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गरीब बच्चों की शिक्षा पर 'ग्रहण'! न मोबाइल है, न ही टीवी, कैसे करेंगे पढ़ाई? - motihari news

कोरोना संक्रमण के कारण राज्य के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूल अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं. प्राईवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपनी पढ़ाई ऑनलाइन कर रहे हैं. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने भी डीडी बिहार के माध्यम से सरकारी विद्यालयों के बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की है. जो गांव के गरीब बच्चों के लिए बेकार साबित हो रही है.

Children
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Published : Aug 10, 2020, 4:31 PM IST

Updated : Aug 11, 2020, 7:52 AM IST

मोतिहारीः विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण ने बच्चों की पढ़ाई पर भी ग्रहण लगा दिया है. बिहार में भी सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं. प्राईवेट स्कूलों के बच्चे तो अपनी पढ़ाई ऑनलाइन कर रहे हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब तबके के बच्चों के लिए सरकार की ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था बेमानी लगती है.

लॉडाउन में गरीब बच्चों की पढ़ाई पर भी ग्रहण
राज्य सरकार ने डीडी बिहार के माध्यम से सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की है. लेकिन ज्यादातर बच्चों के घर में टेलीविजन नहीं है. जिस कारण बच्चों की पढ़ाई बर्बाद हो रही है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जिलों में चल रही ऑनलाइन पढ़ाई का जायजा लिया तो हकिकत कुछ और ही नजर आई.

मचान पर पढ़ते बच्चे
मचान पर पढ़ते बच्चे

सरकारी स्कूल के 11 लाख से ज्यादा बच्चे प्रभावित
पूर्वी चंपारण जिला में सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से 12 वीं तक में 11 लाख 83 हजार, 601 बच्चे नामांकित हैं. जो शैक्षणिक सत्र 2019-20 के हैं. सत्र 2020-21 में कोरोना संक्रमण के कारण केवल प्लस टू विद्यालयों में नामांकन हो रहा है. जबकि नए सत्र में वर्ग एक से पांच तक में नामांकन नहीं हो पाया है. नए शैक्षणिक सत्र में कोरोना संक्रमण के कारण पढ़ाई शुरु नहीं हो सकी है.

गांव की छात्रा
गांव की छात्रा

पिछले क्लास की ही किताबें दोहरा रहे बच्चे
सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब तबके के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से बाधित है. बिहार सरकार ने डीडी बिहार के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई जारी रखने की कवायद शुरु की है. साथ ही विद्या वाहिनी बिहार एप लॉन्च किया है. लेकिन रोज कुआं खोदकर पानी पीने वाले गरीब बच्चों के लिए एंड्रॉयड मोबाईल और टीवी दूर की कौड़ी के समान है. ऐसे में बच्चे अभिभावकों के दबाब में पढ़ने तो बैठ जाते हैं. लेकिन पिछले क्लास की किताबों को ही दोहराते रहते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बच्चों की पढ़ाई नहीं होने से अभिभावक परेशान
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के अभिभावकों को अपने बच्चे की पढ़ाई की चिंता सता रही है. ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर अभिभावकों का कहना है कि गरीबी के कारण पेट पालना मुश्किल है. ऐसे में एन्ड्रॉयड मोबाईल और टीवी कहां से लाएं. हमारे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करें. इनका कहना है कि विद्यालय बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बर्बाद हो रही है.

गांव का गरीब परिवार
गांव का गरीब परिवार

औरंगाबाद में भी ऑनलाइन नहीं पढ़ पा रहे हैं बच्चे
वहीं, जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने औरंगाबाद जिले की तरफ रूख किया तो पता चला कि यहां भी बच्चों की शिक्षा का हाल भी कमो बेश यही है. यहां तो एक नौजवान ने बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठा रखा है. आनंद नाम के इस युवा ने अपने खर्चे से बोर्ड खरीदकर मोहल्ले में ही सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया.

बच्चों को पढ़ाता युवक
बच्चों को पढ़ाता युवक

नेटवर्क की परेशानी बन रही ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा
वहीं, बात अगर कटिहार की करें तो यहां के गरीब बच्चों की शिक्षा का हाल भी बेहाल है. ये भी ऑनलाइन शिक्षा से महरूम हैं. गांव में नेटवर्क की परेशानी भी ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही है. इन बच्चों की परेशानी को देखकर गांव के ही चार युवकों ने इनका भविष्य संवारने का बीड़ा उठा लिया. ये लोग लॉकडाउन से ही बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे हैं.

बोर्ड पर बच्चों को पढ़ाता युवक
बोर्ड पर बच्चों को पढ़ाता युवक

'सरकार ने की है ऑनलाईन पढ़ाई की व्यवस्था -डीईओ'
इस सिलसिला में मोतिहारी के जिला शिक्षा पदाधिकारी अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो, उसके लिए डीडी बिहार पर कक्षाएं चल रही हैं. साथ ही विद्यावाहिनी बिहार एप पर सभी वर्ग के पाठ्य पुस्तकों को अपलोड किया गया है. जिस पर संबंधित कक्षा के छात्र पढ़ाई कर सकते हैं.

जिला शिक्षा पदाधिकारी अवधेश कुमार सिंह
जिला शिक्षा पदाधिकारी अवधेश कुमार सिंह

हालांकि शिक्षा पदाधिकारी ने भी माना कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चों के पास एन्ड्रॉयड मोबाईल और टेलीविजन का अभाव है. डीईओ ने कहा कि वैसे बच्चों के लिए भी सरकार सोच रही है.

गांव के बच्चे
गांव के बच्चे

कोरोना की भेंट चढ़ी गरीब बच्चों की पढ़ाई
बहरहाल कोरोना संक्रमण के कारण राज्य के सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं. हालांकि प्राईवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपनी पढ़ाई ऑनलाइन कर रहे हैं. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने भी डीडी बिहार के माध्यम से सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की है. लेकिन कुछ बच्चों को छोड़कर ज्यादातर बच्चों के घर में टेलीविजन नहीं है. जिस कारण वैसे बच्चों की पढ़ाई कोरोना की भेंट चढ़ गई है.

मोतिहारीः विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण ने बच्चों की पढ़ाई पर भी ग्रहण लगा दिया है. बिहार में भी सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं. प्राईवेट स्कूलों के बच्चे तो अपनी पढ़ाई ऑनलाइन कर रहे हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब तबके के बच्चों के लिए सरकार की ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था बेमानी लगती है.

लॉडाउन में गरीब बच्चों की पढ़ाई पर भी ग्रहण
राज्य सरकार ने डीडी बिहार के माध्यम से सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की है. लेकिन ज्यादातर बच्चों के घर में टेलीविजन नहीं है. जिस कारण बच्चों की पढ़ाई बर्बाद हो रही है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जिलों में चल रही ऑनलाइन पढ़ाई का जायजा लिया तो हकिकत कुछ और ही नजर आई.

मचान पर पढ़ते बच्चे
मचान पर पढ़ते बच्चे

सरकारी स्कूल के 11 लाख से ज्यादा बच्चे प्रभावित
पूर्वी चंपारण जिला में सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से 12 वीं तक में 11 लाख 83 हजार, 601 बच्चे नामांकित हैं. जो शैक्षणिक सत्र 2019-20 के हैं. सत्र 2020-21 में कोरोना संक्रमण के कारण केवल प्लस टू विद्यालयों में नामांकन हो रहा है. जबकि नए सत्र में वर्ग एक से पांच तक में नामांकन नहीं हो पाया है. नए शैक्षणिक सत्र में कोरोना संक्रमण के कारण पढ़ाई शुरु नहीं हो सकी है.

