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स्कूल में रोज अकेली जाह्नवी ही आती है पढ़ने, पढ़ाने पहुंचते हैं 2 शिक्षक

पिछले एक साल से, पटना से लगभग 130 किलोमीटर दूर गया जिले में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय, केवल एक छात्र, जाह्नवी कुमारी को पढ़ाने के लिए चलता है. इस स्कूल में कुल 9 बच्चे पढ़ते हैं, पर केवल जाह्नवी ही इस स्कूल की एकमात्र रेगुलर छात्रा है.

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Published : Feb 5, 2020, 9:58 AM IST

Updated : Feb 5, 2020, 10:23 PM IST

गया
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गया: जिले से 20 किलोमीटर दूर एनएच- 83 के किनारे मनसा बिगहा में एक ऐसा सरकारी स्कूल है जिसमें हर रोज सिर्फ एक छात्रा पढ़ने आती है. पहली क्लास की छात्रा जाह्नवी को पढ़ाने के लिए हर रोज 2 शिक्षक भी पहुंचते हैं और मिड डे मील योजना के तहत रसोइया उसके लिए भोजन भी बनाती है.

ऐसा नहीं है कि 35 परिवारों वाली मनसा बिगहा बस्ती के अन्य बच्चे पढ़ते नहीं हैं.1975 में बने इस स्कूल में 4 क्लासरूम, खाना पकाने की जगह और शौचालय सहित सभी जरूरी सुविधाएं हैं पर कोई भी अपने बच्चों का एडमिशन इस स्कूल में नहीं करना चाहता है. दरअसल, अनुमंडल मुख्यालय खिजरसराय के पास होने के कारण बच्चे अन्य स्कूलों में चले जाते हैं.

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प्राथमिक विद्यालय मनसा विगहा

रोज अकेली जाह्नवी ही आती है पढ़ने
जाह्नवी ने बताया कि सर संजय कुमार और मैडम प्रियंका उसे रोज पढ़ाने आते है. हालांकि क्लासरुम में अकेले पढ़ने के सवाल पर जाह्नवी चुप हो जाती है. लेकिन वो कहती है कि अगर स्कूल में और बच्चे बढ़ने आएंगे तो उसे अच्छा लगेगा.

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छात्रा जाह्नवी

प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को भेज देते हैं लोग
स्कूल की शिक्षिका प्रियंका का कहना है कि इसी स्कूल में नामांकित अन्य छात्रों के अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें पढ़ने भेजने का अनुरोध किया जाता है. सारे बच्चे प्राईवेट स्कूल में जाते है, लेकिन वे दिलचस्पी नहीं लेते हैं. स्कूल में एक नियोजित शिक्षक संजय कुमार को प्रतिनियोजित किया गया हैं. हम दोनों नियमित रूप से स्कूल आते हैं और उपस्थित छात्रों को पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 2011
तक स्कूल में 100 छात्र थे. निजी स्कूलों के बढ़ते प्रभाव से 2012 से छात्रों की संख्या घटती गयी और अब यह स्थिति बन गयी है.

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छात्रा को पढ़ाती शिक्षका

क्या कहते हैं ग्रामीण?
ग्रामीण भी कहते हैं कि इस स्कूल में पहले छात्र आते थे, लेकिन पूर्व प्रभारी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी, इस वजह से छात्र यहां से पलायन कर निजी स्कूल में चल गए. उनका कहना है कि यदि स्कूल में फिर से पढ़ाई अच्छी हो तो छात्रों की संख्या भी बढ़ जाएगी.

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ग्रामीणों ने दी जानकारी

'शिक्षकों को ज्यादा बच्चों को नामांकन कराने का आदेश'

सिर्फ एक छात्रा की पढ़ाई को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी मो.मुस्तफा हुसैन अंसारी ने बताया कि स्कूल के दोनों शिक्षकों को गांव में जाकर शिक्षा से वंचित बच्चों को उनके घर जाकर नामांकन करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आसपास के विद्यालयों के प्रभारियों से अपील करूंगा कि स्कूल के पास वाले गांव के बच्चों को यहां शिफ्ट कर दिया जाए, जिससे यह स्कूल भी संचालित हो सके.

