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Millet House In Gaya: गया में खुला बिहार का पहला मिलेट घर, यहां उपलब्ध हैं मोटे अनाज से बनी वेराइटी

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Published : Feb 6, 2023, 10:10 AM IST

मिलेट हाउस यानी मोटे अनाज का घर. गया में बिहार का पहला मिलेट घर खुला (Bihar first millet house in Gaya ) है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में मिलेट पर चर्चा की थी. आज जब मोटे अनाज भोजन की थाली से दूर हो रहे हैं. वैसी परिस्थिति में स्वस्थ शरीर के लिए मोटे अनाज पर जोर के लिए मिलेट घर जैसी पहल वाकई में सराहनीय है. पढ़ें पूरी खबर..

गया में बिहार का पहला मिलेट हाउस
गया में बिहार का पहला मिलेट हाउस

गया में खुला बिहार का पहला मिलेट हाउस

गया: बिहार के गया में सूबे का पहला 'मिलेट घर' (Millet House In Gaya) खुला है. ग्लोबल वार्मिंग से बचाव, टिकाऊ जिंदगी और स्वस्थ समाज के लिए मिलेट (मोटे अनाज) को काफी उपयोगी माना जाता है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में मिलेट यानी कि मोटे अनाज की चर्चा भी की है, तो इसकी महत्वपूर्णता निश्चित तौर पर बढ़ गई है. वहीं, केंद्र सरकार वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष के रूप में देख रही है. इसी बीच बिहार के गया में पहला मिलेट घर खुला है. यहां कई तरह के मोटे अनाज के उत्पाद और बीज उपलब्ध हैं.

ये भी पढ़ेंः Gaya News: मंदिरों में चढने वाले नारियल की खोपड़ी दे रही रोजगार, महिलाएं वेस्ट से बना रही बेस्ट सामग्री

पुराने कृषि परंपरा का बड़ा हिस्सा थी मिलेट की खेतीः पुराने कृषि परंपरा का एक बड़ा हिस्सा मिलेट (मोटे अनाज) की खेती का हुआ करता था. किंतु बदलते परिवेश में मिलेट की खेती से आम किसान दूर हैं. बड़ी बात यह है, कि मिलेट में वह सब पौष्टिक गुण मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर के अनुकूल हों. पुराने समय में मिलेट यानि मोटे अनाज की खेती में मड़वा, कोदो, कुटकी, कोईनी, सांवा, बाजरा हुआ करते थे. इससे पुराने समय में घर के भोजन में रोटी, चपाती, दलिया आदि बना करती थी. किंतु मोटे अनाज के मामले में बिहार की बात करें, तो भोजन की थाली से लगभग पूरी तरह से दूर हो चुकी हैं.

बिहार का पहला मिलेट घर खुलाः पुरानी कृषि परंपरा को बचाने के लिए गया जिले के कोहवरी में इसकी खेती की जा रही है. फिलहाल, बिहार में राज्य सरकार की ओर से मोटे अनाज को लेकर कोई नई योजना तैयार नहीं की गई है. किंतु इसी बीच गया जिले के सुदूरवर्ती बाराचट्टी प्रखंड के कोहवारी गांव के रहने वाले अनिल कुमार और उनकी पत्नी रेखा देवी ने मिलकर मिलेट घर खोला है.बाराचट्टी में इसे संचालित किया जा रहा है. इस मिलेट घर में मोटे अनाजों के बीज उपलब्ध है.
मिलेट घर में कई तरह की वेराइटियां उपलब्धः मिलेट घर में मोटे अनाज के बीज, मिठाईयां, पीसा हुआ आटा, खाने में उपयोग की जाने वाली विविध सामग्री, मोटे अनाज से बनी मिठाइयां, बर्फी, बिस्किट, पूआ, हलवा आदि उपलब्ध हैं. वहीं इस तरह मिलेट यानि मोटे अनाज की खेती का बड़ा प्रयास कोहवरी में सहोदय ट्रस्ट के माध्यम से अनिल और उसकी पत्नी द्वारा किया जा रहा है.

