गया : बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है. पितृपक्ष मेले के 11 वें दिन आश्विन कृष्ण नवमी को सीताकुंड वेदी पर बालू से पिंडदान का विधान है. सीता कुंड वेदी पर माता, पितामही और प्रपितामही को बालू से पिंड दिया जाता है. वहीं, राम गया में भी आश्विन कृष्ण नवमी को श्राद्ध का विधान है.
ये भी पढ़ें- Pitru Paksha 2023 : राज्यपाल ने सात गोत्र में 121 कुल के उद्धार के लिए किया पिंडदान, विष्णुपद में 2 घंटे रुके
इस पिंडदान से जुड़ी है माता सीता की मान्यता : बालू का पिंड देने से माता सीता से जुड़ी मान्यता सीताकुंड की है, जो कि सदियों से चली आ रही है. बालू से पिंडदान से राजा दशरथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. रामायण काल से यहां मान्यता है, कि जो भी इस सीता कुंड वेदी पर बालू से ही पितरों का पिंडदान करेगा, उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी.
बालू से पिंडदान का विधान : आश्विन कृष्ण नवमी को सीताकुंड में बालू से पिंडदान का विधान है. त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वालों के लिए इस दिन सीता कुंड वेदी पर माता, पितामही और प्रपितामही को बालू के पिंड दिए जाते हैं. आश्विन कृष्ण नवमी को सीता कुंड पर बालू से पिंडदान के अलावे रामगंगा में श्राद्ध का विधान है.
माता सीता ने किया था राजा दशरथ का पिंडदान : सीता कुंड में माता सीता ने राजा दशरथ का बालू से पिंडदान किया था. सीता कुंड की कथा अनोखी और सदियों साल पुरानी है. सीता कुंड पिंडवेदी की कथा रामायण काल से जुड़ी हुई है. मान्यता है कि जब श्री राम, मां सीता और लक्ष्मण जी वनवास पर थे, तो उसे समय वे गया में सीता कुंड को पहुंचे थे. यहां पहुंचने के बाद माता सीता को बैठाकर श्री राम और लक्ष्मण जी दोनों राजा दशरथ के पिंडदान के लिए सामग्री लाने चले गए.
ये है मान्यता : माता सीता जब अकेली यहां थी, तो इस समय आकाशवाणी हुई और एक हाथ आया जो कि राजा दशरथ जी का सूक्ष्म स्वरूप था. आकाशवाणी में कहा गया कि पिंडदान कर दो. इसके बाद सीता माता बोली कि पिंडदान के लिए भगवान राम और लक्ष्मण जी सामग्री लाने गए हैं, तो राजा दशरथ जी की ओर से आवाज आई कि सूर्यास्त होने वाला है. सूर्यास्त के बाद स्वर्ग का फाटक बंद हो जाता है. इसके उपरांत माता सीता ने पांच को साक्षी मानते हुए बालू से राजा दशरथ का पिंडदान किया.
सीता कुंड में मौजूद है हाथ की प्रतिमा : इसके चिन्ह आज भी मौजूद हैं. राजा दशरथ के हाथ में पिंड स्वरूप की प्रतिमा रामायण काल से सीताकुंड में मौजूद है. गया जी की प्रमुख वेदियों में एक सीता कुंड है, जिसका महात्म्य काफी बड़ा है. यहां मात्र बालू से पिंडदान कर देने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
संबंधित खबरें:
Gaya Pitru Paksha Mela में सातवें दिन खीर के पिंड से श्राद्ध का विधान, भीष्म ने यहां किया था पिंडदान
Gaya Pitru Paksha Mela का छठा दिन आज, ब्रह्मसरोवर..आम्र सिंचन और काकबली का विधान