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Independence Day 2023 : गया का नेयामतपुर आश्रम, जहां से वीर सपूतों ने अंग्रेजी हुकूमत की बजा दी थी ईंट से ईंट - स्वतंत्रता दिवस 2023

अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की लड़ाई जब अंगड़ाई ले रही थी, तो मगध के मंझियावां गांव के रहने वाले आजादी के दीवाने व किसानों के प्रखर नेता पंडित यदुनंदन शर्मा नेयामतपुर गांव पहुंचे. यहां पहुंचने के बाद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के लिए नेयामतपुर आश्रम की स्थापना की. वर्ष 1933 में नेयामतपुर आश्रम की स्थापना के बाद यहां सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों का जुटान होने लगा. इस आश्रम से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई क्रांति की कई कहानियां हैं.

गया का नेयामतपुर आश्रम.
गया का नेयामतपुर आश्रम.
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Published : Aug 15, 2023, 5:01 AM IST

गया का नेयामतपुर आश्रम.

गया: देश आज अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. हर तरफ आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जा रहा है. शहीदों को याद किया कृतज्ञ राष्ट्र श्रद्धांजलि दे रहा है. ऐसे में गया के नेयामतपुर आश्रम की याद बरबस कौंध जाती है. बिहार के गया का नेयामतपुर आश्रम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की कर्मस्थली के रूप में जाना जाता है. यहां इस आश्रम से अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजाने का काम किया जाता था.

इसे भी पढ़ेंः Independence Day 2023: 'आंखों के सामने शहीद हो गये थे कई साथी...' स्वतंत्रता सेनानी की जुबानी उनकी कहानी

यहां की गतिविधि से अंग्रेज भी तिलमिला उठे थेः नेयामतपुर आश्रम की स्थापना पंडित यदुनंदन शर्मा ने की थी. वर्ष 1938 से 1942 के बीच गया के नेयामतपुर गांव में नेयामतपुर आश्रम से आजादी की जंग लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों से मिलने महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद भी पहुंचे थे. इंदिरा गांधी छोटी थी, तो वह भी अपने पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ यहां आई थी. इस आश्रम से लड़ी गई ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग से अंग्रेज भी तिलमिला उठे थे.

अंग्रेजों ने की थी नेयामतपुर आश्रम पर फायरिंगः अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की कहानियों में 1937 की गौरव गाथा शामिल है. तब अंग्रेजों के खिलाफ नेयामतपुर आश्रम से बड़ी लड़ाई छेड़ दी गई थी. क्रांतिकारियों ने चाकन्द स्टेशन को फूंक दिया था. चाकन्द स्टेशन फूंंकने के बाद क्रांतिकारी नेयामतपुर आश्रम में पहुंचे थे. इस बीच अंग्रेजों को पता चल गया कि नेयामतपुर आश्रम में स्टेशन को फूंंकने वाले बैठे हुए हैं. इसके बाद अंग्रेजों की टीम यहां पहुंच गई. अंग्रेज सिपाहियों ने नेयामतपुर आश्रम पर दनादन गोलियां चलानी शुरू कर दी. इसके बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ यहां से जंग का जो सिलसिला शुरू हुआ तो वह बढ़ता ही चला गया.

आश्रम से 65 से भी ज्यादा क्रांतिकारी जेल गये थेः नेयामतपुर आश्रम में दक्षिण बिहार के स्वतंत्रता सेनानियों का बड़ी संख्या में आना होता था. इस आश्रम से तकरीबन 65 से भी ज्यादा लोग अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांति करते हुए जेल गए. जेल से छूटने के बाद भी उनकी क्रांति जारी रही. आजादी की क्रांति की चिंगारी यहां से जो जली थी, वह आजादी दिलाने तक जारी रही. स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से जुड़े राजेश कुमार बताते हैं कि नेयामतपुर आश्रम ऐतिहासिक आश्रम है. यह स्वतंत्रता सेनानियों की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है. बताते हैं कि यहां के स्वतंत्रता सेनानियों की क्रांति से प्रभावित होकर महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और राजेंद्र प्रसाद भी यहां पहुंचे थे.


गया का नेयामतपुर आश्रम.

गया: देश आज अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. हर तरफ आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जा रहा है. शहीदों को याद किया कृतज्ञ राष्ट्र श्रद्धांजलि दे रहा है. ऐसे में गया के नेयामतपुर आश्रम की याद बरबस कौंध जाती है. बिहार के गया का नेयामतपुर आश्रम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की कर्मस्थली के रूप में जाना जाता है. यहां इस आश्रम से अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजाने का काम किया जाता था.

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यहां की गतिविधि से अंग्रेज भी तिलमिला उठे थेः नेयामतपुर आश्रम की स्थापना पंडित यदुनंदन शर्मा ने की थी. वर्ष 1938 से 1942 के बीच गया के नेयामतपुर गांव में नेयामतपुर आश्रम से आजादी की जंग लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों से मिलने महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद भी पहुंचे थे. इंदिरा गांधी छोटी थी, तो वह भी अपने पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ यहां आई थी. इस आश्रम से लड़ी गई ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग से अंग्रेज भी तिलमिला उठे थे.

अंग्रेजों ने की थी नेयामतपुर आश्रम पर फायरिंगः अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की कहानियों में 1937 की गौरव गाथा शामिल है. तब अंग्रेजों के खिलाफ नेयामतपुर आश्रम से बड़ी लड़ाई छेड़ दी गई थी. क्रांतिकारियों ने चाकन्द स्टेशन को फूंक दिया था. चाकन्द स्टेशन फूंंकने के बाद क्रांतिकारी नेयामतपुर आश्रम में पहुंचे थे. इस बीच अंग्रेजों को पता चल गया कि नेयामतपुर आश्रम में स्टेशन को फूंंकने वाले बैठे हुए हैं. इसके बाद अंग्रेजों की टीम यहां पहुंच गई. अंग्रेज सिपाहियों ने नेयामतपुर आश्रम पर दनादन गोलियां चलानी शुरू कर दी. इसके बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ यहां से जंग का जो सिलसिला शुरू हुआ तो वह बढ़ता ही चला गया.

आश्रम से 65 से भी ज्यादा क्रांतिकारी जेल गये थेः नेयामतपुर आश्रम में दक्षिण बिहार के स्वतंत्रता सेनानियों का बड़ी संख्या में आना होता था. इस आश्रम से तकरीबन 65 से भी ज्यादा लोग अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांति करते हुए जेल गए. जेल से छूटने के बाद भी उनकी क्रांति जारी रही. आजादी की क्रांति की चिंगारी यहां से जो जली थी, वह आजादी दिलाने तक जारी रही. स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से जुड़े राजेश कुमार बताते हैं कि नेयामतपुर आश्रम ऐतिहासिक आश्रम है. यह स्वतंत्रता सेनानियों की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है. बताते हैं कि यहां के स्वतंत्रता सेनानियों की क्रांति से प्रभावित होकर महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और राजेंद्र प्रसाद भी यहां पहुंचे थे.


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