गया: शहर में अब पक्षियों की चहचहाहट बहुत ही कम सुनने को मिलती है. सुबह से शाम हो जाती है लेकिन आंखों के सामने एक भी चिड़िया नहीं दिखती है. भीषण गर्मी और लू ने पक्षियों के जीवन पर असर डाला है. जानकार कहते हैं भीषण गर्मी में चिड़िया कंक्रीट के जंगल को छोड़कर असली जंगलों में पलायन कर गयी हैं.
आहार श्रृंखला में मनुष्य के साथ पशु-पक्षियों का अहम रोल होता है. लेकिन इस वर्ष की गर्मी आहार श्रृंखला के पिरामिड को भी ध्वस्त करने में लगी है. आलम यह है कि अब गया में छोटे पशु-पक्षी गायब होते जा रहे हैं. सुबह और शाम हजारों की संख्या में दिखने वाले पक्षी शहर में नहीं दिख रहे हैं.
पशु-पक्षियों के लिए कोई इंतजाम नहीं
गर्मी को देखते हुए जिला प्रशासन ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं. पहली बार मौसम को लेकर धारा 144 लागू किया गया है. लेकिन प्रशासन के सारे इंतजाम, नियम-कानून केवल मनुष्यों के जीवन के लिए हैं. पशु-पक्षियों के बचाव के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.
कंक्रीट की जंगलों से परेशान पक्षी
मगध विश्वविद्यालय के जूलॉजि एन्ड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रो. डॉ सरगराज अली ने बताया कि इस गर्मी से इंसान के साथ पक्षियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शहर में गर्मी के तापमान जंगल की तुलना में अधिक रहता है. शहर में गर्मी से बचने के लिए उनके पास आश्रय भी नहीं होते हैं. भीषण गर्मी पड़ते ही अधिकांश पक्षी कंक्रीट के जंगलों को छोड़कर असली जंगल में चले जाते हैं.
बोधगया के जंगलो में पक्षी कर रहे पलायन
प्रो.डॉ.सरगराज अली ने बताया कि पक्षी तब वापस आएंगे जब अच्छी बारिश होगी. अभी सभी पक्षी बोधगया के मोहनपुर जंगल में अपना आश्रय बना रखे होंगे. जंगल में गर्मी होगी पर तापमान शहर की तुलना में कम होगा. डॉक्टर ने सरकार और प्रशासन से मनुष्य के साथ-साथ पक्षियों के लिए भी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम करने की अपील की.