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BCA Chaiwali : गया में बीसीए चायवाली की हो रही खूब चर्चा, कहा- 'घर में बैठकर रोड मैप नहीं मिल सकता'

BCA Chaiwali In Gaya: पढ़े लिखे युवा बिहार की सड़कों पर यूनिक नाम से दुकान खोलकर चाय बेच रहे हैं. एमबीए चायवाला, ग्रेजुएट चायवाली और ऐसे कई चायवाले के बाद अब गया में बीसीए चायवाली की चर्चा हो रही है. अच्छी नौकरी नहीं मिली तो खुद के दम पर चाय की दुकान खोली.

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गया में रिबोर्न चायवाली
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 13, 2023, 4:05 PM IST

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गया: इन दिनों नौकरी की बहुत किल्लत है. अच्छी-खासी डिग्री होने के बावजूद युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं. नौकरी नहीं मिलने की वजह से कई सारे युवा डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं, कुछ तो गलत कदम भी उठा लेते हैं. लेकिन ऐसे में अपना स्वरोजगार स्थापित कर बिहार के युवा इन दिनों खूब सुर्खियों में है. ग्रेजुएट चायवाली के बाद अब गया जिले की बीसीए चाय वाली खूब चर्चा में है.

अच्छी नौकरी नहीं मिली तो लगाया टी-स्टॉल: गया के बोधगया में रिबोर्न चायवाली के नाम से चाय की दुकान खोलने वाली लड़की का नाम स्वीटी राज है. यह मूल रूप से औरंगाबाद की रहने वाली है. इसके पिता किसान हैं. गया कॉलेज से इसने वर्ष 2016 में बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन का कोर्स पूरा किया था. जिसके बाद अच्छी नौकरी नहीं मिली तो तो हिम्मत दिखाते हुए चाय की दुकान खोल दी.

दुकान पर चाय पीते ग्राहक
दुकान पर चाय पीते ग्राहक

सफल बिजनेसमैन बनने का सपना: चाय की दुकान खोलने के बाद स्वीटी अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रयासरत है और अब बिजनेस से संबंधित कोर्स की पढ़ाई कर रही है. स्वीटी ने बताया कि पटना और चंडीगढ़ में प्राइवेट नौकरियों में अच्छी सैलरी नहीं मिली और सरकारी नौकरी हुई नहीं. जिस वजह से अपना चाय का स्टॉल लगाया. अब इस स्टॉल से पैसे कमा कर बड़ा बिजनेसमैन बनेंगी.

"बीसीए करने के बाद पटना और चंडीगढ़ में नौकरियां की. चंडीगढ़ में पेटीएम पेमेंट में कस्टमर सर्विस सेवा से जुड़ी थी, लेकिन दोनों ही नौकरियों में अच्छी सैलरी नहीं मिली. फिर मैंने सोचा कि दूसरे के लिए मेहनत करने से अच्छा है खुद के लिए मेहनत करो. नौकरी से बचे पैसे से अपनी छोटी सी दुकान खोल ली."- बीसीए चायवाली

अपने दुकान पर चायवाली स्वीटी राज
अपने दुकान पर चायवाली स्वीटी राज

दुकान चलाने में कोई परेशानी नहीं: स्वीटी ने बताया कि उसे चाय की दुकान चलाने में कोई संकोच नहीं है. उसने इसके लिए मम्पी-पापा से भी मदद नहीं लिया है, नौकरी में बचे पैसे से ही खुद के दम पर इस दुकान को चलाने की ठानी है. बताया कि अब इसी दुकान को वो पूरे मेहनत और लगन से चलाने का काम करेगी. उसका कहना है कि घर में बैठने से कोई रोड मैप भी नहीं मिलता है. बाहर निकलेंगे तो रोड मैप मिलेगा.

पढ़ें: Post Graduate Chai Wali से मिले मनोज बाजपेयी, बोले- 'समाज को बदलने के लिए एक बंदी काफी है'

पढ़ें: Madam Ji Chai Wali: पटना में 'मैडम जी चाय वाली' के साथ मारपीट, पुलिस पर मदद नहीं करने का लगाया आरोप

पढ़ें: Nari Shakti Chai Wali: बच्चों की स्कूल फी के लिए मां ने खोला चाय स्टॉल, संघर्ष से भरी है 'नारी शक्ति चाय वाली' की कहानी

पढ़ें: Bhagalpur Crorepati Chaiwala: सूट बूट में चाय बेचते हैं दीपक, बोले- 'करोड़पति चायवाला सुनना अच्छा लगता है'

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अच्छी नौकरी नहीं मिली तो लगाया टी-स्टॉल: गया के बोधगया में रिबोर्न चायवाली के नाम से चाय की दुकान खोलने वाली लड़की का नाम स्वीटी राज है. यह मूल रूप से औरंगाबाद की रहने वाली है. इसके पिता किसान हैं. गया कॉलेज से इसने वर्ष 2016 में बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन का कोर्स पूरा किया था. जिसके बाद अच्छी नौकरी नहीं मिली तो तो हिम्मत दिखाते हुए चाय की दुकान खोल दी.

दुकान पर चाय पीते ग्राहक
दुकान पर चाय पीते ग्राहक

सफल बिजनेसमैन बनने का सपना: चाय की दुकान खोलने के बाद स्वीटी अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रयासरत है और अब बिजनेस से संबंधित कोर्स की पढ़ाई कर रही है. स्वीटी ने बताया कि पटना और चंडीगढ़ में प्राइवेट नौकरियों में अच्छी सैलरी नहीं मिली और सरकारी नौकरी हुई नहीं. जिस वजह से अपना चाय का स्टॉल लगाया. अब इस स्टॉल से पैसे कमा कर बड़ा बिजनेसमैन बनेंगी.

"बीसीए करने के बाद पटना और चंडीगढ़ में नौकरियां की. चंडीगढ़ में पेटीएम पेमेंट में कस्टमर सर्विस सेवा से जुड़ी थी, लेकिन दोनों ही नौकरियों में अच्छी सैलरी नहीं मिली. फिर मैंने सोचा कि दूसरे के लिए मेहनत करने से अच्छा है खुद के लिए मेहनत करो. नौकरी से बचे पैसे से अपनी छोटी सी दुकान खोल ली."- बीसीए चायवाली

अपने दुकान पर चायवाली स्वीटी राज
अपने दुकान पर चायवाली स्वीटी राज

दुकान चलाने में कोई परेशानी नहीं: स्वीटी ने बताया कि उसे चाय की दुकान चलाने में कोई संकोच नहीं है. उसने इसके लिए मम्पी-पापा से भी मदद नहीं लिया है, नौकरी में बचे पैसे से ही खुद के दम पर इस दुकान को चलाने की ठानी है. बताया कि अब इसी दुकान को वो पूरे मेहनत और लगन से चलाने का काम करेगी. उसका कहना है कि घर में बैठने से कोई रोड मैप भी नहीं मिलता है. बाहर निकलेंगे तो रोड मैप मिलेगा.

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