गया: बिहार के गया में पंडा समाज के पास 300 सालों का बही खाता (Gaya Panda Samaj account is 300 year old) है. यहां पिंडदान और तीर्थ यात्रा पर आने वाले लोगों का बही खाता है. यहां पिंडदान करने वाले हर पिंडदानी का खाता (300 years old history of ancestors) मिल जाएगा. यहीं नहीं उनके पूर्वजों के बारे में भी जानकारियां मिल जाएगी. बड़ी बात यह है कि यहां के गयापाल पंडा समाज के पास 600 साल के करीब का भोजपत्र और ताम्रपत्र का भी बही खाता है, जो उन्होंने संभाल कर रखा है.
ये भी पढ़ें-गया पाल पंडा समाज ने सरकार के ऑनलाइन ई-पिंडदान का किया विरोध
बड़े राजनीतिक हस्तियों का मौजूद है बही खाता: गयापाल पंडा के पास रहे बही खाते में हर क्षेत्र के बड़े हस्तियों का विवरण मौजूद है. पंडा समाज के पास मौजूद बही-खाते में राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, मीरा कुमार, मोरारजी देसाई, कस्तूरबा गांधी, बूटा सिंह, अमित शाह समेत दर्जनों राजा रजवाड़े के भी आने का प्रमाण उपलब्ध है. इस तरह गया जी सचमुच में अनोखा तीर्थ है, संभवत देश भर में यह पहला ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां आने वाले पिंडदानियों-तीर्थ यात्रियों के बही खाते मौजूद हैं.
भोजपत्र-ताम्रपत्र और बही खाते हैं, तीनों में है उपलब्ध: पंडा समाज के बही खाते में भोजपत्र, ताम्रपत्र और कागजी बही खाते में पिंडदान को आने वालों का आंकड़ा मौजूद है. कागजों पर करीब पिछले 300 साल के पिंडदानियों के पूरा विवरणी हैं. वहीं इससे पहले आने वाले राजा रजवाड़े के भोजपत्र-ताम्रपत्र में भी पूरा नाम, पता, पद सब कुछ लिखा हुआ है.
नाम बताने पर मिल जाएगा पूर्वजों का रिकॉर्ड: इस संबंध में विष्णुपद मंदिर प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विट्ठल बताते हैं कि उनके पास 300 साल के आंकड़े का बही खाता है. इसके अलावा भोजपत्र और ताम्रपत्र में भी राजा रजवाड़े समेत अन्य के नाम पता सब उपलब्ध हैं. यदि कोई पिंंडदानी आते हैं और बताते हैं कि उनके कौन पूर्वज गया जी को आए थे, तो क्षेत्र से मालूम करते हैं. इससे पता चल जाता है कि हमारा पूर्वज कौन हैं, जो गया आए थे. वहीं संबंधित पंडा उन्हें रिसीव कर लाता है.
गया आने के बाद ली जाती है जानकारी: गया आने के बाद उनसे थोड़ी बहुत जानकारी ली जाती है और उसके बाद उनके पूर्वजों के संबंध में सारी जानकारियां उपलब्ध करा दी जाती है. संबंधित यात्री का राज्य, जिला, तहसील, नाम और पूर्वजों के नाम के सहारे सब कुछ आसानी से तुरंत सामने ला दिया जाता है. इसमें गोत्र के सहारे भी काफी कुछ मदद मिलती है. श्याम लाल विट्ठल हाथी वाले के पास गुजरात समेत अन्य कई राज्यों से आने वाले सभी पिंडदानियों का बही खाता है.
श्याम लाल विट्ठल हाथी वाले के पास गुजरात का खाता: शंभूलाल विट्ठल बताते हैं कि हमारे पास बही खाता है. इसमें सभी स्टेट, जिला, थाना का बही खाता रहता है. हमारे पास पूरे गुजरात राज्य के लोग आते हैं, गुजरात से जितने लोग आएंगे, वे श्यामलाल विट्ठल हाथी वाला के यहां ही रुकेंगे, जो कि हमारे पूर्वज हैं. इसी नाम से गुजरात में सब जानते हैं. इसके अलावा यूपी, असम, बंगाल, बिहार से भी जजमान आते हैं. गुजरात के आने वाले सभी पिंडदानियों तीर्थ यात्रियों का बहीखाता हमारे पास 300 साल पुराना है, जो कि कागजों में है. इसके अलावा अन्य राज्यों के भी बही खाते हैं.
"बल्लभ कुल संप्रदाय को महाप्रभु के नाम से जाना जाता है. उनका 600 साल पुराना ताम्रपत्र भी हमारे पास है. इसके अलावे राजा महाराजा का ताम्रपत्र 400 वर्ष पुराना है. बड़ोदरा राजा रानी का फोटो हमारे यहां लगा है, जो कि आए थे. सिया जी गायकवाड भी हमारे यहां आए थे. वहीं पहले राजा से परवाना मिलता था. वहीं अब बहीखाता का युग आ गया है. अब परवाना का युग नहीं रहा. हमारे पास 300 साल पुराना बहीखाता है और 600 साल पुराना ताम्रपत्र भी उपलब्ध है. वहीं गुजरात के जितने रियासत के राजा आए थे, उनके वंशज आज भी हमारे यहां आते हैं. शंभूलाल विट्ठल के अलावे अन्य पंडा के पास भी बही खाता मौजूद है."- शंभूलाल विट्ठल, अध्यक्ष, विष्णुपद मंदिर प्रबंधक कारिणी समिति
ये भी पढ़ें- पितृपक्ष मेला 2022: 5 लाख एडवांस बुकिंग, 8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना