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मोतिहारी: पहले बाढ़ के कारण बर्बाद हुई फसल, अब यूरिया की किल्लत झेल रहे किसान - Farmers facing urea shortage

खरीफ फसल के लिए मोतिहारी कृषि विभाग ने सरकार से 48 हजार मीट्रिक टन यूरिया की डिमांड की थी. सरकार से जिले को 35,800 मीट्रिक टन यूरिया का आवंटन हुआ है फिर भी किसान यूरिया के लिए दर-दर भटक रहे हैं.

बाढ़ के कारण फसल बर्बाद
बाढ़ के कारण फसल बर्बाद
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Published : Aug 28, 2020, 2:12 PM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण में यूरिया की कृत्रिम किल्लत बनाकर उर्वरक की कालाबाजारी का खेल बहुत पुराना है. खरीफ का मौसम चल रहा है और बारिश का समय है. इसलिए किसानों में यूरिया खरीदने की होड़ लगी हुई है. इसकी डिमांड ज्यादा है. जिसका फायदा उर्वरक विक्रेता उठाते है.

जिले के सीमा से लगी नेपाल की सीमा से यूरिया की तस्करी की तस्वीरें बार-बार सामने आती हैं. भारतीय किसानों के हिस्से की यूरिया से नेपाली क्षेत्र की फसलें लहलहाती हैं. जिले में यूरिया कालाबाजारी के लिए कई तरह के खेल किए जाते हैं. वहीं, यूरिया की कृत्रिम किल्लत बनाकर निर्धारित दाम से ज्यादा कीमत वसूला जाता है.

दुकान में रखा यूरिया
दुकान में रखा यूरिया

बाढ़ में डूबी 50 प्रतिशत फसल
कोरोना के बीच आई बाढ़ में कृषि योग्य भूमि का लगभग 50 प्रतिशत फसल पानी में डूब चुका है. किसानों की फसल नष्ट हो गई है. फसल नष्ट हो जाने के कारण किसानों ने यूरिया नहीं खरीदा, ऐसे में सवाल यह है कि उर्वरक दुकानों को आवंटित यूरिया क्या हुआ? इसका जबाब अधिकारियों के पास नहीं है. कृषि विभाग के आंकड़ों की मानें तो जिले में लगभग 2 लाख 22 हजार और 730 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि के खरीफ फसल बाढ़ के पानी में बर्बाद हो गई. किसानों को उर्वरक की जरुरत नहीं पड़ी और उर्वरक दुकानों को खरीफ फसल के लिए यूरिया का आवंटन हो गया.

किसानों ने बताई आपबीती
किसानों ने बताई आपबीती

यूरिया के लिए किसान परेशान
बाढ़ प्रभावित बंजरिया प्रखंड के किसान राम विनय सिंह ने बताया कि वह यूरिया लेने गए थे तब दुकानदार ने एक बोरा यूरिया का दाम 400 रुपया मांगा था. दूसरे दुकानदार ने मात्र एक बोरा यूरिया देने की बात कही जबकि उन्हें 3 बोरा यूरिया की जरूरत है. राम विनय सिंह ने सवाल किया कि आखिर जब पूरा प्रखंड बाढ़ में डूबा हुआ है तो यूरिया कहां गया.

उर्वरक दुकानदार ने दी जानकारी
उर्वरक दुकानदार ने दी जानकारी

सरकारी दर पर बेचने की बात कह रहे दुकानदार
वहीं, उर्वरक दुकानदारों से पूछे जाने पर उन्होंने यूरिया का पूरा स्टॉक होने की बात कही. साथ ही सरकारी दर पर किसानों को यूरिया देने की बात कही. जबकि किसानों की परेशानी कुछ और हीं कहानी कह रही है.

जिला कृषि कार्यालय
जिला कृषि कार्यालय

कालाबाजारी के आरोप में 38 दुकानों के लाइसेंस रद्द
जिला कृषि पदाधिकारी से जब यूरिया की कालाबाजारी के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि कालाबाजारी की सूचना मिलने पर विभाग कार्रवाई करता है. कृषि पदाधिकारी के अनुसार जिले के 38 उर्वरक दुकानों के लाइसेंस कालाबाजारी के आरोप में रद्द किया जा चुका है. आगे भी विभाग कालाबाजारियों पर कार्रवाई करता रहेगा.

बाढ़ के कारण तबाही का मंजर
बाढ़ के कारण तबाही का मंजर

कृषि विभाग ने की 48 हजार एमटी यूरिया की डिमांड
बहरहाल, जिले में खरीफ फसल के लिए कृषि विभाग ने सरकार से 48 हजार मीट्रिक टन यूरिया का डिमांड की थी. सरकार से जिले को 35,800 मीट्रिक टन यूरिया का आवंटन हुआ है जबकि रबी मौसम का 7,100 मीट्रिक टन यूरिया बैलेंस बचा हुआ था. कुल मिलाकर 42,900 मीट्रिक टन यूरिया जिला में उपलब्ध है और जिले की आधी कृषि योग्य भूमि पानी में डूबी हुई है. लेकिन फिर भी किसानों को यूरिया नसीब नहीं है.

