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मोतिहारी: पति की मौत के बाद धरना देने को मजबूर विधवा, परिवार समेत कर रही न्याय की मांग

मोतिहारी व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता उमाशंकर प्रसाद पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे थे. उमाशंकर प्रसाद की मृत्यु 28 जून को हो गई. लेकिन, अधिवक्ता संध से मृतक के परिवार को मिलने वाला लाभांश अब तक नहीं मिला है.

धरना देती महिला
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Published : Jul 2, 2019, 8:01 AM IST

मोतिहारी: जिले में दूसरों को न्याय दिलाने वाले महरुम अधिवक्ता का परिवार न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है. पूरा परिवार अधिवक्ता संघ के कार्यालय के सामने बैठकर धरना दे रहा है. अपने पति के लाभांश को जिला विधिज्ञ संघ से लेने के लिए वह हक की लड़ाई लड़ रही है.

पूरा मामला
दरअसल, मोतिहारी व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता उमाशंकर प्रसाद पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे थे. उमाशंकर प्रसाद की मृत्यु 28 जून को हो गई. लेकिन, अधिवक्ता संध से मृतक के परिवार को मिलने वाला लाभांश अब तक नहीं मिला है. जिस कारण उनकी विधवा पत्नी मनोरमा वर्मा अपने दो पुत्रों के साथ न्याय की भीख मांग रही है. विधवा मनोरमा हाथों में तख्ती लिए न्याय की मांग को लेकर जिला विधिज्ञ संघ कार्यालय के सामने धरना दे रही है.

'धरना रहेगा जारी'
मनोर्मा वर्मा ने कहा कि उनके पति अपनी पूरी जिन्दगी इस कोर्ट में लोगों की हक के लिए लड़ते रहे. लोगों को न्याय दिलाने में उन्होंने अपनी जिन्दगी तक को कुर्बान कर दिया. लेकिन, जब उनको न्याय मिलने की बारी आई तो जिला विधिज्ञ संघ बातों को दरकिनार कर रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांग को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक वह बच्चों के साथ बैठकर धरना देती रहेंगी.

संघ पर मनमानी का आरोप
इस मामले में अधिवक्ता रमाकांत सिंह राकेश ने बताया कि मनोरमा देवी के मामले में विधिज्ञ संघ के पदाधिकारियों ने संघ के चुनाव को लेकर जारी किए गए आचार संहिता के कारण कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि जिस इन्सान ने पूरी जिन्दगी खुद को कोर्ट को समर्पित कर दिया. उसका परिवार आज इन्साफ के लिए भटक रहा है. जिला विधिज्ञ संघ मनमानी कर रहा है.

इस कारण कतरा रहा विभाग
आपको बता दें कि उमाशंकर प्रसाद का स्वास्थ्य 2002 से ही खराब था. इस दौरान जिला विधिज्ञ संघ ने ईलाज कराने के लिए संघ के कोष से पैसा दिया था. बताया जा रहा है कि साल 2006 से उमाशंकर प्रसाद ने अपनी सदस्यता शुल्क जमा नहीं कराया था. जिस कारण उमाशंकर सिंह के मृत्यु के बाद जिला विधिज्ञ संघ लाभांश देने से कतरा रहा है.

मोतिहारी: जिले में दूसरों को न्याय दिलाने वाले महरुम अधिवक्ता का परिवार न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है. पूरा परिवार अधिवक्ता संघ के कार्यालय के सामने बैठकर धरना दे रहा है. अपने पति के लाभांश को जिला विधिज्ञ संघ से लेने के लिए वह हक की लड़ाई लड़ रही है.

पूरा मामला
दरअसल, मोतिहारी व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता उमाशंकर प्रसाद पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे थे. उमाशंकर प्रसाद की मृत्यु 28 जून को हो गई. लेकिन, अधिवक्ता संध से मृतक के परिवार को मिलने वाला लाभांश अब तक नहीं मिला है. जिस कारण उनकी विधवा पत्नी मनोरमा वर्मा अपने दो पुत्रों के साथ न्याय की भीख मांग रही है. विधवा मनोरमा हाथों में तख्ती लिए न्याय की मांग को लेकर जिला विधिज्ञ संघ कार्यालय के सामने धरना दे रही है.

'धरना रहेगा जारी'
मनोर्मा वर्मा ने कहा कि उनके पति अपनी पूरी जिन्दगी इस कोर्ट में लोगों की हक के लिए लड़ते रहे. लोगों को न्याय दिलाने में उन्होंने अपनी जिन्दगी तक को कुर्बान कर दिया. लेकिन, जब उनको न्याय मिलने की बारी आई तो जिला विधिज्ञ संघ बातों को दरकिनार कर रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांग को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक वह बच्चों के साथ बैठकर धरना देती रहेंगी.