गांव की छात्रा
गांव की छात्रा

पिछले क्लास की ही किताबें दोहरा रहे बच्चे
सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब तबके के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से बाधित है. बिहार सरकार ने डीडी बिहार के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई जारी रखने की कवायद शुरु की है. साथ ही विद्या वाहिनी बिहार एप लॉन्च किया है. लेकिन रोज कुआं खोदकर पानी पीने वाले गरीब बच्चों के लिए एंड्रॉयड मोबाईल और टीवी दूर की कौड़ी के समान है. ऐसे में बच्चे अभिभावकों के दबाब में पढ़ने तो बैठ जाते हैं. लेकिन पिछले क्लास की किताबों को ही दोहराते रहते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बच्चों की पढ़ाई नहीं होने से अभिभावक परेशान
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के अभिभावकों को अपने बच्चे की पढ़ाई की चिंता सता रही है. ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर अभिभावकों का कहना है कि गरीबी के कारण पेट पालना मुश्किल है. ऐसे में एन्ड्रॉयड मोबाईल और टीवी कहां से लाएं. हमारे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करें. इनका कहना है कि विद्यालय बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बर्बाद हो रही है.

गांव का गरीब परिवार
गांव का गरीब परिवार

औरंगाबाद में भी ऑनलाइन नहीं पढ़ पा रहे हैं बच्चे
वहीं, जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने औरंगाबाद जिले की तरफ रूख किया तो पता चला कि यहां भी बच्चों की शिक्षा का हाल भी कमो बेश यही है. यहां तो एक नौजवान ने बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठा रखा है. आनंद नाम के इस युवा ने अपने खर्चे से बोर्ड खरीदकर मोहल्ले में ही सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया.

बच्चों को पढ़ाता युवक
बच्चों को पढ़ाता युवक

नेटवर्क की परेशानी बन रही ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा
वहीं, बात अगर कटिहार की करें तो यहां के गरीब बच्चों की शिक्षा का हाल भी बेहाल है. ये भी ऑनलाइन शिक्षा से महरूम हैं. गांव में नेटवर्क की परेशानी भी ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही है. इन बच्चों की परेशानी को देखकर गांव के ही चार युवकों ने इनका भविष्य संवारने का बीड़ा उठा लिया. ये लोग लॉकडाउन से ही बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे हैं.

बोर्ड पर बच्चों को पढ़ाता युवक
बोर्ड पर बच्चों को पढ़ाता युवक

'सरकार ने की है ऑनलाईन पढ़ाई की व्यवस्था -डीईओ'
इस सिलसिला में मोतिहारी के जिला शिक्षा पदाधिकारी अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो, उसके लिए डीडी बिहार पर कक्षाएं चल रही हैं. साथ ही विद्यावाहिनी बिहार एप पर सभी वर्ग के पाठ्य पुस्तकों को अपलोड किया गया है. जिस पर संबंधित कक्षा के छात्र पढ़ाई कर सकते हैं.

जिला शिक्षा पदाधिकारी अवधेश कुमार सिंह
जिला शिक्षा पदाधिकारी अवधेश कुमार सिंह

हालांकि शिक्षा पदाधिकारी ने भी माना कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चों के पास एन्ड्रॉयड मोबाईल और टेलीविजन का अभाव है. डीईओ ने कहा कि वैसे बच्चों के लिए भी सरकार सोच रही है.

गांव के बच्चे
गांव के बच्चे

कोरोना की भेंट चढ़ी गरीब बच्चों की पढ़ाई
बहरहाल कोरोना संक्रमण के कारण राज्य के सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं. हालांकि प्राईवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपनी पढ़ाई ऑनलाइन कर रहे हैं. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने भी डीडी बिहार के माध्यम से सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की है. लेकिन कुछ बच्चों को छोड़कर ज्यादातर बच्चों के घर में टेलीविजन नहीं है. जिस कारण वैसे बच्चों की पढ़ाई कोरोना की भेंट चढ़ गई है.

Last Updated : Aug 11, 2020, 7:52 AM IST
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