गया: बिहार के गया में अरवा चावल के मिलर गुस्से में (Arwa Rice Mill Owners Anger In Gaya) हैं. सरकार की नीति के कारण 70 मिलरों के सामने बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है. यदि सरकार का रवैया नहीं बदला तो इसमें से अधिकांश मिलर बर्बादी के कगार पर आ जाएंगे. यह तब हो रहा है जब सरकार ने अरवा चावल की खरीद करने से हाथ खड़े कर दिए हैं. पहले सरकार ने प्रोत्साहित किया, अब कह रही- उसना चावल ही खरीदेंगे. जानकारी के अनुसार, सरकार ने अरवा चावल के लिए मिलरों को प्रोत्साहित किया था. इसके बाद मिलरों ने अरवा मिल का प्लांट बैठाया. सरकार के प्रोत्साहन को देखते हुए काफी कम समय में 70 से भी अधिक अरवा चावल मिल लगा लिए गए. किंतु मिल लगा मिलर अब बर्बादी के कगार पर खुद को महसूस कर रहे हैं, क्योंकि अरवा चावल मिलर का कहना है कि सरकार ने अब अरवा चावल की खरीद से इनकार कर दिया है. कहा है कि वह सिर्फ उसना चावल ही खरीदेगी.
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रोष में है अरवा चावल के मिलर : अरवा चावल के मिलर सरकार के इस फैसले से रोष में हैं. अरवा चावल मिलर का कहना है कि सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है जबकि इससे पहले रजिस्ट्रेशन लिया गया. कई अन्य प्रक्रिया भी पूरी कराई गई और अब सरकार अरवा चावल की खरीद से इंकार कर रही है. वहीं, सिर्फ उसना चावल ही खरीदे जाने की बात कह रही है. ऐसे में वे बर्बादी के कगार पर आ चुके हैं. अरवा चावल के मिलर के अनुसार एक मिल बैठाने में 50 लाख से 1करोड़ के बीच का खर्च कम से कम आता है तब जाकर मिल प्लांट बैठ पाता है.
अरवा चावल के मिल मालिकों का हाल खराब : अरवा चावल के मिल मालिकों का कहना है कि उनके मिल में सिर्फ अरवा चावल का ही कूटाता है. इसमें उसना चावल नहीं कुटे जा सकते हैं. ऐसे में उनकी पूंजी जो कि 50 लाख से अधिक की औसतन होती है, वह फंस चुकी है. वहीं, अरवा चावल के मिल को उसना चावल के मिल के रूप में तब्दील करने में करीब 5 करोड़ का खर्च आता है. यही वजह है कि गया जैसे बड़ी क्षेत्र में भी 5 से भी कम उसना चावल के मिलर हैं. ऐसे में अचानक से यह संभव नहीं है कि हम अरवा चावल के मिल को उसना चावल के मिल के रूप में तब्दील कर सकें.
सरकार के खिलाफ अरवा चावल मिल मालिकों का गुस्सा : अरवा चावल के मिल मालिकों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि कुछ समय दें, वर्ष 2025 तक का समय दिया जाना चाहिए ताकि वह धीरे-धीरे पूंजी जमा कर अरवा चावल मिल को उसना चावल के मिल के रूप में तब्दील कर सकें. सरकार ने 2014 से अरवा चावल की खरीद मिलरों से शुरू की थी फिर अचानक से 2022 में बंद कर दिया है. अरवा चावल मिल को उसना चावल मिल में तब्दील करने के लिए बायलर, ड्रायर, सोटैकस के अलावे कई मशीनें चेंज करनी पड़ेगी. वहीं, मशीनों को चेंज करके रि-सेट कर नए तरीके से चालू करना होगा, जिसमें करीब 5 करोड का खर्च आएगा. अब अचानक सरकार के फैसले के बाद इतना पैसा कहां से लाए. इसे लेकर भी हताश हैं.
'सरकार उद्योग देने की बात कह रही है लेकिन स्थिति यह है कि हमलोगों को बेरोजगार बना रही है. मोटी जमा पूंजी खर्च करके अरवा चावल मिल बैठाया जो कि डूबने के कगार पर दिख रही है. जिसे लेकर हम लोग लड़ाई लड़ रहे हैं.' - राकेश कुमार, अरवा चावल मिल मालिक
'सरकार अपना रवैया नहीं बदलती है तो आत्महत्या को विवश होंगे. फिलहाल सरकार से गुहार लगाते हैं कि इस फैसले को बदलते हुए 2025 तक अरवा चावल की खरीद सरकार द्वारा की जाए.' - ओमप्रकाश, अरवा चावल मिल मालिक
'यदि सरकार को यही निर्णय लेना था तो रजिस्ट्रेशन के लिए प्रोत्साहित क्यों किया गया. अब हमारी मोटी पूंजी लग चुकी है और हम लोग इसी रोजगार से जुड़े हुए हैं तो ऐसे में क्या करें?. सरकार बताए, कि हमारी पूंजी कैसे लौटेगी. लोन भी अभी तक चुकता नहीं हो सका है. अरवा चावल की खरीद का सरकार पर दबाव देने के लिए हर स्तर की लड़ाई लड़ेंगे और शांतिपूर्वक आंदोलन शुरू कर दिया गया है.' - अजय कुमार, अध्यक्ष, अरवा चावल मिलर संघ