मोतिहारी: शहर में बिना हेलमेट या इंश्योरेंस रिन्यूवल के चलने वाले मोटरसाइकिल सवारों के साथ पुलिस का अनोखा व्यवहार सामने आया है. बिना हेलमेट के बाइक चलाने वालों या जिनका बीमा खत्म हो चुका है, उनका चालान काटने की जगह पुलिस उन्हें अपनी गलती सुधारने का मौका दे रही है. इसके लिए पुलिस ने जांच चौकियों पर ही व्यवस्था की है, ताकि चालक तुरंत हेलमेट खरीद सकें और अपनी गाड़ियों के इंश्योरेंस रिन्यू करा सकें.
छतौनी थाने के एसएचओ की पहल
इस अभियान की शुरुआत पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में छतौनी थाने के एसएचओ मुकेश चंद्र कुंवर ने की है. उन्होंने बताया कि मैंने कुछ हेलमेट विक्रेताओं और बीमा एजेंटों से बात की है, जिन्होंने जांच चौकियों के पास स्टॉल लगाए हैं. बाइक चालकों पर जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है, क्योंकि इससे उन्हें महसूस होता है कि वे अपराधी हैं. इसके बजाय, वे अच्छी गुणवत्ता वाले हेलमेट खरीदने और अपने बीमा को रिन्यू कराने के लिए प्रोत्साहित होते हैं.
'जनता में अविश्वास पुलिस व्यवस्था के लिए हानिकारक'
अधिकारी ने कहा कि उन्होंने जिला परिवहन विभाग से एक अधिकारी को तैनात करने का भी अनुरोध किया है, जो बिना लाइसेंस के गाड़ी चला रहे लोगों को मौके पर ही लर्नर लाइसेंस जारी कर दें. एसएचओ ने कहा कि जनता के बीच इस बात की भी धारणा बढ़ रही है कि संशोधित मोटर वाहन अधिनियम ने पुलिस को जबरन पैसा निकलवाने के लिए खुली छूट दे दी है. इस तरह का अविश्वास पुलिस व्यवस्था के लिए हानिकारक है.
'मोतिहारी का अपना महत्व है'
मोतिहारी का ऐतिहासिक महत्व उस भूमि के रूप में है, जहां महात्मा गांधी ने 1917 में चंपारण सत्याग्रह का शुभारंभ किया था. मैंने शहर की ऐतिहासिक विरासत से प्रेरणा ली और इस योजना को लेकर आया हूं, जो हमें संशोधित एमवी एक्ट के उद्देश्य को प्रभावी तरीके से हासिल करने में मदद कर सकता है.
'सभी अपराधों को नहीं माफ कर सकते'
हालांकि एसएचओ मुकेश चंद्र कुंवर ने यह भी कहा कि सद्भावना के आधार पर सभी अपराधों को माफ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति शराब के नशे में या शराब के प्रभाव में पाया जाता है, जिसकी बिक्री और खपत बिहार में प्रतिबंधित है, तो हमारे पास कानून के मुताबिक कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है.