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Gaya News: मधुमक्खी पालन में उपयोग होने वाले वैक्स से बन रहा कैंडल, यूट्यूब से मिला आईडिया

गया में मधुमक्खी पालन में उपयोग होने वाले वैक्स से प्राकृतिक कैंडल बनाई (Candle made from wax used in beekeeping in Gaya)जा रही है. पर्यावरण के दृष्टिकोण से यह महत्वपूर्ण है. मोमबत्ती बनाने वाले युवक ने बताया कि उसे इसका आईडिया यूट्यूब से मिला था. इस मोमबत्ती की भी बाजार में काफी डिमांड है और यह प्रदूषण मुक्त है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Mar 22, 2023, 11:10 PM IST

मधुमक्खी पालन वाले वैक्स से गया में बन रहा कैंडल

गया: बिहार के गया में प्राकृतिक तरीके से कैंडल का निर्माण (candle manufacturing in gaya ) हो रहा है. मधुमक्खी पालन के लिए उपयोग होने वाले बाॅक्स में बेकार हो जाने वाले वैक्स (मोम) से इसका निर्माण किया जा रहा है. यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलता है. जिले के टिकारी का युवक इस तरह का निर्माण कर रहा है. मधुमक्खी पालन में उपयोग होने वाले बॉक्स के बेकार मोम की परत से प्राकृतिक मोमबत्ती तैयार की जा रही है. गया के टिकारी का गौरव कुमार लंबे समय से मधुमक्खी पालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.

ये भी पढ़ेंः गया: प्रवासी मजदूर ले रहे मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग, काम की तलाश में नहीं जाना पड़ेगा बाहर

यूट्यूब देख कर आया आईडिया: गौरव पहले मधुमक्खी पालन कर सिर्फ शहद निकालने का ही व्यवसाय करते थे. लेकिन, अब उनके द्वारा निर्माण किए जा रहे प्राकृतिक कैंडल की भी डिमांड बाजारों में काफी होने लगी है. मोम से कैंडल बनाने वाले युवक गौरव कुमार को यह आइडिया यूट्यूब से आया. मधुमक्खी पालन के बीच इससे जुड़ी और उपयोगिता के संबंध में वह एक दिन यूट्यूब पर सर्च कर रहे थे. इसी क्रम में मोम से मोमबत्ती बनाने का वीडियो देखा. इसके बाद उन्हें मोम से मोमबत्ती बनाने का आईडिया आया और उन्होंने इसका निर्माण करना शुरू कर दिया. फिलहाल में रोजाना सैकड़ों पीस मोमबतियां मोम से तैयार की जा रही है.

चुनाव में थोक संख्या में ले जाते हैं प्रत्याशी: गौरव कुमार बताते हैं कि शुरुआत में इस मोमबत्ती की कीमत ज्यादा थी, लेकिन जब इस धंधे में पूरी तरह से लगे और कीमत को कम किया तो इसकी डिमांड ज्यादा बढ़ गई. फिलहाल में 25 से 50 के बीच मूल्य पर प्रति पीस बेची जा रही है. प्राकृतिक तरीके से बनी मोमबत्ती करीब डेढ से 2 घंटे जलती है. खास बात यह है कि तेज हवाओं में भी यह आसानी से नहीं बुझती. इसकी लौ काफी रोशनी वाली होती है. यह बताते हैं, कि चुनाव के दिनों में मोमबत्ती छाप का चुनाव चिह्न जिस प्रत्याशी को मिलता है. वह थोक तरीके से मोमबत्तियां खरीद लेते हैं. इस तरह उनके द्वारा बनाए जा रहे मोमबत्ती की डिमांड बाजारों में काफी हो रही है.

" पहले मधुमक्खी पालन कर सिर्फ शहद निकालने का ही व्यवसाय करते थे. मधुमक्शी पालन की मोम से मोमबत्ती बनाने का आईडिया यूट्यूब से आया और फिर इसका निर्माण करना शुरू कर दिया.मोम की मोमबत्ती तैयार करने का तरीका काफी आसान है. मोमबत्ती को सुगंधित बना कर भी बेच रहे हैं. बताते हैं कि मधुमक्खी पालन वाले जिस बॉक्स में मधुमक्खियां नहीं आती है या रस देना बंद कर देती है, उस बेकार बॉक्स से मोम की परत को निकाल दिया जाता है और फिर उससे मधुमक्खी के छत्ते को हटाकर साफ कर दिया जाता है. इसके बाद मोम के परत को थोड़ा गर्म करके सीधा कर दिया जाता है और फिर बती रखकर मोमबत्ती की तरह फोल्ड कर दिया जाता है" -गौरव कुमार, मोमबत्ती बनाने वाले व्यवसाई

