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मोतिहारी: अतिक्रमण हटाओ अभियान पर लोगों के सवाल- सिर्फ गरीबों के ही क्यों उजड़ रहे आशियाने?

लोगों का कहना है कि केवल गरीबों की झोपड़ियों को उजाड़ देने से मोतीझील का पुराना स्वरुप नहीं लौट सकता, मोतीझील के पास खड़े सरकारी कार्यालय और बड़े लोगों के मकानों को भी हाटाया जाना चाहिए.

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Published : Dec 19, 2019, 11:45 AM IST

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डिजाइन फोटो

मोतिहारीः जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के नाम पर गरीबों की दुकान और झोपड़ी को तो हटाया दिया. लेकिन इसी जमीन पर रसूखदारों की खड़ी दुकानों और मकानों पर जिला प्रशासन का बुलडोजर खामोश हो गया है. लिहाजा, स्थानीय लोग जिला प्रशासन के इस अभियान पर अब सवाल खड़े कर रहे हैं.

अतिक्रमणमुक्त हो रही मोतीझील
पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी की पहचान मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त करने के अभियान पर अब सवाल उठने लगे हैं. मोतीझील की जमीन को अतिक्रमित कर झोपड़ी बनाकर रहने वाले वाले गरीबों के आशियाने को उजाड़ दिया गया है. लेकिन मोतीझील के जमीन पर बने सरकारी कार्यालय और रसूखदारों की खड़ी इमारतें इस अभियान से बची हुई हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

जमीन खाली करने का है सरकारी फरमान
दरअसल, बिहार सरकार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत हर तरह के जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त और पुर्नजीवित करने का निर्देश सभी जिला प्रशासन को दिया है. लिहाजा, मोतिहारी जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक मोतीझील को पुराने स्वरूप में लाने के लिए उसकी अतिक्रमित भूमि को खाली कराने का अभियान चालाया है.

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गरीबों की झोपड़ियों पर चलता बुलडोजर

रसूखदारों के महल अभी भी हैं खड़े
जिला प्रशासन ने यह अभियान 14 दिसंबर से शुरू किया है. लेकिन प्रशासन का यह अभियान सवालों के घेरे में है. प्रशासन ने मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के नाम पर केवल गरीबों की दुकान और झोपड़ी को हटाया है. लेकिन बड़े लोगों की दुकान और मकान पर जिला प्रशासन का बुलडोजर नहीं चला. जिससे लोग अब जिला प्रशासन के इस अतिक्रमणमुक्त अभियान पर सवाल खड़ा करने लगे हैं.

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ऐतिहासिक मोतीझील

इसी जमीन पर है नगर परिषद का कार्यालय
मोतीझील की जमीन का अतिक्रमण केवल रसूखदारों और आम लोगों ने ही नहीं किया है. बल्कि मोतिहारी नगर परिषद भी मोतीझील के जमीन का सबसे बड़ा अतिक्रमणकारी है. क्योंकि नगर परिषद के कार्यालय का अधिकांश भाग मोतीझील की जमीन पर ही है.

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मौके पर मौजूद प्रशासन

ये भी पढ़ेंः नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : प्लास्टिक कचरा लाओ, भरपेट खाना खाओ

सभी को खाली करना होगा मोतीझील
स्थानीय लोगों का कहना है कि केवल गरीबों की झोपड़ियों को उजाड़ देने से मोतीझील का पुराना स्वरुप नहीं लौट सकता, मोतीझील के पास खड़े सरकारी कार्यालय और बड़े लोगों के मकानों को भी हाटाया जाए. तभी यह पूरी तरह अतिक्रमणमुक्त होगा. इस सिलसिले में जब डीएम रमण कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नगर परिषद हो या कोई भी रसूखदार, सभी को मोतीझील की अतिक्रमित भूमि को खाली करना होगा.

