मोतिहारीः जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के नाम पर गरीबों की दुकान और झोपड़ी को तो हटाया दिया. लेकिन इसी जमीन पर रसूखदारों की खड़ी दुकानों और मकानों पर जिला प्रशासन का बुलडोजर खामोश हो गया है. लिहाजा, स्थानीय लोग जिला प्रशासन के इस अभियान पर अब सवाल खड़े कर रहे हैं.
अतिक्रमणमुक्त हो रही मोतीझील
पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी की पहचान मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त करने के अभियान पर अब सवाल उठने लगे हैं. मोतीझील की जमीन को अतिक्रमित कर झोपड़ी बनाकर रहने वाले वाले गरीबों के आशियाने को उजाड़ दिया गया है. लेकिन मोतीझील के जमीन पर बने सरकारी कार्यालय और रसूखदारों की खड़ी इमारतें इस अभियान से बची हुई हैं.
जमीन खाली करने का है सरकारी फरमान
दरअसल, बिहार सरकार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत हर तरह के जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त और पुर्नजीवित करने का निर्देश सभी जिला प्रशासन को दिया है. लिहाजा, मोतिहारी जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक मोतीझील को पुराने स्वरूप में लाने के लिए उसकी अतिक्रमित भूमि को खाली कराने का अभियान चालाया है.
रसूखदारों के महल अभी भी हैं खड़े
जिला प्रशासन ने यह अभियान 14 दिसंबर से शुरू किया है. लेकिन प्रशासन का यह अभियान सवालों के घेरे में है. प्रशासन ने मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के नाम पर केवल गरीबों की दुकान और झोपड़ी को हटाया है. लेकिन बड़े लोगों की दुकान और मकान पर जिला प्रशासन का बुलडोजर नहीं चला. जिससे लोग अब जिला प्रशासन के इस अतिक्रमणमुक्त अभियान पर सवाल खड़ा करने लगे हैं.
इसी जमीन पर है नगर परिषद का कार्यालय
मोतीझील की जमीन का अतिक्रमण केवल रसूखदारों और आम लोगों ने ही नहीं किया है. बल्कि मोतिहारी नगर परिषद भी मोतीझील के जमीन का सबसे बड़ा अतिक्रमणकारी है. क्योंकि नगर परिषद के कार्यालय का अधिकांश भाग मोतीझील की जमीन पर ही है.
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सभी को खाली करना होगा मोतीझील
स्थानीय लोगों का कहना है कि केवल गरीबों की झोपड़ियों को उजाड़ देने से मोतीझील का पुराना स्वरुप नहीं लौट सकता, मोतीझील के पास खड़े सरकारी कार्यालय और बड़े लोगों के मकानों को भी हाटाया जाए. तभी यह पूरी तरह अतिक्रमणमुक्त होगा. इस सिलसिले में जब डीएम रमण कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नगर परिषद हो या कोई भी रसूखदार, सभी को मोतीझील की अतिक्रमित भूमि को खाली करना होगा.
158 अतिक्रमणकारी हुए हैं चिन्हित
बता दें कि मोतीझील का 487 एकड़ का रकबा अतिक्रमणकारियों के कारण सिकुड़कर 300 एकड़ रह गया है. जिला प्रशासन ने 158 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित भी किया है. अब मोतीझील की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर उसे पुराने स्वरुप में लाना जिला प्रशासन के लिए काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है. अब देखना है कि जिला प्रशासन मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त कराने के अपने दृढ़ निश्चय पर कितना खरा उतरती है.