पर्यावरण के दृष्टिकोण से है महत्वपूर्ण: इस तरह की प्राकृतिक मोमबत्ती पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. इसका उदाहरण दें, तो विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर को प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए इस प्रकार के प्राकृतिक मोमबती का उपयोग बड़ा कदम साबित हो सकता है. फिलहाल में पेट्रोलियम तत्वों से बने मोमबत्तियां यहां जलाई जाती है. ऐसे में मोम की मोमबत्ती इस मंदिर और मंदिर परिसर में उपयोग के लिए भी बड़ा विकल्प बन सकती है. मोम की मोमबत्ती जलाए जाने से पर्यावरण को प्रदूषण का खतरा नहीं होता है. ऐसे में इसका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा सकता है.

पहले सिर्फ शहद का व्यवसाई था, अब कैंडल निर्माण से व्यवसाय बढा: गौरव कुमार बताते हैं कि पहले सिर्फ मधुमक्खी पालन से शहद का ही व्यवसाय था. किंतु आज मोम की मोमबत्ती बनाकर व्यवसाई को और बढ़ाया है. वहीं, मुनाफा एक से दो व्यवसाय होने के बाद काफी बढ़ा है और आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है. वे बताते हैं, कि मोम की मोमबती को बोधगया में बेचने का काम शुरू करेंगे. महाबोधि मंदिर में भी उनकी मोमबतियां सप्लाई हो, इसका भी प्रयास करेंगे. इसके बाद राज्य भर में मोमबत्तियों की मार्केटिंग करेंगे.

बनाई जाती है सुगंधित मोमबत्ती: गौरव कुमार बताते हैं कि मोम की मोमबत्ती तैयार करने का तरीका काफी आसान है. मोमबत्ती को सुगंधित बना कर भी बेच रहे हैं. बताते हैं कि मधुमक्खी पालन वाले जिस बॉक्स में मधुमक्खियां नहीं आती है या रस देना बंद कर देती है, उस बेकार बॉक्स से मोम की परत को निकाल दिया जाता है और फिर उससे मधुमक्खी के छत्ते को हटाकर साफ कर दिया जाता है. इसके बाद मोम के परत को थोड़ा गर्म करके सीधा कर दिया जाता है और फिर बती रखकर मोमबत्ती की तरह फोल्ड कर दिया जाता है. बरसात के दिनों में पानी से खराब हो जाने वाले मधुमक्खी पालन के बॉक्स से भी मोम की परत निकालकर ऐसा किया जाता है. इन मोमबत्तियों में लेमन ग्रास डालकर खुशबूदार भी बनाया जा रहा है. लेमनग्रास डालने के बाद जब यह मोमबत्ती जलाई जाती है, तो खुशबू फैलती है.


मधुमक्खी पालन वाले वैक्स से गया में बन रहा कैंडल

गया: बिहार के गया में प्राकृतिक तरीके से कैंडल का निर्माण (candle manufacturing in gaya ) हो रहा है. मधुमक्खी पालन के लिए उपयोग होने वाले बाॅक्स में बेकार हो जाने वाले वैक्स (मोम) से इसका निर्माण किया जा रहा है. यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलता है. जिले के टिकारी का युवक इस तरह का निर्माण कर रहा है. मधुमक्खी पालन में उपयोग होने वाले बॉक्स के बेकार मोम की परत से प्राकृतिक मोमबत्ती तैयार की जा रही है. गया के टिकारी का गौरव कुमार लंबे समय से मधुमक्खी पालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.

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यूट्यूब देख कर आया आईडिया: गौरव पहले मधुमक्खी पालन कर सिर्फ शहद निकालने का ही व्यवसाय करते थे. लेकिन, अब उनके द्वारा निर्माण किए जा रहे प्राकृतिक कैंडल की भी डिमांड बाजारों में काफी होने लगी है. मोम से कैंडल बनाने वाले युवक गौरव कुमार को यह आइडिया यूट्यूब से आया. मधुमक्खी पालन के बीच इससे जुड़ी और उपयोगिता के संबंध में वह एक दिन यूट्यूब पर सर्च कर रहे थे. इसी क्रम में मोम से मोमबत्ती बनाने का वीडियो देखा. इसके बाद उन्हें मोम से मोमबत्ती बनाने का आईडिया आया और उन्होंने इसका निर्माण करना शुरू कर दिया. फिलहाल में रोजाना सैकड़ों पीस मोमबतियां मोम से तैयार की जा रही है.

