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AES से लड़ने के लिए तैयार है ANMMCH, बनाया गया 10 बेड का स्पेशल वार्ड

बिहार के मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इस साल सौ बेडों का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड बनकर तैयार हो गया है. पिछले साल हीट वेब की समीक्षा करने आए मुख्यमंत्री ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाने की घोषणा की थी.

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Published : Jun 23, 2020, 10:17 AM IST

Updated : Jun 23, 2020, 11:21 AM IST

गयाः बिहार में मानसून के पहले एईएस(चमकी बुखार) कहर बरपाने लगती है. बिहार में मुजफ्फरपुर के बाद गया जापानी बुखार का दूसरा सबसे बड़ा क्लस्टर है. जिले में जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) और अक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रॉम(एईएस ) से मरने वालों की संख्या सबसे अधिक है.

एईएस से कई बच्चों की मौत
मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जेई और एईएस को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है. मुजफ्फरपुर में एईएस का कहर शुरू हो गया है. इस साल भी एईएस से कई बच्चों की मौत हो रही है.

देखें रिपोर्ट

जापानी बुखार का असर
बिहार के दक्षिण क्षेत्र मगध इलाके में जेई और एईएस मानसून के बारिश के साथ आता है. पिछले साल मानसून के आगमन से यानी 20 जुलाई से जापानी बुखार के मरीज मिलने लगे थे. मगध क्षेत्र में सबसे ज्यादा गया और औरंगाबाद जिले में जापानी बुखार का असर देखने को मिलता है.

स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
पिछले साल 88 मरीज जेई और एईएस के भर्ती हुए थे जिसमें डेढ़ दर्जन मरीजों की मौत हो गई थी. इस साल गया जिला प्रशासन जिला स्वास्थ्य विभाग और अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल जेई और एईएस के लेकर काफी अलर्ट है.

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एएनएमएमसीएच शिशु विभाग

शिशु विभाग चालू
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड 19 के मरीजों के लिए सुरक्षित रखा गया है. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने काफी सतर्कता के साथ शिशु विभाग को चालू रखा है.

बढ़ाई जाएगी बेडों की संख्या
अस्पताल में जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाया गया है. इस संबंध में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि जेई और एईएस के लिए 10 बेड का स्पेशल वार्ड बनाया गया है. मरीजो की संख्या बढ़ने पर बेडों की संख्या बढ़ाई जाएगी.

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आइसीयू

ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था
डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि वार्ड के सभी बेड तक ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है. इस बीमारी से जुड़ी दवाइयां और बाकी जरूरत की सभी चीजें उपलब्ध हैं. अभी तक एईएस के छः मरीज भर्ती हुए थे जो ठीक होकर चले गए. उन्होंने बताया कि इसके बाद जेई का एक भी मरीज नहीं आया है.

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इमरजेंसी वार्ड

पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड
बिहार के मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इस साल सौ बेडों का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड बनकर तैयार हो गया है. पिछले साल हीट वेब की समीक्षा करने आए मुख्यमंत्री ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाने की घोषणा की थी.

इलाज के लिए अच्छी व्यवस्था
मुख्यमंत्री की घोषणा के एक साल बीत जाने के बाद भी इसपर काम नहीं हुआ. इस संबंध में बिहार सरकार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि मुजफ्फरपुर में जेई और एईएस के इलाज के लिए अच्छी व्यवस्था हो गई है.

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ANMMCH

दी गई 200 करोड़ रुपये की राशि
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि गया के मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जल्द ही बेहतर सुविधाएं मिलने लगेंगी. केंद्र सरकार ने मेडिकल अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए और स्पेशल वार्ड बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये की राशि दी है.

मुकम्मल तैयारी
मंत्री ने कहा कि जिला स्वास्थ्य विभाग ने जापानी बुखार से निपटने के लिए मुकम्मल तैयारी कर ली है. इसमें किसी तरह की कोई कमी नहीं रह गई है.

स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की घोषणा
गौरतलब है कि साल 2019 में जेई और एईएस से सिर्फ मुजफ्फरपुर में 100 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. जिसके बाद सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की घोषणा की थी.

नहीं बना एक बेड का भी वार्ड
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा था बिहार के सभी जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 10-10 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू बनेगा. इसके लिए पर्याप्त चिकित्सक और स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी बिहार के किसी जिले में जेई और एईएस के इलाज के लिए किसी प्रखंड में एक बेड का भी वार्ड नहीं बना.

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एईएस वार्ड में बच्चों का इलाज

क्या है एईएस
बिहार में हर साल कई बच्चे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) की चपेट में आ जाते हैं. जिससे उनकी मौत हो जाती है. यह एक तरह का दिमागी बुखार होता है. इसमें डिहाइड्रेशन, तेज बुखार, शरीर में ऐंठन. थकान और भूख में कमी जैसा लक्षण पाए जाते हैं.

खून में सुगर और सोडियम की कमी
हालांकि एक्सपर्ट अभी तक इसकी वजह नहीं पता कर पाए हैं. चमकी बुखार में बच्चों के खून में सुगर और सोडियम की कमी हो जाती है. जिससे सही समय पर इलाज नहीं होने पर उनकी मौत हो जाती है.

