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मोतिहारी : भारत-नेपाल की सर्वे टीम ने की गुआबारी तटबंध के विवादित हिस्से की मापी

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Published : Jul 5, 2020, 9:45 AM IST

सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर बब्बन सिंह ने बताया कि सरकार के स्तर से अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. उन्होने बताया कि सर्वे टीम ने तटबंध के 14 स्थानों पर सीमांकन किया है.

बिहार
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मोतिहारी: भारत-नेपाल सीमा पर चल रहे तनावपूर्ण संबंध के बीच पूर्वी चंपारण जिला के बलुआ गुआबारी तटबंध के सर्वे का काम पूरा हो गया है. भारत और नेपाल की सर्वेक्षण टीम ने जिले के ढाका प्रखंड स्थित लालबकेया नदी के पश्चिमी तटबंध पर सर्वे और मापी की. इस दौरान दोनों देश की सर्वे टीम के अलावा अधिकारियों की टीम भी मौजूद थी. भारत की तरफ से सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अलावा अनुमंडल और प्रखंड स्तर के अधिकारी मौजूद थे.

सर्वे टीम ने 14 स्थानों पर किया है सीमांकन
सर्वेक्षण के दौरान मौके पर मौजूद अधिकारियों के अनुसार देहरादून के दो सदस्यीय भूमि सर्वेक्षण दल ने नेपाल के सर्वेक्षण टीम के साथ सर्वे और भूमि मापी का कार्य किया है. हालांकि, सर्वे करने आए देहरादून की सर्वेक्षण टीम के सदस्यों ने कुछ भी बताने से इंकार किया. लेकिन जिला स्तरीय अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले दस दिनों में सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट आ जाएगी. उसके बाद ही तटबंध के विवादित हिस्से के निर्माण और मरम्मती को लेकर कोई निर्णय लिया जा सकता है.

सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर बब्बन सिंह ने बताया कि सरकार के स्तर से अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. उन्होने बताया कि सर्वे टीम ने तटबंध के 14 स्थानों पर सीमांकन किया है.

500 मीटर के तटबंध पर नेपाल कर रहा है दावा

बता दें कि बरसात के दिनों में लालबकेया नदी के कहर से भारतीय परिक्षेत्र के लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार ने तटबंध का निर्माण किया है. लालबकेया नदी पर बने 4.11 किलोमीटर लंबे तटबंध की मरम्मती और निर्माण का कार्य प्रतिवर्ष मानसून शुरू होने से पूर्व होता है. इस साल तटबंध की मरम्मती के अलावा उसकी ऊंचाई को बढ़ाने का कार्य चल रहा था, लेकिन तटबंध के 3.1 किलोमीटर से लेकर 3.6 किलोमीटर के बीच के मरम्मती और ऊंचाई बढ़ाने के काम का नेपाल ने विरोध किया. साथ ही तटबंध के लगभग 500 मीटर की लंबाई को अपनी भूमि बताकर नेपाल ने काम रुकवा दिया.

सर्वे टीम की अंतिम रिपोर्ट का प्रशासन को इंतजार

लालबकेया नदी पर बना तटबंध गुआबारी के रेलवे लाईन ऑफिस घाट से बलुआ गांव के सामने तक 4.11 किलोमीटर में बना हुआ है. लेकिन भारत-नेपाल सीमा को दर्शाने वाले पिलर संख्या 346 और 347 के बीच 500 की लंबाई पर नेपाल ने अपना दावा करते हुए तटबंध के मरम्मती का काम बाधित कर दिया.

दोनों देशों की सर्वे टीम ने किया सर्वेक्षण का काम पूरा

लिहाजा जिलाधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, नेपाल में महावाणिज्य दूतावास और बिहार सरकार को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया. उसके बाद दोनो देशों के अधिकारियों की हुई बैठक में सर्वेक्षण टीम द्वारा सर्वे कर लेने के बाद तटबंध मरम्मती का काम शुरु करने का निर्णय हुआ. दोनों देशों की सर्वे टीम ने सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है. जिला प्रशासन सर्वेक्षण टीम के रिपोर्ट के आधार पर सरकार के निर्देश का इंतजार कर रही है.

