ETV Bharat / state

पक्षियों पर भी दिख रहा हीट वेव का असर, शहरी इलाकों से गायब हुए पक्षी

आहार श्रृंखला में मनुष्य के साथ पशु-पक्षियों का अहम रोल होता है. लेकिन इस वर्ष की गर्मी आहार श्रृंखला के पिरामिड को भी ध्वस्त करने में लगी है. आलम यह है कि अब गया में छोटे पशु-पक्षी गायब होते जा रहे हैं.

पेड़ में नहीं है पक्षी
author img

By

Published : Jun 21, 2019, 2:58 PM IST

गया: शहर में अब पक्षियों की चहचहाहट बहुत ही कम सुनने को मिलती है. सुबह से शाम हो जाती है लेकिन आंखों के सामने एक भी चिड़िया नहीं दिखती है. भीषण गर्मी और लू ने पक्षियों के जीवन पर असर डाला है. जानकार कहते हैं भीषण गर्मी में चिड़िया कंक्रीट के जंगल को छोड़कर असली जंगलों में पलायन कर गयी हैं.

आहार श्रृंखला में मनुष्य के साथ पशु-पक्षियों का अहम रोल होता है. लेकिन इस वर्ष की गर्मी आहार श्रृंखला के पिरामिड को भी ध्वस्त करने में लगी है. आलम यह है कि अब गया में छोटे पशु-पक्षी गायब होते जा रहे हैं. सुबह और शाम हजारों की संख्या में दिखने वाले पक्षी शहर में नहीं दिख रहे हैं.

gaya
पेड़ पर नहीं है पक्षी

पशु-पक्षियों के लिए कोई इंतजाम नहीं
गर्मी को देखते हुए जिला प्रशासन ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं. पहली बार मौसम को लेकर धारा 144 लागू किया गया है. लेकिन प्रशासन के सारे इंतजाम, नियम-कानून केवल मनुष्यों के जीवन के लिए हैं. पशु-पक्षियों के बचाव के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.

कंक्रीट की जंगलों से परेशान पक्षी
मगध विश्वविद्यालय के जूलॉजि एन्ड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रो. डॉ सरगराज अली ने बताया कि इस गर्मी से इंसान के साथ पक्षियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शहर में गर्मी के तापमान जंगल की तुलना में अधिक रहता है. शहर में गर्मी से बचने के लिए उनके पास आश्रय भी नहीं होते हैं. भीषण गर्मी पड़ते ही अधिकांश पक्षी कंक्रीट के जंगलों को छोड़कर असली जंगल में चले जाते हैं.

पक्षियों का गायब होना मनुष्य जीवन के लिए घातक

बोधगया के जंगलो में पक्षी कर रहे पलायन
प्रो.डॉ.सरगराज अली ने बताया कि पक्षी तब वापस आएंगे जब अच्छी बारिश होगी. अभी सभी पक्षी बोधगया के मोहनपुर जंगल में अपना आश्रय बना रखे होंगे. जंगल में गर्मी होगी पर तापमान शहर की तुलना में कम होगा. डॉक्टर ने सरकार और प्रशासन से मनुष्य के साथ-साथ पक्षियों के लिए भी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम करने की अपील की.

गया: शहर में अब पक्षियों की चहचहाहट बहुत ही कम सुनने को मिलती है. सुबह से शाम हो जाती है लेकिन आंखों के सामने एक भी चिड़िया नहीं दिखती है. भीषण गर्मी और लू ने पक्षियों के जीवन पर असर डाला है. जानकार कहते हैं भीषण गर्मी में चिड़िया कंक्रीट के जंगल को छोड़कर असली जंगलों में पलायन कर गयी हैं.

आहार श्रृंखला में मनुष्य के साथ पशु-पक्षियों का अहम रोल होता है. लेकिन इस वर्ष की गर्मी आहार श्रृंखला के पिरामिड को भी ध्वस्त करने में लगी है. आलम यह है कि अब गया में छोटे पशु-पक्षी गायब होते जा रहे हैं. सुबह और शाम हजारों की संख्या में दिखने वाले पक्षी शहर में नहीं दिख रहे हैं.

gaya
पेड़ पर नहीं है पक्षी

पशु-पक्षियों के लिए कोई इंतजाम नहीं
गर्मी को देखते हुए जिला प्रशासन ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं. पहली बार मौसम को लेकर धारा 144 लागू किया गया है. लेकिन प्रशासन के सारे इंतजाम, नियम-कानून केवल मनुष्यों के जीवन के लिए हैं. पशु-पक्षियों के बचाव के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है.

कंक्रीट की जंगलों से परेशान पक्षी
मगध विश्वविद्यालय के जूलॉजि एन्ड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रो. डॉ सरगराज अली ने बताया कि इस गर्मी से इंसान के साथ पक्षियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. शहर में गर्मी के तापमान जंगल की तुलना में अधिक रहता है. शहर में गर्मी से बचने के लिए उनके पास आश्रय भी नहीं होते हैं. भीषण गर्मी पड़ते ही अधिकांश पक्षी कंक्रीट के जंगलों को छोड़कर असली जंगल में चले जाते हैं.