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मो.मुस्तफा हुसैन अंसारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी

अकेली बच्ची के लिए मिड डे मील भी बनता
इतना ही नहीं, स्कूल में मिड डे मील योजना के तहत रसोइया जाह्नवी के लिए भोजन (मिड डे मील) भी बनाती थी. जो फिलहाल एक महीने से बंद है. बता दें कि पांचवी तक कक्षा वाले इस स्कूल की पहली व पांचवीं कक्षा में दो-दो, तीसरी में एक और चौथी में 4 छात्र-छात्राओं का नामांकन है. दूसरी कक्षा में कोई भी नामांकन नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट

गया: जिले से 20 किलोमीटर दूर एनएच- 83 के किनारे मनसा बिगहा में एक ऐसा सरकारी स्कूल है जिसमें हर रोज सिर्फ एक छात्रा पढ़ने आती है. पहली क्लास की छात्रा जाह्नवी को पढ़ाने के लिए हर रोज 2 शिक्षक भी पहुंचते हैं और मिड डे मील योजना के तहत रसोइया उसके लिए भोजन भी बनाती है.

ऐसा नहीं है कि 35 परिवारों वाली मनसा बिगहा बस्ती के अन्य बच्चे पढ़ते नहीं हैं.1975 में बने इस स्कूल में 4 क्लासरूम, खाना पकाने की जगह और शौचालय सहित सभी जरूरी सुविधाएं हैं पर कोई भी अपने बच्चों का एडमिशन इस स्कूल में नहीं करना चाहता है. दरअसल, अनुमंडल मुख्यालय खिजरसराय के पास होने के कारण बच्चे अन्य स्कूलों में चले जाते हैं.

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प्राथमिक विद्यालय मनसा विगहा

रोज अकेली जाह्नवी ही आती है पढ़ने
जाह्नवी ने बताया कि सर संजय कुमार और मैडम प्रियंका उसे रोज पढ़ाने आते है. हालांकि क्लासरुम में अकेले पढ़ने के सवाल पर जाह्नवी चुप हो जाती है. लेकिन वो कहती है कि अगर स्कूल में और बच्चे बढ़ने आएंगे तो उसे अच्छा लगेगा.

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छात्रा जाह्नवी

प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को भेज देते हैं लोग
स्कूल की शिक्षिका प्रियंका का कहना है कि इसी स्कूल में नामांकित अन्य छात्रों के अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें पढ़ने भेजने का अनुरोध किया जाता है. सारे बच्चे प्राईवेट स्कूल में जाते है, लेकिन वे दिलचस्पी नहीं लेते हैं. स्कूल में एक नियोजित शिक्षक संजय कुमार को प्रतिनियोजित किया गया हैं. हम दोनों नियमित रूप से स्कूल आते हैं और उपस्थित छात्रों को पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 2011
तक स्कूल में 100 छात्र थे. निजी स्कूलों के बढ़ते प्रभाव से 2012 से छात्रों की संख्या घटती गयी और अब यह स्थिति बन गयी है.

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छात्रा को पढ़ाती शिक्षका

क्या कहते हैं ग्रामीण?
ग्रामीण भी कहते हैं कि इस स्कूल में पहले छात्र आते थे, लेकिन पूर्व प्रभारी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी, इस वजह से छात्र यहां से पलायन कर निजी स्कूल में चल गए. उनका कहना है कि यदि स्कूल में फिर से पढ़ाई अच्छी हो तो छात्रों की संख्या भी बढ़ जाएगी.

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ग्रामीणों ने दी जानकारी

'शिक्षकों को ज्यादा बच्चों को नामांकन कराने का आदेश'

सिर्फ एक छात्रा की पढ़ाई को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी मो.मुस्तफा हुसैन अंसारी ने बताया कि स्कूल के दोनों शिक्षकों को गांव में जाकर शिक्षा से वंचित बच्चों को उनके घर जाकर नामांकन करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आसपास के विद्यालयों के प्रभारियों से अपील करूंगा कि स्कूल के पास वाले गांव के बच्चों को यहां शिफ्ट कर दिया जाए, जिससे यह स्कूल भी संचालित हो सके.

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मो.मुस्तफा हुसैन अंसारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी

अकेली बच्ची के लिए मिड डे मील भी बनता
इतना ही नहीं, स्कूल में मिड डे मील योजना के तहत रसोइया जाह्नवी के लिए भोजन (मिड डे मील) भी बनाती थी. जो फिलहाल एक महीने से बंद है. बता दें कि पांचवी तक कक्षा वाले इस स्कूल की पहली व पांचवीं कक्षा में दो-दो, तीसरी में एक और चौथी में 4 छात्र-छात्राओं का नामांकन है. दूसरी कक्षा में कोई भी नामांकन नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट
Intro:बिहार में प्राथमिक शिक्षा का स्तर पहले से अच्छा हुआ लेकिन बेहतर नही हुआ है। बिहार के गया जिले की बात करे तो कही विद्यालय भवन विहीन हैं तो कही शिक्षक नही है और कही सबकुछ हैं लेकिन छात्र नही है। जिले के खिजरसराय प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय मनसा विगहा में हर रोज सिर्फ एक छात्र पढ़ने आती है।


