दरभंगा: यहां के एक अस्पताल में पहली बार महीला सरोगेसी से मां बनी है. अस्पताल के निर्देशिका डॉक्टर रूही यासमीन के मुताबिक सरोगेसी से उत्तर बिहार में पहली बार मां बनने का सपना साकार हुआ है. किराए की कोख से सुनी गोद में किलकारियां गूंज उठी है.
आईवीएफ और आईयूआई तकनीक फैल
दरअसल, दरभंगा शहर के बाकरगंज स्थित मेट्रो हॉस्पिटल में डॉक्टर रूही यासमीन के पास एक महिला ने मां बनने की इच्छा जाहिर की. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने आईवीएफ और आईयूआई तकनीक के माध्यम से उनके सपने को पूरा करने का प्रयास किया, पर उसमें असफल रहे. फिर इन लोगों ने 9 महीने पहले सरोगेसी की मदद ली, जिसमें उन्हें सफलता मिली और उन्हें एक बेटा हुआ.
क्या होती है सरोगेसी
बता दें कि सरोगेसी में अगर कोई शादीशुदा जोड़े को बच्चा नहीं होता तो वे लोग किसी अन्य महिला की कोख किराए पर लेते हैं. यानी कोई महिला दूसरे के खातिर प्रेगनेंसी के लिए तैयार होती है. अगर जोड़ा बच्चा पैदा करने में अक्षम हो, या फिर महिला को मां बनने पर जान का खतरा हो. ऐसे में किराए पर गोद देने वाली महिलाओं की मदद ली जाती है, जिसे सरोगेट मदर कहा जाता है. डॉक्टर यासमीन ने बताया कि दरभंगा में सरोगेसी में 5 से 6 लाख रुपया का खर्च आ जाता है.