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दरभंगाः पहली बार उत्तर बिहार में सरोगेसी से महिला बनी मां - डॉक्टर

अस्पताल के निर्देशिका डॉक्टर रूही यासमीन के मुताबिक सरोगेसी से उत्तर बिहार में पहली बार मां बनने का सपना साकार हुआ है.

सरोगेसी से महिला बनी मां
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Published : Feb 18, 2019, 1:08 PM IST

दरभंगा: यहां के एक अस्पताल में पहली बार महीला सरोगेसी से मां बनी है. अस्पताल के निर्देशिका डॉक्टर रूही यासमीन के मुताबिक सरोगेसी से उत्तर बिहार में पहली बार मां बनने का सपना साकार हुआ है. किराए की कोख से सुनी गोद में किलकारियां गूंज उठी है.

आईवीएफ और आईयूआई तकनीक फैल
दरअसल, दरभंगा शहर के बाकरगंज स्थित मेट्रो हॉस्पिटल में डॉक्टर रूही यासमीन के पास एक महिला ने मां बनने की इच्छा जाहिर की. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने आईवीएफ और आईयूआई तकनीक के माध्यम से उनके सपने को पूरा करने का प्रयास किया, पर उसमें असफल रहे. फिर इन लोगों ने 9 महीने पहले सरोगेसी की मदद ली, जिसमें उन्हें सफलता मिली और उन्हें एक बेटा हुआ.

सरोगेसी से महिला बनी मां
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क्या होती है सरोगेसी
बता दें कि सरोगेसी में अगर कोई शादीशुदा जोड़े को बच्चा नहीं होता तो वे लोग किसी अन्य महिला की कोख किराए पर लेते हैं. यानी कोई महिला दूसरे के खातिर प्रेगनेंसी के लिए तैयार होती है. अगर जोड़ा बच्चा पैदा करने में अक्षम हो, या फिर महिला को मां बनने पर जान का खतरा हो. ऐसे में किराए पर गोद देने वाली महिलाओं की मदद ली जाती है, जिसे सरोगेट मदर कहा जाता है. डॉक्टर यासमीन ने बताया कि दरभंगा में सरोगेसी में 5 से 6 लाख रुपया का खर्च आ जाता है.

दरभंगा: यहां के एक अस्पताल में पहली बार महीला सरोगेसी से मां बनी है. अस्पताल के निर्देशिका डॉक्टर रूही यासमीन के मुताबिक सरोगेसी से उत्तर बिहार में पहली बार मां बनने का सपना साकार हुआ है. किराए की कोख से सुनी गोद में किलकारियां गूंज उठी है.

आईवीएफ और आईयूआई तकनीक फैल
दरअसल, दरभंगा शहर के बाकरगंज स्थित मेट्रो हॉस्पिटल में डॉक्टर रूही यासमीन के पास एक महिला ने मां बनने की इच्छा जाहिर की. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने आईवीएफ और आईयूआई तकनीक के माध्यम से उनके सपने को पूरा करने का प्रयास किया, पर उसमें असफल रहे. फिर इन लोगों ने 9 महीने पहले सरोगेसी की मदद ली, जिसमें उन्हें सफलता मिली और उन्हें एक बेटा हुआ.

सरोगेसी से महिला बनी मां
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क्या होती है सरोगेसी
बता दें कि सरोगेसी में अगर कोई शादीशुदा जोड़े को बच्चा नहीं होता तो वे लोग किसी अन्य महिला की कोख किराए पर लेते हैं. यानी कोई महिला दूसरे के खातिर प्रेगनेंसी के लिए तैयार होती है. अगर जोड़ा बच्चा पैदा करने में अक्षम हो, या फिर महिला को मां बनने पर जान का खतरा हो. ऐसे में किराए पर गोद देने वाली महिलाओं की मदद ली जाती है, जिसे सरोगेट मदर कहा जाता है. डॉक्टर यासमीन ने बताया कि दरभंगा में सरोगेसी में 5 से 6 लाख रुपया का खर्च आ जाता है.

Intro:दरभंगा के मेट्रो हॉस्पिटल में पहली बार सरोगेसी ( किराए की कोख ) से मां बनने का सपना साकार हुआ है। अस्पताल के निर्देशिका डॉक्टर रूही यासमीन के मुताबिक सरोगेसी के माध्यम से उत्तर बिहार में पहली बार मां बनने का सपना साकार हुआ है और किराए की कोख से सुनी गोद में किलकारियां गूंज उठी है। वैसे तो हिंदी सिनेमा में के कई कलाकारों ने सरोगेसी से माता पिता बनने का सपना पूरा किया है। जिसमें शाहरुख खान की तीसरी संतान अबराम, आमिर खान के बेटे आजाद और एकता कपूर के बेटे का जन्म सेरोगेसी से हुआ है।

दरअसल दरभंगा शहर के बाकरगंज स्थित मेट्रो हॉस्पिटल में डॉक्टर रूही यासमीन के पास एक महिला ने मां बनने की इच्छा जाहिर की। जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने आईवीएफ एवं आईयूआई तकनीक के माध्यम से उन उनके सपने को पूरा करने का प्रयास किया, पर उसमें सफलता प्राप्त नहीं हुई। फिर हम लोगों ने 9 महीना पहले सरोगेसी की मदद ली, जिसमें हम लोगों को सफलता मिली और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। साथ ही उन्होंने कहा कि यह पहला मौका था, जब उत्तर बिहार में सरोगेसी से किसी बच्चे का जन्म हुआ है।

सरोगेसी उस इंतजाम को कहा जाता है जिसमें कोई शादीशुदा जोड़ा बच्चा पैदा करने के लिए किसी अन्य महिला की कोख किराए पर लेता है। यानी कोई महिला दूसरे के खातिर प्रेगनेंसी के लिए तैयार होती है। जिसका मुख्य वजह होता है अगर जोड़ा बच्चा पैदा करने में अक्षम हो, या फिर महिला को मां बनने पर जान का खतरा हो। ऐसे में किराए पर गोद देने वाली महिलाओं की मदद ली जाती है, जिसे सरोगेट मदर कहा जाता है। डॉक्टर यासमीन ने बताया कि सरोगेसी वैसे तो विदेशों में बहुत ही खर्चीला है लेकिन अपने देश में खासकर दरभंगा में उतना खर्चीला नहीं है। हमारे यहां फिलहाल 5 से 6 लाख रुपया खर्च आ रहा है।

Byte ----------------------------- डॉ रूही यास्मीन, मेट्रो हॉस्पिटल निर्देशिका


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