दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले में राजघराने के वंशज के ड्योढ़ी पर मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है. 136 साल से भी ज्यादा वक्त से दरभंगा राजघराने के वंशज के ड्योढ़ी पर मां दुर्गा की पूर्ण मिथिला पद्धति और तांत्रिक विधि से पूजा होती है जिसको लेकर काफी सारी मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि भक्त कभी भी यहां से खाली हाथ नहीं लौटते हैं, उनकी जो भी मनोकामना रहती है, मां दुर्गा उसे जरूर पूरा करती हैं.
कैसे हुई इसकी शुरुआत: दरभंगा राजघराने के वंशज स्वर्गीय मोदेश्वर सिंह जो करीब 140 वर्ष पहले 1859 में समस्तीपुर में बतौर डिप्टी कलेक्टर आये थे. राजघराने से अलग उन्हें समस्तीपुर काफी रास आया और वे यहीं के होकर रह गये. जिसके बाद जिला मुख्यालय के बहादुरपुर में उन्होने अपना ड्योढ़ी बनाया और आज से करीब 136 वर्ष पहले शारदीय नवरात्र मे मां दुर्गा की पूजा शुरू की. कई पीढियों के बाद भी आज तक ये परम्परा चलती आ रही है, उसी आस्था के साथ हर साल ड्योढी पर मां दुर्गा की पूजा होती है.
"लगभग 136 साल से बिना किसी आर्थिक सहयोग के आज भी हमारा परिवार माता की पूजा उसी आस्था से कर रहा है. सबसे खास बात है कि माता का प्रभाव यहां ऐसा है कि कई बार बड़ी विपदा के बाद भी माता की कृपा इस राजघराने पर रही और कभी भी पूजा बंद नहीं हुई."- दिनेश्वर सिंह, राजघराने के वंशज
"यहां पूर्ण प्राचीन मिथिला पद्धति और तांत्रिक विधि से माता की पूजा की जाती है. यही नहीं सैकड़ो वर्ष पहले जिस विधि-विधान से पुजारी दीनबंधू बाबा ने यहा पूजा शुरू की थी, उनकी लिखी पुस्तक के अनुरुप ही वर्तमान मे भी पूजा हो रही है."- राजेश झा, पंडित
महाअष्टमी में होती है विशेष पूजा: जिले में माता के इस ड्योढ़ी को लेकर भक्तों मे खास आस्था है. नवरात्र के मौके पर दूर दराज से श्रद्धालु यहां आते हैं. मान्यता है कि माता यहां आने वाले भक्तों की सारी मुरादें अवश्य पूरी करती हैं. इस ड्योढ़ी में महाअष्टमी की पूजा सबसे खास होती है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ लगती है. बहरहाल भले ही 100 साल से अधिक का वक्त बीत गया हो, भले ही कई पीढ़ियां बदल गई हो, लेकिन राजघराने के इस ड्योढ़ी पर आज भी माता दुर्गा की पूजा उसी आस्था से होती है जो करीब 136 वर्ष पहले शुरू हुई थी.