Body:ईटीवी भारत ने जिले से कई ऐसी खबर को दिखाया होगा जहां प्राथिमक विद्यालय भवन विहीन हैं या शिक्षक पर्याप्त नही है लेकिन आज एक ऐसा स्कूल का जिक्र कर रहे हैं जहां स्कूल का भवन भी है शौचालय भी है और पर्याप्त शिक्षक भी हैं पर इस स्कूल में छात्र नदारद हैं। प्राथमिक विद्यालय मनसा बिगहा में नौ छात्र नामांकित हैं उसमें से सिर्फ एक छात्रा जाह्नवी पढ़ने आती है।

गया -खिजरसराय मुख्य सड़क मार्ग एनएच 83 के ठीक बगल में प्राथमिक विद्यालय स्थित हैं ,सरकारी विद्यालय में जो सारी सुविधाएं चाहिए सभी सुविधाएं सरकार ने मुहैया कर दिया फिर भी इस विद्यालय में छात्र पढ़ने नही आते हैं। अकेली विद्यालय में पढ़ रही है जाह्नवी ने बताया अकेले पढ़ने में मन नही लगता हैं। मैं हर रोज अकेले पढ़ने आती हूं कभी कभी एक दो छात्र आ जाते हैं पढ़ने। मुझे पढ़ाने के लिए सर और मैडम हैं।

मनसा विगहा गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय के शिक्षिका प्रियंका ने खुद के प्रयास से गांव में डोर टू डोर जाकर दो बच्चों को स्कूल लाने में सफलता पायी हैं। ये दोनों छात्र एक ही परिवार के हैं घर मे गरीबी हालात होने पर इनको निजी स्कूल से नाम कटवाना पड़ा था। शिक्षिका ने परिवार वालो को भरोसा दिलाया कि हमलोग अच्छी शिक्षा देगे इसी भरोसा से ये दो छात्र पढ़ने आ रहे हैं। प्रियंका बताती है इस स्कूल में नौ छात्र का नामांकन हैं हर रोज केवल जाह्नवी आती है। वर्ष 2011 तक स्कूल में 100 छात्र थे निजी स्कूलों के बढ़ते प्रभाव से 2012 से छात्रों की संख्या काफी घट गया तब से यही स्थिति बना हुआ है। हमलोग हर तरीके से प्रयास कर रहे हैं इस स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़े।


प्राथमिक विद्यालय मनसा विगहा बहुत पुराना स्कूल हैं कभी दलान और बगीचा में चलनेवाला स्कूल में सैकड़ों छात्र थे। छात्रों के संख्या को देखते हुए विभाग दो मंजिला भवन बनाया गया था। विद्यालय के वर्तमान स्थिति देखते हुए ग्रामीण कहते है इस स्कूल में पहले छात्र आते थे लेकिन पूर्व प्रभारी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नही दे सके जिसके वजह से छात्र यहां से पलायन कर निजी स्कूल में चल गए। स्कूल में पुनः गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिया जाने लगेगा पुनः छात्रों की संख्या बढ़ जाएगा।

प्राथमिक विद्यालय मनसा विगहा में एक छात्रा पढ़ने को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी मो.मुस्तफा हुसैन अंसारी से ईटीवी भारत ने बात की , डीईओ ने बताया मैं खुद आज उस विद्यालय का निरीक्षण किया हूं मैं दोनो शिक्षक को निर्देश दिया हूं गांव में जाकर शिक्षा से वंचित बच्चों को उनके घर जाकर नामांकन कीजिये। मैं आसपास के विद्यालयों के प्रभारी से अपील करूंगा इस स्कूल के अगल बगल में गांव के छात्रों को यहां शिफ्ट कर दे जिससे ये स्कूल भी संचालित ही सके।


Conclusion:आपको बता दे मनसा विगहा गांव में लगभग एक से पांचवा तक पढ़ाई करने वाले छात्र का संख्या लगभग 100 है। 100 बच्चों में से नौ बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं बाकी बच्चे निजी स्कूल में पढ़ाई करने जाते हैं। दूसरा कारण हैं मनसा गांव के आसपास में गांवों में अब सरकारी स्कूल खुलने से यहां छात्र ना के बराबर में आते हैं।
Last Updated : Feb 5, 2020, 10:23 PM IST
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