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जेपीएन अस्पताल को शताब्दी समारोह पर मिली सौगात, इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में है नाम

1901 ई. में 80 बेड के अस्पताल में तब्दील हुआ था.जहां, वार्डों में पुरुष, महिलाओं के लिए इंतजाम किया गया था. इसमें तीर्थ यात्रियों के अलावा सिविलियन का इलाज शुरू किया गया तब से इस अस्पताल का नाम पूरे मगध प्रमंडल में प्रसिद्ध हो गया.

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Published : Jul 5, 2020, 5:14 PM IST

Updated : Jul 5, 2020, 8:20 PM IST

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गया: शहर के गोलपत्थर चौराहा पर स्थित जेपीएन अस्पताल अपना शताब्दी समारोह मना रहा है. पिंडदानियों के लिए शुरू किया गया यह अस्पताल अपने शताब्दी वर्ष के दौरान कोरोना काल में संजीवनी का काम कर रहा है. हालांकि, अस्पताल ने शताब्दी समारोह मनाने के दौरान मरीजों के लिए सुविधाओं को बढ़ा रहा है.

वर्ष 1887 में जब बिहार और पश्चिम बंगाल साथ में थे उस वक्त चिकित्सा के क्षेत्र में गया में एक बड़ी लकीर खींची जा रही थी. शहर में पिलग्रिम नाम से अस्पताल का निर्माण किया गया. अपने स्थापना काल के चंद वर्ष बाद ही अस्पताल ने इतिहास रचा. बंगाल जोन में यह पहला अस्पताल था जहां लीप्रोटोमिक ऑपरेशन शुरू हुआ था. पिलग्रिम अस्पताल का नाम अब जयप्रकाश अस्पताल में तब्दील हो गया है. 133 साल सफलता के साथ पूरा करते ही इतिहास के पन्नों में कई स्वर्णिम अध्याय भी जोड़े हैं.

1887 में हुई थी अस्पताल की स्थापना

सिविल सर्जन डॉ. ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया मोक्ष की नगरी गया में देश के विभिन्न प्रांतों के अलावा विदेशी श्रद्धालु पिंडदान करने आते थे. कई दिनों के धार्मिक अनुष्ठान होने के कारण पिंडदानी अक्सर बीमार पड़ते थे और मुश्किलें आती थी. पिंडदानियों के दिक्कत को देखते हुए वर्ष 1887 में चार बेड के अस्पताल की स्थापना की गई जिसका नाम पिलग्रिम रखा गया था. यह केवल पिंडदानियों के लिए था कुछ साल बाद इसका टेकओवर किया गया. डिस्ट्रिक्ट बोर्ड ने इसे अपने हाथ में ले लिया, डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के अधीन शिक्षा, स्वास्थ्य और निगम होते थे.

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आधुनिक सिटी स्कैन मशीन

अस्पताल में बढ़ाई गई सुविधाएं
सिविल सर्जन ब्रजेश कुमार की पहल के बाद जेपीएन में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की कोशिश की गई है. इसके तहत सिविल सर्जन ने शताब्दी समारोह में कोई विशेष समारोह का आयोजन करने के बजाए मरीजों क के लिए जेपीएन अस्पताल में खून जांच, खून संग्रह केंद्र, एक्स-रे, सीटी स्कैन, टीवी की जांच और महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था की है. अल्प समय में सिविल सर्जन की बड़ी पहल के बाद सारे वार्डो में मरीजों के लिए एसी लगाए गए हैं.

पेश है रिपोर्ट

कोरोना संक्रमण काल में लोगों के लिए बना संजीवनी
अंग्रेजों द्वारा बनाया गया अस्पताल में फिलहाल कोविड-19 के लिए संजीवनी का काम कर रहा है. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोविड-19 के लिए सुरक्षित होने के बाद जेपी अस्पताल पूरे जिले के मरीजों का इलाज चल रहा है. इस अस्पताल में दो वेंटीलेटर हैं जिसे इमरजेंसी वार्ड में लगाया गया है. सिविल सर्जन की मानें तो शायद बिहार के किसी जिले में वेंटिलेटर की सुविधा हो. आज का जेपीएन यानि कल का पिलग्रिम 133 साल पूरा करने के बाद ऐतिहासिक हो चुका है. जेपीएन के शताब्दी समारोह को देख पूरे गयावासी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