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उजड़ती झोपड़ियां

158 अतिक्रमणकारी हुए हैं चिन्हित
बता दें कि मोतीझील का 487 एकड़ का रकबा अतिक्रमणकारियों के कारण सिकुड़कर 300 एकड़ रह गया है. जिला प्रशासन ने 158 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित भी किया है. अब मोतीझील की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर उसे पुराने स्वरुप में लाना जिला प्रशासन के लिए काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है. अब देखना है कि जिला प्रशासन मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त कराने के अपने दृढ़ निश्चय पर कितना खरा उतरती है.

मोतिहारीः जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के नाम पर गरीबों की दुकान और झोपड़ी को तो हटाया दिया. लेकिन इसी जमीन पर रसूखदारों की खड़ी दुकानों और मकानों पर जिला प्रशासन का बुलडोजर खामोश हो गया है. लिहाजा, स्थानीय लोग जिला प्रशासन के इस अभियान पर अब सवाल खड़े कर रहे हैं.

अतिक्रमणमुक्त हो रही मोतीझील
पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी की पहचान मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त करने के अभियान पर अब सवाल उठने लगे हैं. मोतीझील की जमीन को अतिक्रमित कर झोपड़ी बनाकर रहने वाले वाले गरीबों के आशियाने को उजाड़ दिया गया है. लेकिन मोतीझील के जमीन पर बने सरकारी कार्यालय और रसूखदारों की खड़ी इमारतें इस अभियान से बची हुई हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

जमीन खाली करने का है सरकारी फरमान
दरअसल, बिहार सरकार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत हर तरह के जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त और पुर्नजीवित करने का निर्देश सभी जिला प्रशासन को दिया है. लिहाजा, मोतिहारी जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक मोतीझील को पुराने स्वरूप में लाने के लिए उसकी अतिक्रमित भूमि को खाली कराने का अभियान चालाया है.

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गरीबों की झोपड़ियों पर चलता बुलडोजर

रसूखदारों के महल अभी भी हैं खड़े
जिला प्रशासन ने यह अभियान 14 दिसंबर से शुरू किया है. लेकिन प्रशासन का यह अभियान सवालों के घेरे में है. प्रशासन ने मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के नाम पर केवल गरीबों की दुकान और झोपड़ी को हटाया है. लेकिन बड़े लोगों की दुकान और मकान पर जिला प्रशासन का बुलडोजर नहीं चला. जिससे लोग अब जिला प्रशासन के इस अतिक्रमणमुक्त अभियान पर सवाल खड़ा करने लगे हैं.

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ऐतिहासिक मोतीझील

इसी जमीन पर है नगर परिषद का कार्यालय
मोतीझील की जमीन का अतिक्रमण केवल रसूखदारों और आम लोगों ने ही नहीं किया है. बल्कि मोतिहारी नगर परिषद भी मोतीझील के जमीन का सबसे बड़ा अतिक्रमणकारी है. क्योंकि नगर परिषद के कार्यालय का अधिकांश भाग मोतीझील की जमीन पर ही है.

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मौके पर मौजूद प्रशासन

ये भी पढ़ेंः नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : प्लास्टिक कचरा लाओ, भरपेट खाना खाओ

सभी को खाली करना होगा मोतीझील
स्थानीय लोगों का कहना है कि केवल गरीबों की झोपड़ियों को उजाड़ देने से मोतीझील का पुराना स्वरुप नहीं लौट सकता, मोतीझील के पास खड़े सरकारी कार्यालय और बड़े लोगों के मकानों को भी हाटाया जाए. तभी यह पूरी तरह अतिक्रमणमुक्त होगा. इस सिलसिले में जब डीएम रमण कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नगर परिषद हो या कोई भी रसूखदार, सभी को मोतीझील की अतिक्रमित भूमि को खाली करना होगा.

motihari
उजड़ती झोपड़ियां

158 अतिक्रमणकारी हुए हैं चिन्हित
बता दें कि मोतीझील का 487 एकड़ का रकबा अतिक्रमणकारियों के कारण सिकुड़कर 300 एकड़ रह गया है. जिला प्रशासन ने 158 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित भी किया है. अब मोतीझील की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर उसे पुराने स्वरुप में लाना जिला प्रशासन के लिए काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है. अब देखना है कि जिला प्रशासन मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त कराने के अपने दृढ़ निश्चय पर कितना खरा उतरती है.