सेहत के लिए फायदेमंद है मोटे अनाजः मिलेट घर में मोटे अनाज से बने आटा, मिठाई, पूड़ी, बिस्किट, पुआ, निमकी और मिलेट के विविध बीज उपलब्ध है. जैसे-जैसे लोग जागरूक हो रहे हैं. मिलेट यानि मोटे अनाज से बने सामग्री के प्रति लोगों का झुकाव फिर से बढ़ने लगा है. मिलेट में कैल्शियम, आइरन, जस्ता, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन B6 की प्रचुर मात्रा रहती है. मिलेट के सेवन से शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ बनाए रखने में कारगर साबित होते हैं और टिकाऊ जिंदगी प्राप्त होती है.

मिलेट पुराने समय का इंपोर्टेंड अनाजः मिलेट घर के संचालक अनिल कुमार बताते हैं कि मिलेट पहले से इंपोर्टेंड अनाज रहा है. पुराने समय में इसे ज्यादातर किसान उगाते थे. पर्यावरण व मिट्टी के साथ इसका संतुलन है. कम पानी और कम खाद में भी यह उगाया जा सकता है. मिलेट पौष्टिक होते हैं. मोटे अनाज में कोदो, कुटकी, कोईनी, मङुआ, सांवा, बाजरा आदि आते हैं. वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष के रूप में देखा जा रहा है. बजट में भी केंद्रीय वित्त मंत्री ने मिलेट को बढ़ावा देने की बात कही है.

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी होगी दूर: संसद में मोटे अनाज की खेती की शुरुआत पर भी बात की गई है. अनिल ने बताया कि मिलेट की खेती कर हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को कम कर सकते हैं. वहीं, केमिकल मिलावटी खाद्य पदार्थों से बचकर स्वास्थ्य को टिकाऊ बना सकते हैं. पहले हम लोग मड़ुए की रोटी खाते थे. वहीं अन्य मोटे अनाज का सेवन कर भी स्वस्थ रहते थे. किंतु वर्तमान में लोग अब इस पर एकदम से निर्भर नहीं है.

मिलेट से बनते हैं स्वादिष्ट हलवा, बर्फी और लड्डूः अनिल का कहना है कि यदि मिलेट पर लोग निर्भर हों, तो शरीर को निश्चित तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ रखा जा सकता है. यदि हम मिलेट की रोटी स्वाद को लेकर नहीं खाते हैं, तो इससे स्वादिष्ट बने हलवा, बर्फी, लड्डू, ठेकुआ, पूड़ी, पुआ, निमकी आदि बनाकर लगातार सेवन कर सकते है. यह जितना खाएंगे, उतना ही मजबूत रहेंगे. मिलेट को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने की जरूरत है. गया के बाराचट्टी में मिलेट घर हमारे द्वारा शुरू किया गया है.

"मिलेट की खेती कर हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को कम कर सकते हैं. वहीं, केमिकल मिलावटी खाद्य पदार्थों से बचकर स्वास्थ्य को टिकाऊ बना सकते हैं. पहले हम लोग मड़ुए की रोटी खाते थे. वहीं अन्य मोटे अनाज का सेवन कर भी स्वस्थ रहते थे. हम मिलेट की रोटी स्वाद को लेकर नहीं खाते हैं, तो इससे स्वादिष्ट बने हलवा, बर्फी, लड्डू, ठेकुआ, पूड़ी, पुआ, निमकी आदि बनाकर लगातार सेवन कर सकते है. यह जितना खाएंगे, उतना ही मजबूत रहेंगे. मिलेट को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने की जरूरत है"- अनिल कुमार, मिलेट घर के संचालक

ओडिशा की सरकार ने राशन में किया है शामिलः वहीं रेखा देवी ने बताया कि कोहवरी में खेतों में मोटे अनाज उगाते हैं और बाराचटटी में मिलेट घर खोला गया है. सरकार इसके महत्व को समझते हुए प्रोत्साहन करने में जुटी है. राशन में भी शामिल करने की तैयारी है. रेखा देवी के मुताबिक ओड़िशा की सरकार ने राशन में मोटे अनाज को शामिल किया है. बिहार में यदि राशन में मोटे अनाज को शामिल किया जाता है, तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह मील का पत्थर साबित होगा. वहीं ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी कम की जा सकेगी. वहीं, कम पूंजी और कम दाम में मिलेट यानि मोटे अनाज लोगों के टिकाऊ स्वस्थ जीवन का बड़ा आधार बन जाएगा.


