गया: मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल में कड़ाके की ठंड में मरीज ठिठुरने को मजबूर हैं. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के वार्डों की खिड़कियां वर्षों से टूटी हुई हैं. जिसकी वजह से शीतलहर से मरीज रात में कांपने लगते हैं. और अस्पताल के उपाधीक्षक कह रहे हैं कि मरीजों को ठंड से बचाव के लिए पूरी व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है.
टूटी-फूटी खिड़की मरीजों के लिये मुसीबत
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अलग-अलग वार्डों की टूटी-फूटी खिड़कियां मरीजों के लिए मुसीबत बन गयी है. अस्पतालों में भर्ती मरीजों को एक तो पर्याप्त मात्रा में कंबल नहीं मिल रहा है. ऊपर से टूटी फूटी खिड़कियों से आने वाली ठंडी हवा और कोहरा मरीजों की जान लेने पर तुली है.
मरीजों के साथ बरती जा रही लापरवाही
दरअसल बिहार के गया जिले में सबसे ज्यादा ठंड पड़ती है. अभी के दिनों में ठंड का प्रकोप देखने को मिल रहा है. रात में ठंड का असर इतना रहता है कि मरीज परेशान हो जाते हैं. इस ठंड में मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सर्जरी वार्ड और टीवी वार्ड के मरीज अस्पताल प्रशासन के बदइंतजामी के कारण ठंड से ठिठुर रहे है.
मरीजों ने बयां किया दर्द
जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण शीत लहर में इलाज के लिए आने वाले मरीज और तीमारदार परेशान हैं. भीषण सर्दी शुरू होने के बाद भी अस्पताल में मरीजों की सुविधाओं को लेकर पूरी तरह से लापरवाही बरती जा रही है. सर्जरी वार्ड में भर्ती मरीज ने कहा ठंड से बचाव के लिए एक कंबल दिया गया है. लेकिन खिड़कियों में शीशे नहीं होने के कारण शीतलहर रात से सुबह तक परेशान करती है. ठंड इस कदर हो जाता है कि हमलोग कांपने लगने लगते हैं. हम चाहते हैं कि खिड़कियों में टूटे शीशे को बदलकर नया लगाया जाए.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं अस्पताल के उपाधीक्षक का कहना है कि अस्पताल प्रशासन की तरफ से ठंड से बचाव को लेकर पूरी तैयारी कर ली गयी है. जितने बेड अस्पताल में हैं, उससे अधिक कंबल स्टॉक है. जहां तक कई वार्ड में खिड़कियों में शीशे नहीं हैं. उसकी व्यवस्था कर दी गई है. वार्डों के टूटी-फूटी खिड़कियों की रिपेयरिंग करायी जा रही है. जल्द इसे पूरा कर लिया जाएगा. इतने बड़े महकमें में कही न कही कमियां रह जाती है लेकिन हमलोग मरीजों के हित लिए अलर्ट है. उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होने देंगे.