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गया के JPN अस्पताल में कुत्तों का बसेरा, मलेरिया विभाग भी जर्जर, कभी भी हो सकता है हादसा - worse condition of government hospitals in Gaya

गया के जेपीएन अस्पताल में एनिमल ट्रैप लगाया जाएगा (Animal trap in Gaya JPN Hospital) जिससे बाहरी कुत्ते अस्पताल के अंदर विचरण ना कर सकें. गया जयप्रकाश नारायण अस्पताल में मरीजों के वार्डों में कुत्तो का आना-जाना लगा रहता है जिसे लेकर मलेरिया विभाग भी बेबस है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

जेपीएन अस्पताल में एनिमल ट्रैप
जेपीएन अस्पताल में एनिमल ट्रैप
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Published : Oct 17, 2022, 6:03 AM IST

गया: बिहार के गया में सरकारी अस्पतालों की स्थिति बदतर (worse condition of government hospitals in Gaya) है. बात यदि गया अस्पताल यानि सदर अस्पताल जेपीएन की करें, तो यहां भी स्थिति मरीजों के लिए अनुकूल नहीं है. डॉक्टरों की कमी से अस्पताल जूझ रहा है इसके साथ ही यहां मरीजों के वार्डों में कुत्ते दिन-रात डेरा जमाए रहते हैं. अंग्रेजों के जमाने के इस अस्पताल की दुर्गति यह है कि इंसान से ज्यादा यहां आवारा कुत्ते घुमते दिखाई देते हैं.

पढ़ें-गया के जेपीएन अस्पताल में संसाधनों का टोटा, सिर्फ मरीजों को किया जा रहा रेफर

JPN अस्पताल में कुत्तों का बसेरा: गया सदर अस्पताल अंग्रेजों के जमाने का है. इस सदर अस्पताल में दिन में भी स्थिति चरमराई दिखती है. मरीज डॉक्टरों के मन के मुताबिक नहीं सुनते, तो उसे सीधे रेफर करने पर तुल जाते हैं. यह इस अस्पताल की सबसे बड़ी खामियों में से एक है. वहीं, इस अस्पताल में डॉक्टरों की भी कमी से मरीजों को खासी परेशानियां झेलनी पड़ती है. दूसरी ओर रात में ही नहीं बल्कि दिन में भी कुत्ते यहां अपना ठिकाना बना कर रखते हैं. रात में तो यह अस्पताल कुतों का बसेरा सा बन जाता है. कुत्ते मरीजों के वार्डों में आराम से विचरण करते रहते हैं. अब तो इस अस्पताल के डॉक्टरों, कर्मचारियों के साथ-साथ मरीजों को कुत्तों के पास रहने की आदत हो गई है.



मलेरिया विभाग कभी भी हो सकता है धराशायी: जयप्रकाश नारायण अस्पताल के मलेरिया विभाग की स्थिति काफी दयनीय है. यहां व्यवस्था का पूरा अभाव है. मलेरिया विभाग के भवनों में जहां डॉक्टर बैठते हैं, वहां भवन की एकदम जर्जर स्थिति है. लाचार हालत में मलेरिया विभाग के कमरों के प्लास्टर उखड़ते रहते हैं और यह भवन कभी भी गिर सकता है. बरसात के दिनों में मलेरिया विभाग के भवनों में पानी टपकता है, दिवारों से पानी लगातार रिसता रहता है. बरसात के दिनों में स्थिति काफी विकराल हो जाती है. ऐसे में चिकित्सकों के अलावे मरीजों को भी खासी परेशानी झेलनी पड़ती है.



अस्पताल के गेट पर लगेगा एनिमल ट्रैप: इसे लेकर अस्पताल के अधिकारियों द्वारा शीघ्र कदम उठाने की बात कही जाती है. इस संबंध में गया के सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार सिंह बताते हैं कि मलेरिया विभाग में स्टोर बनवाना था. वर्ष 2019 में इसकी योजना तैयार की गई थी. योजना कोरोना काल के कारण अटक गई. फिर से पत्र लिखा गया है, विभाग से निर्देश आते ही मलेरिया विभाग का जीर्णोद्धार किया जाएगा. अस्पताल पूरे सिस्टम से काम करे, इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं अस्पताल में कुत्तों का विचरण को रोकने को लेकर जल्द ही गेट पर एनिमल ट्रैप लगाया जाएगा.