"कोहवरी में खेतों में मोटे अनाज उगाते हैं और बाराचटटी में मिलेट घर खोला गया है. सरकार इसके महत्व को समझते हुए प्रोत्साहन करने में जुटी है. राशन में भी शामिल करने की तैयारी है. ओड़िशा की सरकार ने राशन में मोटे अनाज को शामिल किया है. बिहार में यदि राशन में मोटे अनाज को शामिल किया जाता है, तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह मील का पत्थर साबित होगा"- रेखा देवी, अनिल कुमार की पत्नी

गया में खुला बिहार का पहला मिलेट हाउस

गया: बिहार के गया में सूबे का पहला 'मिलेट घर' (Millet House In Gaya) खुला है. ग्लोबल वार्मिंग से बचाव, टिकाऊ जिंदगी और स्वस्थ समाज के लिए मिलेट (मोटे अनाज) को काफी उपयोगी माना जाता है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में मिलेट यानी कि मोटे अनाज की चर्चा भी की है, तो इसकी महत्वपूर्णता निश्चित तौर पर बढ़ गई है. वहीं, केंद्र सरकार वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष के रूप में देख रही है. इसी बीच बिहार के गया में पहला मिलेट घर खुला है. यहां कई तरह के मोटे अनाज के उत्पाद और बीज उपलब्ध हैं.

ये भी पढ़ेंः Gaya News: मंदिरों में चढने वाले नारियल की खोपड़ी दे रही रोजगार, महिलाएं वेस्ट से बना रही बेस्ट सामग्री

पुराने कृषि परंपरा का बड़ा हिस्सा थी मिलेट की खेतीः पुराने कृषि परंपरा का एक बड़ा हिस्सा मिलेट (मोटे अनाज) की खेती का हुआ करता था. किंतु बदलते परिवेश में मिलेट की खेती से आम किसान दूर हैं. बड़ी बात यह है, कि मिलेट में वह सब पौष्टिक गुण मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर के अनुकूल हों. पुराने समय में मिलेट यानि मोटे अनाज की खेती में मड़वा, कोदो, कुटकी, कोईनी, सांवा, बाजरा हुआ करते थे. इससे पुराने समय में घर के भोजन में रोटी, चपाती, दलिया आदि बना करती थी. किंतु मोटे अनाज के मामले में बिहार की बात करें, तो भोजन की थाली से लगभग पूरी तरह से दूर हो चुकी हैं.

बिहार का पहला मिलेट घर खुलाः पुरानी कृषि परंपरा को बचाने के लिए गया जिले के कोहवरी में इसकी खेती की जा रही है. फिलहाल, बिहार में राज्य सरकार की ओर से मोटे अनाज को लेकर कोई नई योजना तैयार नहीं की गई है. किंतु इसी बीच गया जिले के सुदूरवर्ती बाराचट्टी प्रखंड के कोहवारी गांव के रहने वाले अनिल कुमार और उनकी पत्नी रेखा देवी ने मिलकर मिलेट घर खोला है.बाराचट्टी में इसे संचालित किया जा रहा है. इस मिलेट घर में मोटे अनाजों के बीज उपलब्ध है.
मिलेट घर में कई तरह की वेराइटियां उपलब्धः मिलेट घर में मोटे अनाज के बीज, मिठाईयां, पीसा हुआ आटा, खाने में उपयोग की जाने वाली विविध सामग्री, मोटे अनाज से बनी मिठाइयां, बर्फी, बिस्किट, पूआ, हलवा आदि उपलब्ध हैं. वहीं इस तरह मिलेट यानि मोटे अनाज की खेती का बड़ा प्रयास कोहवरी में सहोदय ट्रस्ट के माध्यम से अनिल और उसकी पत्नी द्वारा किया जा रहा है.

सेहत के लिए फायदेमंद है मोटे अनाजः मिलेट घर में मोटे अनाज से बने आटा, मिठाई, पूड़ी, बिस्किट, पुआ, निमकी और मिलेट के विविध बीज उपलब्ध है. जैसे-जैसे लोग जागरूक हो रहे हैं. मिलेट यानि मोटे अनाज से बने सामग्री के प्रति लोगों का झुकाव फिर से बढ़ने लगा है. मिलेट में कैल्शियम, आइरन, जस्ता, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन B6 की प्रचुर मात्रा रहती है. मिलेट के सेवन से शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ बनाए रखने में कारगर साबित होते हैं और टिकाऊ जिंदगी प्राप्त होती है.

