणिक सूर्य मंदिर की काफी महिमा है. यहीं पर सूर्य कुंड सरोवर स्थित है, जहां स्नान से बीमारियां दूर हो जाती है. शरीर निरोग होता है. मंदिर और इस सरोवर की महिमा काफी है. यहां स्नान और पूजन से कई ऋषि-मुनियों को भी व्याधियों से मुक्ति मिली थी. यहां चैती छठ के तीसरे दिन सोमवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. यहां भगवान सूर्य की दक्षिणायन प्रतिमा स्थापित है. अस्ताचलगामी सूर्य को यहां से दिया जाता है अर्घ्य : सदियों से सूर्यकुंड सरोवर में छठ के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. यहां से अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा है. मान्यता है, कि सूर्यकुंड सरोवर में अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद तालाब के समीप ऊपर में स्थित भगवान सूर्य की प्रतिमा का पूजन करने से श्रद्धालु की हर मन्नतें पूरी होती है. हर तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं. यहां की महिमा काफी दूर-दूर तक फैली है. यही वजह है कि यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है. यहां भगवान

पढ़ें-Chaiti Chhath 2023: चैती छठ को लेकर दुकानें सजकर तैयार.. जाने दउरा, सूप और हथिया की कीमतें

अस्ताचलगामी सूर्य को यहां से दिया जाता है अर्घ्य : सदियों से सूर्यकुंड सरोवर में छठ के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. यहां से अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्ध्य देने की परंपरा है. मान्यता है, कि सूर्यकुंड सरोवर में अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद तालाब के समीप ऊपर में स्थित भगवान सूर्य की प्रतिमा का पूजन करने से श्रद्धालु की हर मन्नतें पूरी होती है. हर तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं. यहां की महिमा काफी दूर-दूर तक फैली है. यही वजह है कि यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है.

यहां भगवान भास्कर तीनों प्रहर के रूप में मौजूद : गया में भगवान भास्कर तीनों प्रहर में विराजमान है. संभवत देश का यह पहला स्थान गया है, जहां भगवान भास्कर की प्रतिमा तीनों प्रहर के रूप में मौजूद है. गया के विष्णुपद क्षेत्र में चंद मीटरों की दूरी पर यह तीनों प्रतिमाएं स्थापित है. बताया जाता है, कि पिता महेश्वर में स्थापित भगवान सूर्य की प्रतिमा उदयीमान सूर्य के रूप में जाने जाते हैं. वही ब्राह्मणी घाट में अपराहन के भगवान भास्कर स्थापित हैं. इसे भगवान भास्कर की मध्यकालीन प्रतिमा माना जाता है. यहां भगवान सूर्य सपरिवार मौजूद हैं. वहीं, सूर्यकुंड समीप सूर्य मंदिर में संध्या प्रहर के भगवान भास्कर के रूप में भगवान सूर्य मौजूद हैं.

फिरोज शाह तुगलक ने मानी थी सूर्य कुंड की महिमा : गया के सूर्यकुंड में स्थित भगवान सूर्य की प्रतिमा काफी प्राचीन है. कुछ जानकार बताते हैं, कि मुगल शासकों ने भी इस सूर्य मंदिर की महिमा को माना है. यही वजह है, कि 1372 ईस्वी में जीर्णोद्धार का काम दिल्ली के शासक फिरोज़ शाह तुगलक के शासन के दौरान होने की बात बताई जाती है.

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