"जल्द ही मलेरिया विभाग जो जर्जर स्थिति में है, उसका जीर्णोद्धार कराने की योजना है. अब इसे लेकर विभाग को पत्र भी लिखा गया है. वहीं दूसरी ओर मरीजों के वार्डों में कुत्तों का विचरण रोकने के लिए जेपीएन अस्पताल के गेट पर जल्द ही एनिमल ट्रैप लग जाएगा."-डॉ रंजन कुमार सिंह, सिविल सर्जन गया

पढ़ें-जेपीएन अस्पताल का शताब्दी समारोह: 'आरोग्य गया 2020' का विमोचन, मंगल पांडे और प्रेम कुमार हुए शामिल

गया: बिहार के गया में सरकारी अस्पतालों की स्थिति बदतर (worse condition of government hospitals in Gaya) है. बात यदि गया अस्पताल यानि सदर अस्पताल जेपीएन की करें, तो यहां भी स्थिति मरीजों के लिए अनुकूल नहीं है. डॉक्टरों की कमी से अस्पताल जूझ रहा है इसके साथ ही यहां मरीजों के वार्डों में कुत्ते दिन-रात डेरा जमाए रहते हैं. अंग्रेजों के जमाने के इस अस्पताल की दुर्गति यह है कि इंसान से ज्यादा यहां आवारा कुत्ते घुमते दिखाई देते हैं.

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JPN अस्पताल में कुत्तों का बसेरा: गया सदर अस्पताल अंग्रेजों के जमाने का है. इस सदर अस्पताल में दिन में भी स्थिति चरमराई दिखती है. मरीज डॉक्टरों के मन के मुताबिक नहीं सुनते, तो उसे सीधे रेफर करने पर तुल जाते हैं. यह इस अस्पताल की सबसे बड़ी खामियों में से एक है. वहीं, इस अस्पताल में डॉक्टरों की भी कमी से मरीजों को खासी परेशानियां झेलनी पड़ती है. दूसरी ओर रात में ही नहीं बल्कि दिन में भी कुत्ते यहां अपना ठिकाना बना कर रखते हैं. रात में तो यह अस्पताल कुतों का बसेरा सा बन जाता है. कुत्ते मरीजों के वार्डों में आराम से विचरण करते रहते हैं. अब तो इस अस्पताल के डॉक्टरों, कर्मचारियों के साथ-साथ मरीजों को कुत्तों के पास रहने की आदत हो गई है.



मलेरिया विभाग कभी भी हो सकता है धराशायी: जयप्रकाश नारायण अस्पताल के मलेरिया विभाग की स्थिति काफी दयनीय है. यहां व्यवस्था का पूरा अभाव है. मलेरिया विभाग के भवनों में जहां डॉक्टर बैठते हैं, वहां भवन की एकदम जर्जर स्थिति है. लाचार हालत में मलेरिया विभाग के कमरों के प्लास्टर उखड़ते रहते हैं और यह भवन कभी भी गिर सकता है. बरसात के दिनों में मलेरिया विभाग के भवनों में पानी टपकता है, दिवारों से पानी लगातार रिसता रहता है. बरसात के दिनों में स्थिति काफी विकराल हो जाती है. ऐसे में चिकित्सकों के अलावे मरीजों को भी खासी परेशानी झेलनी पड़ती है.



अस्पताल के गेट पर लगेगा एनिमल ट्रैप: इसे लेकर अस्पताल के अधिकारियों द्वारा शीघ्र कदम उठाने की बात कही जाती है. इस संबंध में गया के सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार सिंह बताते हैं कि मलेरिया विभाग में स्टोर बनवाना था. वर्ष 2019 में इसकी योजना तैयार की गई थी. योजना कोरोना काल के कारण अटक गई. फिर से पत्र लिखा गया है, विभाग से निर्देश आते ही मलेरिया विभाग का जीर्णोद्धार किया जाएगा. अस्पताल पूरे सिस्टम से काम करे, इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं अस्पताल में कुत्तों का विचरण को रोकने को लेकर जल्द ही गेट पर एनिमल ट्रैप लगाया जाएगा.

"जल्द ही मलेरिया विभाग जो जर्जर स्थिति में है, उसका जीर्णोद्धार कराने की योजना है. अब इसे लेकर विभाग को पत्र भी लिखा गया है. वहीं दूसरी ओर मरीजों के वार्डों में कुत्तों का विचरण रोकने के लिए जेपीएन अस्पताल के गेट पर जल्द ही एनिमल ट्रैप लग जाएगा."-डॉ रंजन कुमार सिंह, सिविल सर्जन गया

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