मिलेट पुराने समय का इंपोर्टेंड अनाजः मिलेट घर के संचालक अनिल कुमार बताते हैं कि मिलेट पहले से इंपोर्टेंड अनाज रहा है. पुराने समय में इसे ज्यादातर किसान उगाते थे. पर्यावरण व मिट्टी के साथ इसका संतुलन है. कम पानी और कम खाद में भी यह उगाया जा सकता है. मिलेट पौष्टिक होते हैं. मोटे अनाज में कोदो, कुटकी, कोईनी, मङुआ, सांवा, बाजरा आदि आते हैं. वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष के रूप में देखा जा रहा है. बजट में भी केंद्रीय वित्त मंत्री ने मिलेट को बढ़ावा देने की बात कही है.

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी होगी दूर: संसद में मोटे अनाज की खेती की शुरुआत पर भी बात की गई है. अनिल ने बताया कि मिलेट की खेती कर हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को कम कर सकते हैं. वहीं, केमिकल मिलावटी खाद्य पदार्थों से बचकर स्वास्थ्य को टिकाऊ बना सकते हैं. पहले हम लोग मड़ुए की रोटी खाते थे. वहीं अन्य मोटे अनाज का सेवन कर भी स्वस्थ रहते थे. किंतु वर्तमान में लोग अब इस पर एकदम से निर्भर नहीं है.

मिलेट से बनते हैं स्वादिष्ट हलवा, बर्फी और लड्डूः अनिल का कहना है कि यदि मिलेट पर लोग निर्भर हों, तो शरीर को निश्चित तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ रखा जा सकता है. यदि हम मिलेट की रोटी स्वाद को लेकर नहीं खाते हैं, तो इससे स्वादिष्ट बने हलवा, बर्फी, लड्डू, ठेकुआ, पूड़ी, पुआ, निमकी आदि बनाकर लगातार सेवन कर सकते है. यह जितना खाएंगे, उतना ही मजबूत रहेंगे. मिलेट को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने की जरूरत है. गया के बाराचट्टी में मिलेट घर हमारे द्वारा शुरू किया गया है.

"मिलेट की खेती कर हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को कम कर सकते हैं. वहीं, केमिकल मिलावटी खाद्य पदार्थों से बचकर स्वास्थ्य को टिकाऊ बना सकते हैं. पहले हम लोग मड़ुए की रोटी खाते थे. वहीं अन्य मोटे अनाज का सेवन कर भी स्वस्थ रहते थे. हम मिलेट की रोटी स्वाद को लेकर नहीं खाते हैं, तो इससे स्वादिष्ट बने हलवा, बर्फी, लड्डू, ठेकुआ, पूड़ी, पुआ, निमकी आदि बनाकर लगातार सेवन कर सकते है. यह जितना खाएंगे, उतना ही मजबूत रहेंगे. मिलेट को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने की जरूरत है"- अनिल कुमार, मिलेट घर के संचालक

ओडिशा की सरकार ने राशन में किया है शामिलः वहीं रेखा देवी ने बताया कि कोहवरी में खेतों में मोटे अनाज उगाते हैं और बाराचटटी में मिलेट घर खोला गया है. सरकार इसके महत्व को समझते हुए प्रोत्साहन करने में जुटी है. राशन में भी शामिल करने की तैयारी है. रेखा देवी के मुताबिक ओड़िशा की सरकार ने राशन में मोटे अनाज को शामिल किया है. बिहार में यदि राशन में मोटे अनाज को शामिल किया जाता है, तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह मील का पत्थर साबित होगा. वहीं ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी कम की जा सकेगी. वहीं, कम पूंजी और कम दाम में मिलेट यानि मोटे अनाज लोगों के टिकाऊ स्वस्थ जीवन का बड़ा आधार बन जाएगा.


"कोहवरी में खेतों में मोटे अनाज उगाते हैं और बाराचटटी में मिलेट घर खोला गया है. सरकार इसके महत्व को समझते हुए प्रोत्साहन करने में जुटी है. राशन में भी शामिल करने की तैयारी है. ओड़िशा की सरकार ने राशन में मोटे अनाज को शामिल किया है. बिहार में यदि राशन में मोटे अनाज को शामिल किया जाता है, तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह मील का पत्थर साबित होगा"- रेखा देवी, अनिल कुमार की पत्नी

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