मोतिहारी: नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र (Nepal Catchment Area) के अलावा पूर्वी चंपारण जिला में पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश से जिले की नदियां उफान (Flood in East Champaran) पर हैं. वाल्मीकि नगर गंडक बराज से पानी छोड़े जाने के कारण पूर्वी चंपारण जिला से होकर बहने वाली गंडक नदी का जलस्तर बढ़ गया है. और उसका तांडव शुरू हो गया है. जिला के अरेराज अनुमंडल क्षेत्र के अरेराज और संग्रामपुर प्रखंड के निचले इलाकों में गंडक का पानी फैल गया है. गंडक का पानी घरों में प्रवेश करने के कारण लोगों के सामने पेट भरने की समस्या खड़ी हो गई है. लेकिन जिला प्रशासन के तरफ से बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए ना हीं सुखा राहत की व्यवस्था की गई है और ना हीं सामुदायिक रसोई हीं शुरू की गई है.
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पूर्वी चंपारण में कई नदियां उफान पर : जिला प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों को अपने हाल पर छोड़ दिया है. जिस कारण बाढ़ पीड़ितों में आक्रोश दिख रहा है. जिला परिषद सदस्य पंकज द्विवेदी गंडक तटबंध पर बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने पहुंचे और स्थानीय प्रशासन के अलावा जिला प्रशासन से बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री उपलब्ध कराने की मांग की. उन्होंने बताया कि बाढ़ आया हुआ है, 60 घंटा से ज्यादा हो गया है, लेकिन पीड़ितों को सुखा राहत मुहैया नहीं कराया गया है. फ्लड पीड़ितों के लिए सामुदायिक किचेन भी शुरू नहीं किया गया है. अधिकारियों को फोन करके बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के लिए कहा है.
'नदी का पानी बढ़ रहा है. लोग घरों से जरूरी सामान लेकर उंचे स्थान की ओर जा रहे हैं. लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई मदद अभी तक नहीं मिला है.' - राकेश कुमार, बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ितों का हाल हुआ बेहाल : जिला से होकर बहने वाली गंडक, सिकरहना, लालबकेया और बूढ़ी गंडक के अलावा तमाम पहाड़ी नदियां उफनाई हुई है. गंडक को छोड़कर सभी नदियां खतरे के निशान से नीचे है. और गंडक का तांडव भी शुरू हो गया है. तटबंध के अंदर बसे कई गांव बाढ़ की चपेट में है. रास्ते पानी में डूब चुके हैं, लोगों के घरों में पानी घुसा हुआ है. ग्रामीण घर छोड़कर उंचे स्थान पर पलायन कर चुके हैं, जबकि कई लोग अभी भी अपने घरों में हैं. बाढ़ के कारण संग्रामपुर प्रखंड के पुछरिया, बिनटोली और भवानीपुर, मलाही टोला के लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो चुकी है. लोगों के सामने अपना और अपने परिवार के लिए भोजन की व्यवस्था करना सबसे बड़ी समस्या हो गई है. लेकिन जिला प्रशासन के दावे तो काफी किए जा रहे हैं, लेकिन इन बाढ़ पीड़ितों तक राहत सामग्री के नाम पर अब तक कुछ नहीं पहुंचा है.