संघ पर मनमानी का आरोप
इस मामले में अधिवक्ता रमाकांत सिंह राकेश ने बताया कि मनोरमा देवी के मामले में विधिज्ञ संघ के पदाधिकारियों ने संघ के चुनाव को लेकर जारी किए गए आचार संहिता के कारण कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि जिस इन्सान ने पूरी जिन्दगी खुद को कोर्ट को समर्पित कर दिया. उसका परिवार आज इन्साफ के लिए भटक रहा है. जिला विधिज्ञ संघ मनमानी कर रहा है.

इस कारण कतरा रहा विभाग
आपको बता दें कि उमाशंकर प्रसाद का स्वास्थ्य 2002 से ही खराब था. इस दौरान जिला विधिज्ञ संघ ने ईलाज कराने के लिए संघ के कोष से पैसा दिया था. बताया जा रहा है कि साल 2006 से उमाशंकर प्रसाद ने अपनी सदस्यता शुल्क जमा नहीं कराया था. जिस कारण उमाशंकर सिंह के मृत्यु के बाद जिला विधिज्ञ संघ लाभांश देने से कतरा रहा है.

Intro:मोतिहारी।न्यायालय से दुसरों को न्याय दिलाने वाले मरहुम अधिवक्ता का परिवार न्याय के लिए अधिवक्ता संध के कार्यालय के सामने बैठ गई है।धरना दे रहे परिवार के मामले को लेकर जिला विधिज्ञ संघ के अधिकारी और व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता आमने सामने आ गए हैं।लिहाजा,व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से खुद को दुर रखा।


Body:वीओ..1..दरअसल,उमाशंकर प्रसाद मोतिहारी व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ता थे।पिछले कई बर्षों से बीमार चल रहे उमाशंकर प्रसाद की मृत्यु 28 जून को हो गई।लेकिन अधिवक्ता संध से मृतक परिवार को मिलने वाला लाभांश नहीं मिल सका।जिसकारण उमाशंकर प्रसाद की विधवा मनोरमा वर्मा अपने दो पुत्रों के साथ हाथों में तख्ती लिए न्याय की मांग को लेकर जिला विधिज्ञ संघ कार्यालय के सामने बैठ गई।पिता का क्रिया कर्म कर रहे पुत्र के साथ धरना पर बैठी मनोरमा वर्मा ने कहा कि विधिज्ञ संघ कार्यालय में ताला लगेगा या उन्हे न्याय मिलेगा।

बाईट....मनोरमा वर्मा...धरना पर बैठी


Conclusion:वीओ...2..मनोरमा देवी के मामले में विधिज्ञ संघ के पदाधिकारियों ने संघ के चुनाव को लेकर जारी किए गए आचार संहिता के कारण कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।इधर मनोरमा देवी के मामले में जिला विधिज्ञ संघ और व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता आमने-सामने आ गए हैं।लिहाजा, अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से अपने आपको दूर रखते हुए विधिज्ञ संघ के अधिकारियों पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हैं।साथ हीं कुछ अधिवक्ता भी संघ पर दबाब बनाने के लिए मनोरमा वर्मा के साथ धरना पर बैठ गए।हालांकि,मनोरमा वर्मा के मामले में जिला विधिज्ञ संघ से जुड़े अधिवक्ताओं की आपात बैठक आयोजित की गई।जिसमें निर्णय नहीं हो सका है।

बाईट.....रामाकंत सिंह राकेश.....अधिवक्ता

वीओएफ...बहरहाल,उमाशंकर प्रसाद का स्वास्थ्य बर्ष 2002 से खराब हुआ था और उन्होने बिस्तर पकड़ लिया।उस दौरान जिला विधिज्ञ संघ ने ईलाज कराने के लिए संघ के कोष से पैसा दिया था।इधर बर्ष 2006 से उमाशंकर प्रसाद ने अपने सदस्यता शुल्क जमा नही कराया और रशीद भी नहीं कटाया था।जिस आधार पर उमाशंकर सिंह के मृत्यु के पश्चात जिला विधिज्ञ संघ लाभांश देने से कतरा रहा है।हालांकि,मनोरमा वर्मा के साथ अधिकांश अधिवक्ताओं का एक गुट खड़ा है।लेकिन अब लोगों की नजर इस बात पर है कि पीड़ित परिवार के दर्द को मानवता के आधार पर जिला विधिज्ञ संघ महसूस करती है अथवा उन्हे अपने हाल पर छोड़ देती है।
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