मोतिहारी: बिहार के पूर्वी चंपारण में कालाजार के 4 नए मरीज (4 New Patients of Kala Azar in East Champaran) मिले हैं. हरसिद्धि प्रखंड स्थित जग्गा पाकड़ गांव में एक साथ चार मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में लगातार कैंप कर रही है. वहीं, आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर सर्वे का काम चल रहा है. गांव में डीडीटी का भी छिड़काव किया जा रहा है.
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मोतिहारी में कालाजार: बताया जाता है कि जग्गा पाकड़ गांव में चार लोगों को पिछले कई दिनों से बुखार लग रहा था. जांच करने पर उनमें कालाजार के लक्षण पाए गए. तत्काल चारों मरीजों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. चिकित्सकों के अनुसार इलाज के लिए भर्ती चारों मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है. हरसिद्धि प्रखंड के कालाजार टेक्निकल सुपरवाइजर ओंकार कुमार ने बताया कि जग्गा पाकड़ में चार कालाजार के मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क है और डोर-टू-डोर सर्वे के साथ ही संदिग्ध मरीजों की जांच की जा रही है. उनके अनुसार बुधवार को नौ लोगों की जांच हुई. सभी रिपोर्ट निगेटिव आई है.
कैसे फैलता है कालाजार रोग?: कालाजार रोग लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण होता है. जो बालू मक्खी काटने से फैलता है. साथ ही यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है. दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्यक है. कालाजार का मक्खी नमी और अंधरे वाले स्थान पर ज्यादा फैलती है. एक को काटने के बाद दूसरे लोगों को भी काट लेती है.
कालाजार के लक्षण: यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्ते से ज्यादा से बुखार हो, उसकी तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो और उपचार से ठीक न हो हो तो उसे कालाजार हो सकता है. पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है, जो कालाजार के बाद होता है. दो हफ्ते से ज्यादा समय से बुखार, खून की कमी (एनीमिया), जिगर और तिल्ली का बढ़ना, भूख न लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना है. सूखी, पतली, परतदार त्वचा तथा बालों का झड़ना भी इसके कुछ लक्षण है. उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा भी काली पड़ जाती है.
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