आपको बता दें कि यह पूरी कवायद लालबकेया नदी के पश्चिमी छोर पर बने तटबंध की मरम्मती कार्य पर नेपाल की ओर से रोक लगाए जाने के बाद शुरू हुई है. जहां नेपाल ने तटबंध के 500 मीटर की लंबाई को अपनी भूमि बताकर काम रुकवा दिया था.

मोतिहारी: भारत-नेपाल सीमा पर चल रहे तनावपूर्ण संबंध के बीच पूर्वी चंपारण जिला के बलुआ गुआबारी तटबंध के सर्वे का काम पूरा हो गया है. भारत और नेपाल की सर्वेक्षण टीम ने जिले के ढाका प्रखंड स्थित लालबकेया नदी के पश्चिमी तटबंध पर सर्वे और मापी की. इस दौरान दोनों देश की सर्वे टीम के अलावा अधिकारियों की टीम भी मौजूद थी. भारत की तरफ से सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अलावा अनुमंडल और प्रखंड स्तर के अधिकारी मौजूद थे.

सर्वे टीम ने 14 स्थानों पर किया है सीमांकन
सर्वेक्षण के दौरान मौके पर मौजूद अधिकारियों के अनुसार देहरादून के दो सदस्यीय भूमि सर्वेक्षण दल ने नेपाल के सर्वेक्षण टीम के साथ सर्वे और भूमि मापी का कार्य किया है. हालांकि, सर्वे करने आए देहरादून की सर्वेक्षण टीम के सदस्यों ने कुछ भी बताने से इंकार किया. लेकिन जिला स्तरीय अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले दस दिनों में सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट आ जाएगी. उसके बाद ही तटबंध के विवादित हिस्से के निर्माण और मरम्मती को लेकर कोई निर्णय लिया जा सकता है.

सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर बब्बन सिंह ने बताया कि सरकार के स्तर से अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. उन्होने बताया कि सर्वे टीम ने तटबंध के 14 स्थानों पर सीमांकन किया है.

500 मीटर के तटबंध पर नेपाल कर रहा है दावा

बता दें कि बरसात के दिनों में लालबकेया नदी के कहर से भारतीय परिक्षेत्र के लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार ने तटबंध का निर्माण किया है. लालबकेया नदी पर बने 4.11 किलोमीटर लंबे तटबंध की मरम्मती और निर्माण का कार्य प्रतिवर्ष मानसून शुरू होने से पूर्व होता है. इस साल तटबंध की मरम्मती के अलावा उसकी ऊंचाई को बढ़ाने का कार्य चल रहा था, लेकिन तटबंध के 3.1 किलोमीटर से लेकर 3.6 किलोमीटर के बीच के मरम्मती और ऊंचाई बढ़ाने के काम का नेपाल ने विरोध किया. साथ ही तटबंध के लगभग 500 मीटर की लंबाई को अपनी भूमि बताकर नेपाल ने काम रुकवा दिया.

सर्वे टीम की अंतिम रिपोर्ट का प्रशासन को इंतजार

लालबकेया नदी पर बना तटबंध गुआबारी के रेलवे लाईन ऑफिस घाट से बलुआ गांव के सामने तक 4.11 किलोमीटर में बना हुआ है. लेकिन भारत-नेपाल सीमा को दर्शाने वाले पिलर संख्या 346 और 347 के बीच 500 की लंबाई पर नेपाल ने अपना दावा करते हुए तटबंध के मरम्मती का काम बाधित कर दिया.

दोनों देशों की सर्वे टीम ने किया सर्वेक्षण का काम पूरा

लिहाजा जिलाधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, नेपाल में महावाणिज्य दूतावास और बिहार सरकार को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया. उसके बाद दोनो देशों के अधिकारियों की हुई बैठक में सर्वेक्षण टीम द्वारा सर्वे कर लेने के बाद तटबंध मरम्मती का काम शुरु करने का निर्णय हुआ. दोनों देशों की सर्वे टीम ने सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है. जिला प्रशासन सर्वेक्षण टीम के रिपोर्ट के आधार पर सरकार के निर्देश का इंतजार कर रही है.

आपको बता दें कि यह पूरी कवायद लालबकेया नदी के पश्चिमी छोर पर बने तटबंध की मरम्मती कार्य पर नेपाल की ओर से रोक लगाए जाने के बाद शुरू हुई है. जहां नेपाल ने तटबंध के 500 मीटर की लंबाई को अपनी भूमि बताकर काम रुकवा दिया था.

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