चुनाव में थोक संख्या में ले जाते हैं प्रत्याशी: गौरव कुमार बताते हैं कि शुरुआत में इस मोमबत्ती की कीमत ज्यादा थी, लेकिन जब इस धंधे में पूरी तरह से लगे और कीमत को कम किया तो इसकी डिमांड ज्यादा बढ़ गई. फिलहाल में 25 से 50 के बीच मूल्य पर प्रति पीस बेची जा रही है. प्राकृतिक तरीके से बनी मोमबत्ती करीब डेढ से 2 घंटे जलती है. खास बात यह है कि तेज हवाओं में भी यह आसानी से नहीं बुझती. इसकी लौ काफी रोशनी वाली होती है. यह बताते हैं, कि चुनाव के दिनों में मोमबत्ती छाप का चुनाव चिह्न जिस प्रत्याशी को मिलता है. वह थोक तरीके से मोमबत्तियां खरीद लेते हैं. इस तरह उनके द्वारा बनाए जा रहे मोमबत्ती की डिमांड बाजारों में काफी हो रही है.

" पहले मधुमक्खी पालन कर सिर्फ शहद निकालने का ही व्यवसाय करते थे. मधुमक्शी पालन की मोम से मोमबत्ती बनाने का आईडिया यूट्यूब से आया और फिर इसका निर्माण करना शुरू कर दिया.मोम की मोमबत्ती तैयार करने का तरीका काफी आसान है. मोमबत्ती को सुगंधित बना कर भी बेच रहे हैं. बताते हैं कि मधुमक्खी पालन वाले जिस बॉक्स में मधुमक्खियां नहीं आती है या रस देना बंद कर देती है, उस बेकार बॉक्स से मोम की परत को निकाल दिया जाता है और फिर उससे मधुमक्खी के छत्ते को हटाकर साफ कर दिया जाता है. इसके बाद मोम के परत को थोड़ा गर्म करके सीधा कर दिया जाता है और फिर बती रखकर मोमबत्ती की तरह फोल्ड कर दिया जाता है" -गौरव कुमार, मोमबत्ती बनाने वाले व्यवसाई

पर्यावरण के दृष्टिकोण से है महत्वपूर्ण: इस तरह की प्राकृतिक मोमबत्ती पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. इसका उदाहरण दें, तो विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर को प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए इस प्रकार के प्राकृतिक मोमबती का उपयोग बड़ा कदम साबित हो सकता है. फिलहाल में पेट्रोलियम तत्वों से बने मोमबत्तियां यहां जलाई जाती है. ऐसे में मोम की मोमबत्ती इस मंदिर और मंदिर परिसर में उपयोग के लिए भी बड़ा विकल्प बन सकती है. मोम की मोमबत्ती जलाए जाने से पर्यावरण को प्रदूषण का खतरा नहीं होता है. ऐसे में इसका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा सकता है.

पहले सिर्फ शहद का व्यवसाई था, अब कैंडल निर्माण से व्यवसाय बढा: गौरव कुमार बताते हैं कि पहले सिर्फ मधुमक्खी पालन से शहद का ही व्यवसाय था. किंतु आज मोम की मोमबत्ती बनाकर व्यवसाई को और बढ़ाया है. वहीं, मुनाफा एक से दो व्यवसाय होने के बाद काफी बढ़ा है और आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है. वे बताते हैं, कि मोम की मोमबती को बोधगया में बेचने का काम शुरू करेंगे. महाबोधि मंदिर में भी उनकी मोमबतियां सप्लाई हो, इसका भी प्रयास करेंगे. इसके बाद राज्य भर में मोमबत्तियों की मार्केटिंग करेंगे.

बनाई जाती है सुगंधित मोमबत्ती: गौरव कुमार बताते हैं कि मोम की मोमबत्ती तैयार करने का तरीका काफी आसान है. मोमबत्ती को सुगंधित बना कर भी बेच रहे हैं. बताते हैं कि मधुमक्खी पालन वाले जिस बॉक्स में मधुमक्खियां नहीं आती है या रस देना बंद कर देती है, उस बेकार बॉक्स से मोम की परत को निकाल दिया जाता है और फिर उससे मधुमक्खी के छत्ते को हटाकर साफ कर दिया जाता है. इसके बाद मोम के परत को थोड़ा गर्म करके सीधा कर दिया जाता है और फिर बती रखकर मोमबत्ती की तरह फोल्ड कर दिया जाता है. बरसात के दिनों में पानी से खराब हो जाने वाले मधुमक्खी पालन के बॉक्स से भी मोम की परत निकालकर ऐसा किया जाता है. इन मोमबत्तियों में लेमन ग्रास डालकर खुशबूदार भी बनाया जा रहा है. लेमनग्रास डालने के बाद जब यह मोमबत्ती जलाई जाती है, तो खुशबू फैलती है.


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