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण में यूरिया की कृत्रिम किल्लत बनाकर उर्वरक की कालाबाजारी का खेल बहुत पुराना है. खरीफ का मौसम चल रहा है और बारिश का समय है. इसलिए किसानों में यूरिया खरीदने की होड़ लगी हुई है. इसकी डिमांड ज्यादा है. जिसका फायदा उर्वरक विक्रेता उठाते है.

जिले के सीमा से लगी नेपाल की सीमा से यूरिया की तस्करी की तस्वीरें बार-बार सामने आती हैं. भारतीय किसानों के हिस्से की यूरिया से नेपाली क्षेत्र की फसलें लहलहाती हैं. जिले में यूरिया कालाबाजारी के लिए कई तरह के खेल किए जाते हैं. वहीं, यूरिया की कृत्रिम किल्लत बनाकर निर्धारित दाम से ज्यादा कीमत वसूला जाता है.

दुकान में रखा यूरिया
दुकान में रखा यूरिया

बाढ़ में डूबी 50 प्रतिशत फसल
कोरोना के बीच आई बाढ़ में कृषि योग्य भूमि का लगभग 50 प्रतिशत फसल पानी में डूब चुका है. किसानों की फसल नष्ट हो गई है. फसल नष्ट हो जाने के कारण किसानों ने यूरिया नहीं खरीदा, ऐसे में सवाल यह है कि उर्वरक दुकानों को आवंटित यूरिया क्या हुआ? इसका जबाब अधिकारियों के पास नहीं है. कृषि विभाग के आंकड़ों की मानें तो जिले में लगभग 2 लाख 22 हजार और 730 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि के खरीफ फसल बाढ़ के पानी में बर्बाद हो गई. किसानों को उर्वरक की जरुरत नहीं पड़ी और उर्वरक दुकानों को खरीफ फसल के लिए यूरिया का आवंटन हो गया.

किसानों ने बताई आपबीती
किसानों ने बताई आपबीती

यूरिया के लिए किसान परेशान
बाढ़ प्रभावित बंजरिया प्रखंड के किसान राम विनय सिंह ने बताया कि वह यूरिया लेने गए थे तब दुकानदार ने एक बोरा यूरिया का दाम 400 रुपया मांगा था. दूसरे दुकानदार ने मात्र एक बोरा यूरिया देने की बात कही जबकि उन्हें 3 बोरा यूरिया की जरूरत है. राम विनय सिंह ने सवाल किया कि आखिर जब पूरा प्रखंड बाढ़ में डूबा हुआ है तो यूरिया कहां गया.

उर्वरक दुकानदार ने दी जानकारी
उर्वरक दुकानदार ने दी जानकारी

सरकारी दर पर बेचने की बात कह रहे दुकानदार
वहीं, उर्वरक दुकानदारों से पूछे जाने पर उन्होंने यूरिया का पूरा स्टॉक होने की बात कही. साथ ही सरकारी दर पर किसानों को यूरिया देने की बात कही. जबकि किसानों की परेशानी कुछ और हीं कहानी कह रही है.

जिला कृषि कार्यालय
जिला कृषि कार्यालय

कालाबाजारी के आरोप में 38 दुकानों के लाइसेंस रद्द
जिला कृषि पदाधिकारी से जब यूरिया की कालाबाजारी के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि कालाबाजारी की सूचना मिलने पर विभाग कार्रवाई करता है. कृषि पदाधिकारी के अनुसार जिले के 38 उर्वरक दुकानों के लाइसेंस कालाबाजारी के आरोप में रद्द किया जा चुका है. आगे भी विभाग कालाबाजारियों पर कार्रवाई करता रहेगा.

बाढ़ के कारण तबाही का मंजर
बाढ़ के कारण तबाही का मंजर

कृषि विभाग ने की 48 हजार एमटी यूरिया की डिमांड
बहरहाल, जिले में खरीफ फसल के लिए कृषि विभाग ने सरकार से 48 हजार मीट्रिक टन यूरिया का डिमांड की थी. सरकार से जिले को 35,800 मीट्रिक टन यूरिया का आवंटन हुआ है जबकि रबी मौसम का 7,100 मीट्रिक टन यूरिया बैलेंस बचा हुआ था. कुल मिलाकर 42,900 मीट्रिक टन यूरिया जिला में उपलब्ध है और जिले की आधी कृषि योग्य भूमि पानी में डूबी हुई है. लेकिन फिर भी किसानों को यूरिया नसीब नहीं है.

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