पक्षियों का गायब होना मनुष्य जीवन के लिए घातक

बोधगया के जंगलो में पक्षी कर रहे पलायन
प्रो.डॉ.सरगराज अली ने बताया कि पक्षी तब वापस आएंगे जब अच्छी बारिश होगी. अभी सभी पक्षी बोधगया के मोहनपुर जंगल में अपना आश्रय बना रखे होंगे. जंगल में गर्मी होगी पर तापमान शहर की तुलना में कम होगा. डॉक्टर ने सरकार और प्रशासन से मनुष्य के साथ-साथ पक्षियों के लिए भी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम करने की अपील की.

Intro:Bh_Gaya_City_birds_not_visible_heatstroke_visual1_Byte1_2019_7204414

गया शहर में अब चिड़ियों की चहचहाहट नही सुनाई पड़ रही है। सुबह से शाम तक आंखों के सामने एक चिड़िया भी शहर नही दिखती है। भीषण गर्मी और लू चिड़ियों के जीवन पर असर डाला है। जानकार कहते हैं भीषण गर्मी में चिड़िया कंक्रीट के जंगल को छोड़कर असलियत के जंगल मे पलायन कर गयी हैं।


Body:आहार श्रृंखला में मनुष्य के साथ पशु-पक्षियों का अहम रोल है लेकिन इस वर्ष की गर्मी आहार श्रृंखला के पिरामिड को भी ध्वस्त करने में लगा है। गया शहर से छोटे पशु और पक्षी गयाब होंगे है, सुबह और शाम हजारो की संख्या में दिखने वाला पक्षी शहर में नही दिख रहा है। छोटे छोटे पशु गिलहरी ,गिरगिट , कुत्ता,बिल्ली दिखना भी कम हो गया है। हिटस्ट्रॉक मनुष्य के जीवन के साथ ही पशुओं-पक्षियों पर बुरा असर डाला हैं ।

गर्मी को देखते हुए जिला प्रशासन ने कई एहतियात कदम उठाए हैं , पहली बार मौसम को लेकर धारा 144 लागू किया गया है। प्रशासन की सारी इंतजाम, कानून सिर्फ मनुष्यों के जीवन लिए है। मनुष्य के जीवन चक्र में पशु-पक्षियों का अहम रोल है शासन-प्रशासन और आम लोग ने मनुष्यो की चिंता खूब कर ली लेकिन पशु - पक्षियों चिंता इस भीषण गर्मी में नही किया। लेकिन एक जिम्मेवार चैनल ईटीवी ने पशु-पक्षियों और पर्यावरण का भी चिंता करता है।

शहर से पक्षी कहा गायब हो रहे हैं और क्यों गायब रहे हैं इसका जवाब जाने मगध विश्वविद्यालय के जूलॉजी एन्ड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सरगराज़ अली से मुलाकात किया। प्रोफेसर डॉ.सरगराज़ अली ने बताया इस गर्मी से इंसान के साथ पक्षियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर में गर्मी के तापमान जंगल के अपेक्षा अधिक रहता है। शहर में गर्मी से बचने के लिए उनके पास आश्रय भी नही है । भीषण गर्मी पड़ते ही अधिकांश पक्षी कंक्रीट के जंगल को छोड़कर जंगल मे चले गए है। मगध विश्वविद्यालय के परिसर में हजारो पक्षी रहते थे जो अब एक या दो पंडुक पक्षी दिखता है।
कैंपस में एक पक्षी येलो फूटेड ग्रीन पेगीन नाम का था उस हमलोग शोध कर रहे थे। हिटवेब का असर जब से हुआ वो पक्षी भी नजर नही आ रही हैं। एएमयू का पूरा परिसर पक्षियों के चहचहाहट से गुलजार था आज वो वीरान पड़ा है।

पक्षियों का जाने का वजह ये भी हैं कई छोटे पक्षियों का प्रजनन करने का समय इस वक़्त हैं। इस वक़्त भीषण गर्मी पड़ रही हैं। जिससे उनके प्रजनन में दिक्कत हो रही हो गयी, अंडा सुख जा रहा होगा , अंडे से बच्चे निकल रहे होंगे वो इस गर्मी को सह नही पा रहे होंगे उनकी मृत्यु हो जा रही है। शहर में बड़े तादात में कौआ और कबूतर नजर आता था आज एक भी कौआ नजर नही आ रहा है। पटना और नवादा में हजारो कबूतर के मरने का खबर आयी थी।

पक्षी वापस आएंगे जब अच्छी बारिश हो गयी , अभी वो बोधगया उस तरफ मोहनपुर के जंगल मे अपना आश्रय बना रखे होंगे। जंगल मे गर्मी होगयी पर तापमान कम होगा शहर के तुलना में।

सरकार और प्रशासन मनुष्य जीवन के लिए कई व्यवस्था कर रहा है लेकिन बेजुबान पक्षियों के लिए कुछ नही हो रहा है। जो कि मनुष्य के जीवन से जुड़ा है। अभी से सरकार और प्रशासन को सोचना पड़ेगा इन बेजुबान पक्षियों के लिए। इस वर्ष दो माह के लिए नही दिख रहे हैं भविष्य में ऐसा नही हो पूरे साल नही दिखे। मनुष्य के साथ इनका होना बहुत जरूरी हैं अगर ये मुनष्य के जीवन के साथ नही दिखते है ये घातक होगा।


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.