गया: जिले से 20 किलोमीटर दूर एनएच- 83 के किनारे मनसा बिगहा में एक ऐसा सरकारी स्कूल है जिसमें हर रोज सिर्फ एक छात्रा पढ़ने आती है. पहली क्लास की छात्रा जाह्नवी को पढ़ाने के लिए हर रोज 2 शिक्षक भी पहुंचते हैं और मिड डे मील योजना के तहत रसोइया उसके लिए भोजन भी बनाती है.
ऐसा नहीं है कि 35 परिवारों वाली मनसा बिगहा बस्ती के अन्य बच्चे पढ़ते नहीं हैं.1975 में बने इस स्कूल में 4 क्लासरूम, खाना पकाने की जगह और शौचालय सहित सभी जरूरी सुविधाएं हैं पर कोई भी अपने बच्चों का एडमिशन इस स्कूल में नहीं करना चाहता है. दरअसल, अनुमंडल मुख्यालय खिजरसराय के पास होने के कारण बच्चे अन्य स्कूलों में चले जाते हैं.
रोज अकेली जाह्नवी ही आती है पढ़ने
जाह्नवी ने बताया कि सर संजय कुमार और मैडम प्रियंका उसे रोज पढ़ाने आते है. हालांकि क्लासरुम में अकेले पढ़ने के सवाल पर जाह्नवी चुप हो जाती है. लेकिन वो कहती है कि अगर स्कूल में और बच्चे बढ़ने आएंगे तो उसे अच्छा लगेगा.
प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को भेज देते हैं लोग
स्कूल की शिक्षिका प्रियंका का कहना है कि इसी स्कूल में नामांकित अन्य छात्रों के अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें पढ़ने भेजने का अनुरोध किया जाता है. सारे बच्चे प्राईवेट स्कूल में जाते है, लेकिन वे दिलचस्पी नहीं लेते हैं. स्कूल में एक नियोजित शिक्षक संजय कुमार को प्रतिनियोजित किया गया हैं. हम दोनों नियमित रूप से स्कूल आते हैं और उपस्थित छात्रों को पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 तक स्कूल में 100 छात्र थे. निजी स्कूलों के बढ़ते प्रभाव से 2012 से छात्रों की संख्या घटती गयी और अब यह स्थिति बन गयी है.
क्या कहते हैं ग्रामीण?
ग्रामीण भी कहते हैं कि इस स्कूल में पहले छात्र आते थे, लेकिन पूर्व प्रभारी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी, इस वजह से छात्र यहां से पलायन कर निजी स्कूल में चल गए. उनका कहना है कि यदि स्कूल में फिर से पढ़ाई अच्छी हो तो छात्रों की संख्या भी बढ़ जाएगी.
'शिक्षकों को ज्यादा बच्चों को नामांकन कराने का आदेश'
सिर्फ एक छात्रा की पढ़ाई को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी मो.मुस्तफा हुसैन अंसारी ने बताया कि स्कूल के दोनों शिक्षकों को गांव में जाकर शिक्षा से वंचित बच्चों को उनके घर जाकर नामांकन करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आसपास के विद्यालयों के प्रभारियों से अपील करूंगा कि स्कूल के पास वाले गांव के बच्चों को यहां शिफ्ट कर दिया जाए, जिससे यह स्कूल भी संचालित हो सके.
अकेली बच्ची के लिए मिड डे मील भी बनता
इतना ही नहीं, स्कूल में मिड डे मील योजना के तहत रसोइया जाह्नवी के लिए भोजन (मिड डे मील) भी बनाती थी. जो फिलहाल एक महीने से बंद है. बता दें कि पांचवी तक कक्षा वाले इस स्कूल की पहली व पांचवीं कक्षा में दो-दो, तीसरी में एक और चौथी में 4 छात्र-छात्राओं का नामांकन है. दूसरी कक्षा में कोई भी नामांकन नहीं है.