1995 से बच्चों को चपेट में ले रहा चमकी
बता दें कि यह बुखार 1995 से बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आते हैं. सरकार इससे लड़ने के लिए अपनी तरफ से कोशिश में लगी हुई है.

गयाः बिहार में मानसून के पहले एईएस(चमकी बुखार) कहर बरपाने लगती है. बिहार में मुजफ्फरपुर के बाद गया जापानी बुखार का दूसरा सबसे बड़ा क्लस्टर है. जिले में जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) और अक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रॉम(एईएस ) से मरने वालों की संख्या सबसे अधिक है.

एईएस से कई बच्चों की मौत
मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जेई और एईएस को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है. मुजफ्फरपुर में एईएस का कहर शुरू हो गया है. इस साल भी एईएस से कई बच्चों की मौत हो रही है.

देखें रिपोर्ट

जापानी बुखार का असर
बिहार के दक्षिण क्षेत्र मगध इलाके में जेई और एईएस मानसून के बारिश के साथ आता है. पिछले साल मानसून के आगमन से यानी 20 जुलाई से जापानी बुखार के मरीज मिलने लगे थे. मगध क्षेत्र में सबसे ज्यादा गया और औरंगाबाद जिले में जापानी बुखार का असर देखने को मिलता है.

स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
पिछले साल 88 मरीज जेई और एईएस के भर्ती हुए थे जिसमें डेढ़ दर्जन मरीजों की मौत हो गई थी. इस साल गया जिला प्रशासन जिला स्वास्थ्य विभाग और अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल जेई और एईएस के लेकर काफी अलर्ट है.

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एएनएमएमसीएच शिशु विभाग

शिशु विभाग चालू
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड 19 के मरीजों के लिए सुरक्षित रखा गया है. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने काफी सतर्कता के साथ शिशु विभाग को चालू रखा है.

बढ़ाई जाएगी बेडों की संख्या
अस्पताल में जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाया गया है. इस संबंध में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि जेई और एईएस के लिए 10 बेड का स्पेशल वार्ड बनाया गया है. मरीजो की संख्या बढ़ने पर बेडों की संख्या बढ़ाई जाएगी.

gaya
आइसीयू

ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था
डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि वार्ड के सभी बेड तक ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है. इस बीमारी से जुड़ी दवाइयां और बाकी जरूरत की सभी चीजें उपलब्ध हैं. अभी तक एईएस के छः मरीज भर्ती हुए थे जो ठीक होकर चले गए. उन्होंने बताया कि इसके बाद जेई का एक भी मरीज नहीं आया है.

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इमरजेंसी वार्ड

पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड
बिहार के मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में इस साल सौ बेडों का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड बनकर तैयार हो गया है. पिछले साल हीट वेब की समीक्षा करने आए मुख्यमंत्री ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जेई और एईएस के लिए स्पेशल वार्ड बनाने की घोषणा की थी.

इलाज के लिए अच्छी व्यवस्था
मुख्यमंत्री की घोषणा के एक साल बीत जाने के बाद भी इसपर काम नहीं हुआ. इस संबंध में बिहार सरकार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि मुजफ्फरपुर में जेई और एईएस के इलाज के लिए अच्छी व्यवस्था हो गई है.

gaya
ANMMCH

दी गई 200 करोड़ रुपये की राशि
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि गया के मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जल्द ही बेहतर सुविधाएं मिलने लगेंगी. केंद्र सरकार ने मेडिकल अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए और स्पेशल वार्ड बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये की राशि दी है.

मुकम्मल तैयारी
मंत्री ने कहा कि जिला स्वास्थ्य विभाग ने जापानी बुखार से निपटने के लिए मुकम्मल तैयारी कर ली है. इसमें किसी तरह की कोई कमी नहीं रह गई है.

स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की घोषणा
गौरतलब है कि साल 2019 में जेई और एईएस से सिर्फ मुजफ्फरपुर में 100 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. जिसके बाद सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की घोषणा की थी.

नहीं बना एक बेड का भी वार्ड
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा था बिहार के सभी जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 10-10 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू बनेगा. इसके लिए पर्याप्त चिकित्सक और स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी बिहार के किसी जिले में जेई और एईएस के इलाज के लिए किसी प्रखंड में एक बेड का भी वार्ड नहीं बना.

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एईएस वार्ड में बच्चों का इलाज

क्या है एईएस
बिहार में हर साल कई बच्चे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) की चपेट में आ जाते हैं. जिससे उनकी मौत हो जाती है. यह एक तरह का दिमागी बुखार होता है. इसमें डिहाइड्रेशन, तेज बुखार, शरीर में ऐंठन. थकान और भूख में कमी जैसा लक्षण पाए जाते हैं.

खून में सुगर और सोडियम की कमी
हालांकि एक्सपर्ट अभी तक इसकी वजह नहीं पता कर पाए हैं. चमकी बुखार में बच्चों के खून में सुगर और सोडियम की कमी हो जाती है. जिससे सही समय पर इलाज नहीं होने पर उनकी मौत हो जाती है.

1995 से बच्चों को चपेट में ले रहा चमकी
बता दें कि यह बुखार 1995 से बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आते हैं. सरकार इससे लड़ने के लिए अपनी तरफ से कोशिश में लगी हुई है.

Last Updated : Jun 23, 2020, 11:21 AM IST
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