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मोतिहारी: ढाका सीट से RLSP प्रत्याशी रामपुकार सिन्हा ने किया नामांकन, किया जीत का दावा

ढाका विधानसभा क्षेत्र से रालोसपा प्रत्याशी रामपुकार सिन्हा ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया. रामपुकार सिन्हा हाल ही में जदयू से अलग होकर रालोसपा का दामन थामे हैं.

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Published : Oct 17, 2020, 2:53 AM IST

मोतिहारी
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मोतिहारी: पूर्वी चंपारण के ढाका विधानसभा क्षेत्र से रालोसपा प्रत्याशी रामपुकार सिन्हा ने शुक्रवार को नामांकन किया. वह जदयू के बागी नेता हैं. ढाका विधानसभा क्षेत्र भाजपा के कोटे में चले जाने से नाराज रामपुकार सिन्हा ने जदयू से बगावत कर रालोसपा का दामन थाम लिया.

रामपुकार ने किया जीत का दावा
रालोसपा के टिकट पर नामांकन के बाद रामपुकार सिन्हा ने अपनी जीत का दावा किया और ढाका विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर रहने की बात कही. एनडीए नेताओं की ओर से उन्हें डमी उम्मीदवार कहे जाने पर उन्होंने कहा कि ढाका में एनडीए को उन्होंने ही पहचान दिलाई है और पैसा के बल पर सीट बदलवाने वालों को जनता इस चुनाव में सबक सिखाएगी. रामपुकार सिन्हा ने बिना नाम लिए कहा कि उनके खिलाफ लड़ रहा एक उम्मीदवार पैसा देकर टिकट लाया है और एक उम्मीदवार को अय्याशी करने से फुर्सत नहीं है.

पेश है रिपोर्ट

वर्ष 2015 में निर्दलीय लड़ा था चुनाव
बता दें कि रामपुकार सिन्हा ने शिक्षक की नौकरी छोड़कर रालोसपा की राजनीति शुरू की थी. वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में रालोसपा ने रामपुकार सिन्हा को टिकट नहीं दिया. जिस कारण उन्होंने ढाका विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा और बीस हजार से अधिक वोट लाकर वह तीसरे स्थान पर रहे. उसके बाद वर्ष 2017 में रामपुकार सिन्हा ने जदयू का दामन थाम लिया. लेकिन एनडीए में हुए सीट बंटवारें में ढाका विधानसभा क्षेत्र भाजपा की झोली में चला गया. जिससे नाराज रामपुकार सिन्हा एक बार फिर अपने पुराने घर में लौट आए और रालोसपा के टिकट पर ढाका विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरे हैं.

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण के ढाका विधानसभा क्षेत्र से रालोसपा प्रत्याशी रामपुकार सिन्हा ने शुक्रवार को नामांकन किया. वह जदयू के बागी नेता हैं. ढाका विधानसभा क्षेत्र भाजपा के कोटे में चले जाने से नाराज रामपुकार सिन्हा ने जदयू से बगावत कर रालोसपा का दामन थाम लिया.

रामपुकार ने किया जीत का दावा
रालोसपा के टिकट पर नामांकन के बाद रामपुकार सिन्हा ने अपनी जीत का दावा किया और ढाका विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर रहने की बात कही. एनडीए नेताओं की ओर से उन्हें डमी उम्मीदवार कहे जाने पर उन्होंने कहा कि ढाका में एनडीए को उन्होंने ही पहचान दिलाई है और पैसा के बल पर सीट बदलवाने वालों को जनता इस चुनाव में सबक सिखाएगी. रामपुकार सिन्हा ने बिना नाम लिए कहा कि उनके खिलाफ लड़ रहा एक उम्मीदवार पैसा देकर टिकट लाया है और एक उम्मीदवार को अय्याशी करने से फुर्सत नहीं है.

पेश है रिपोर्ट

वर्ष 2015 में निर्दलीय लड़ा था चुनाव
बता दें कि रामपुकार सिन्हा ने शिक्षक की नौकरी छोड़कर रालोसपा की राजनीति शुरू की थी. वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में रालोसपा ने रामपुकार सिन्हा को टिकट नहीं दिया. जिस कारण उन्होंने ढाका विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा और बीस हजार से अधिक वोट लाकर वह तीसरे स्थान पर रहे. उसके बाद वर्ष 2017 में रामपुकार सिन्हा ने जदयू का दामन थाम लिया. लेकिन एनडीए में हुए सीट बंटवारें में ढाका विधानसभा क्षेत्र भाजपा की झोली में चला गया. जिससे नाराज रामपुकार सिन्हा एक बार फिर अपने पुराने घर में लौट आए और रालोसपा के टिकट पर ढाका विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरे हैं.

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