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ब्लड संग्रह इकाई

गया: शहर के गोलपत्थर चौराहा पर स्थित जेपीएन अस्पताल अपना शताब्दी समारोह मना रहा है. पिंडदानियों के लिए शुरू किया गया यह अस्पताल अपने शताब्दी वर्ष के दौरान कोरोना काल में संजीवनी का काम कर रहा है. हालांकि, अस्पताल ने शताब्दी समारोह मनाने के दौरान मरीजों के लिए सुविधाओं को बढ़ा रहा है.

वर्ष 1887 में जब बिहार और पश्चिम बंगाल साथ में थे उस वक्त चिकित्सा के क्षेत्र में गया में एक बड़ी लकीर खींची जा रही थी. शहर में पिलग्रिम नाम से अस्पताल का निर्माण किया गया. अपने स्थापना काल के चंद वर्ष बाद ही अस्पताल ने इतिहास रचा. बंगाल जोन में यह पहला अस्पताल था जहां लीप्रोटोमिक ऑपरेशन शुरू हुआ था. पिलग्रिम अस्पताल का नाम अब जयप्रकाश अस्पताल में तब्दील हो गया है. 133 साल सफलता के साथ पूरा करते ही इतिहास के पन्नों में कई स्वर्णिम अध्याय भी जोड़े हैं.

1887 में हुई थी अस्पताल की स्थापना

सिविल सर्जन डॉ. ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया मोक्ष की नगरी गया में देश के विभिन्न प्रांतों के अलावा विदेशी श्रद्धालु पिंडदान करने आते थे. कई दिनों के धार्मिक अनुष्ठान होने के कारण पिंडदानी अक्सर बीमार पड़ते थे और मुश्किलें आती थी. पिंडदानियों के दिक्कत को देखते हुए वर्ष 1887 में चार बेड के अस्पताल की स्थापना की गई जिसका नाम पिलग्रिम रखा गया था. यह केवल पिंडदानियों के लिए था कुछ साल बाद इसका टेकओवर किया गया. डिस्ट्रिक्ट बोर्ड ने इसे अपने हाथ में ले लिया, डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के अधीन शिक्षा, स्वास्थ्य और निगम होते थे.

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आधुनिक सिटी स्कैन मशीन

अस्पताल में बढ़ाई गई सुविधाएं
सिविल सर्जन ब्रजेश कुमार की पहल के बाद जेपीएन में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की कोशिश की गई है. इसके तहत सिविल सर्जन ने शताब्दी समारोह में कोई विशेष समारोह का आयोजन करने के बजाए मरीजों क के लिए जेपीएन अस्पताल में खून जांच, खून संग्रह केंद्र, एक्स-रे, सीटी स्कैन, टीवी की जांच और महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था की है. अल्प समय में सिविल सर्जन की बड़ी पहल के बाद सारे वार्डो में मरीजों के लिए एसी लगाए गए हैं.

पेश है रिपोर्ट

कोरोना संक्रमण काल में लोगों के लिए बना संजीवनी
अंग्रेजों द्वारा बनाया गया अस्पताल में फिलहाल कोविड-19 के लिए संजीवनी का काम कर रहा है. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोविड-19 के लिए सुरक्षित होने के बाद जेपी अस्पताल पूरे जिले के मरीजों का इलाज चल रहा है. इस अस्पताल में दो वेंटीलेटर हैं जिसे इमरजेंसी वार्ड में लगाया गया है. सिविल सर्जन की मानें तो शायद बिहार के किसी जिले में वेंटिलेटर की सुविधा हो. आज का जेपीएन यानि कल का पिलग्रिम 133 साल पूरा करने के बाद ऐतिहासिक हो चुका है. जेपीएन के शताब्दी समारोह को देख पूरे गयावासी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

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ब्लड संग्रह इकाई
Last Updated : Jul 5, 2020, 8:20 PM IST
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