Intro:"जिला प्रशासन ने मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के नाम पर केवल गरीबों के दुकान और झोपड़ी को हटाया है।लेकिन रसूखदारों और पैरवीकारों के मोतीझील के जमीन मे खड़े दूकान और मकान पर जिला प्रशासन का बुलडोजर खामोश हो गया है।लिहाजा,लोग अब जिला प्रशासन के मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के अभियान पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।"



मोतिहारी।पूर्वी चंपारण जिला के जिला मुख्यालय मोतिहारी के पहचान से जुड़े मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त करने के जिला प्रशासन के अभियान पर अब सवाल उठने लगे हैं।मोतीझील के जमीन को अतिक्रमित कर झोपड़ी बनाकर रहने वाले और छोटी मोटी दुकान चलाने वाले गरीबों के आशियाने को अतिक्रमण हटाने के नाम पर जिला प्रशासन ने हटा दिया।लेकिन मोतीझील के जमीन पर बने सरकारी कार्यालय और रसूखदारों की खड़ी अट्टालिकाऐं सरकारी अभियान को मुंह चिढ़ा रहे है।


Body:"केवल झोपड़ियां उजड़ी,रसूखदारों के महल अभी भी है खड़ा"


वीओ...1...बिहार सरकार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत हर तरह के जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त और पुर्नजीवित करने का निर्देश राज्य के सभी जिला प्रशासन को दिया है।लिहाजा,पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन ने ऐतिहासिक मोतीझील को पुराने स्वरुप में लाने के लिए उसके अतिक्रमित भूमि को खाली कराने का अभियान विगत 14 दिसंबर से शुरु किया है।लेकिन जिला प्रशासन का अभियान सवालों के घेरे में है।जिला प्रशासन ने मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के नाम पर केवल गरीबों के दुकान और झोपड़ी को हटाया है।लेकिन रसूखदारों और पैरवीकारों के मोतीझील के जमीन मे खड़े दूकान और मकान पर जिला प्रशासन का बुलडोजर खामोश हो गया है।लिहाजा,लोग अब जिला प्रशासन के मोतीझील को अतिक्रमणमुक्त कराने के अभियान पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।

बाईट....बिंटी शर्मा....स्थानीय


Conclusion:"सभी को खाली करना होगा मोतीझील का अतिक्रमण"

वीओ...2.. मोतीझील के जमीन का केवल रसूखदार और आम लोगों ने हीं अतिक्रमण नहीं किया है।बल्कि मोतिहारी नगर परिषद् भी मोतीझील के जमीन का सबसे बड़ा अतिक्रमणकारी है।क्योंकि नगर परिषद् के कार्यालय का अधिकांश भाग मोतीझील के जमीन में है।जिस संबंध में जब जिलाधिकारी को बताया गया।तो उन्होने कहा कि नगर परिषद् हो अथवा कोई भी रसूखदार हो।सभी को मोतीझील के अतिक्रमित भूमि को खाली करना होगा।

बाईट....रमण कुमार....डीएम

"158 अतिक्रमणकारी हुए हैं चिन्हित"

वीओएफ....मोतीझील का 487 एकड़ का रकबा अतिक्रमणकारियों के कारण सिकुड़कर 300 एकड़ रह गया है।जिला प्रशासन ने 158 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित भी किया है।लिहाजा,मोतीझील के जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर उसके पुराने स्वरुप में लाना जिला प्रशासन के लिए काफी चुनौती पूर्ण कार्य है।अब देखना है कि जिला प्रशासन मोतीझील को अतिक्रमण मुक्त कराने के अपने दृढ़ निश्चय पर कितना खड़ा उतरती है।क्योंकि केवल गरीबों के झोपड़ियों को उजाड़ देने से मोतीझील अपने पुराने स्वरुप में नहीं लौट सकता है।जबतक मोतीझील के जमीन में रसूखदारो के खड़े मकान और गुलजार रहते सरकारी कार्यालय जमींदोज नहीं हो जाते हैं।
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