पूर्वी चंपारण (मोतिहारी): किसी ने सच ही कहा है कि "कामयाबी का तो जुनून होना चाहिए, फिर मुश्किलों की क्या औकात" इन पंक्तियों को जिला के ढाका की रहने वाली जैनब बेगम ने अपने जज्बे से सही साबित कर दिया है. कोरोना संक्रमण को लेकर हुए लॉकडाउन पीरियड में जैनब और उनके पिता की नौकरी छूट गई. तब उसने मात्र 400 रुपये की पूंजी से मशरूम की खेती शुरू की और आज उसकी पूंजी 80 हजार रुपये की हो गई है. वहीं, जैनब ने कुछ लोगों को अपने मशरूम की खेती में रोजगार दिया है और वह अपने काम को बढ़ाना चाहती है. ताकि अधिक लोगों को वह रोजगार दे सके. हालांकि, बिना किसी सरकारी मदद के खुद की मेहनत के बदौलत "मशरूम गर्ल" बनी जैनब की कहानी बेरोजगार युवकों को प्रेरित करने वाली है.
नौकरी की तलाश में जैनब ने जाना महरुम की खेती
बता दें कि उर्दू में एमए करने के बाद जैनब बेगम एक कंपनी में नौकरी कर रही थी. जैनब की नौकरी लॉकडाउन में छूट गई. दूसरी ओर उसके सेल्समैन पिता की नौकरी भी चली गई. चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी जैनब नौकरी छूटने के बाद ढाका थाना क्षेत्र स्थित अपने गांव बड़हरवा फत्ते चली आई. घर में फांकाकस्सी की स्थिति आने वाली थी. तो जैनब लॉकडाउन टूटने के बाद नौकरी की तलाश में वह बस से पटना जा रही थी. बस में ही मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग लिए लोग आपस में बात कर रहे थे. मशरूम के बारे में लोगों की बातों को सुनकर वह पूसा चली गई और वहां से मशरूम की खेती के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी ली.
दो किलो बीज से शुरू की मशरूम की खेती
पूसा से उसने मशरूम की तस्वीरों को मोबाइल में कैद कर लिया और ऑनलाइन मशरूम की खेती के बारे में सीखा. फिर वह पटना आई और पटना में उसने दो किलोग्राम मिल्की मशरूम का बीज खरीदा. क्योंकि जून-जुलाई में मिल्की मशरूम की खेती होती है. वह दस बैग में मशरूम का स्पॉन लगाई. उसके बाद उसने 100 बैग में मशरूम लगाया. मार्केटिंग भी उसने खुद की और अब उसके पास मशरूम के लिए व्यापारी खुद संपर्क करते हैं. मशरूम की खेती से जैनब बेगम वर्तमान में 25 से 30 हजार रुपया खुद कमा रही है. जैनब ने अपने काम को बढ़ाने के लिए मोतिहारी का रुख किया और तत्कालिन स्थानीय विधायक फैसल रहमान के पहल पर शहर से सटे जमला में उसे जगह मिल गया. जहां वह अपनी सफलता की नई कहानी लिख रही है.
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कृषि विभाग ने दिया सरकारी मदद का भरोसा
जैनब की अपनी जिजीविषा के बदौलत सफलता पाने की कहानी जब कृषि विभाग के अधिकारियों को लगी. तब आत्मा के परियोजना निदेशक रणवीर सिंह उसके मशरूम की खेती देखने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने जैनब बेगम को सरकारी मदद देने की बात कही है.
जमला में मशरूम की खेती के लिए मिला जगह
वहीं, शहर से सटे जमला में जैनब को मशरूम की खेती के लिए जगह देने वाले मुकेश सिंह ने बताया कि जैनब शिक्षित महिला है और लॉकडाउन में वह बेरोजगार हो गई थी. उन्होंने बताया कि ढाका विधायक ने मशरूम की खेती के लिए जैनब को जगह देने की बात कही. तो उन्हें अपना खाली पड़ा शेड दे दिया. लेकिन उसका भाड़ा वह नहीं लेते हैं.
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नेपाल में जैनब तलाश रही है बाजार
जैनब बेगम अपने मशरूम की खेती में ही अपना भविष्य देख रही हैं. साथ ही बरोजगार युवकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वह अपने काम को बढ़ाने में लगी हैं. जैनब ने पड़ोसी देश नेपाल में अपने उत्पादित मशरूम को बेचने के लिए बाजार तलाशना शुरू कर दिया है. वक्त के पहिए को अपनी कर्मठता और हठ से जैनब अपने हिसाब से मोड़ रही है. जो उसके सफलता की गाड़ी के पहिया बने हुए हैं.