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दरभंगा: सुषमा स्वराज ने इस घर की 2 बेटियों को दी थी नई जिन्दगी, निधन की खबर से सदमे में है परिवार

उमेश प्रसाद ने कहा कि मैं सुषमा स्वराज जी का जीवन भर ऋणी रहूंगा. आज उनके कारण ही दोनों बेटियां जिंदा हैं. सुषमा जी ऊंचे पद पर रहते हुए भी साधारण दिखती थीं. मानवीय और बेहद संवेदनशील भी थी.

सुषमा स्वराज के निधन पर सदमें में दरभंगा के उमेश प्रसाद
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Published : Aug 8, 2019, 3:24 PM IST

दरभंगा: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार को अचानक देहांत हो गया. उनकी मौत से पूरे देश में शोक की लहर है. वहीं दरभंगा के उमेश प्रसाद इस खबर से ज्यादा सदमे में हैं, क्योंकि संकट की घड़ी में उनकी बेटियों को यमन से सुरक्षित निकालने में सुषमा स्वराज ने अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में सुषमा स्वराज के इस दुनिया को अलविदा कहने का उमेश प्रसाद को विश्वास ही नहीं हो रहा.

सुषमा ने दी बेटियों को नई जिन्दगी
पूर्व विदेश मंत्री की मौत की खबर सुन उमेश प्रसाद लगातार टेलीविजन सेट पर चिपके रहे. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं रहीं. वो उनके सदैव आभारी हैं. उनके कारण ही दोनों बेटियों को नई जिंदगी मिली है.

umesh prasad
टीवी पर खबर देखते उमेश प्रसाद

यमन से सुरक्षित निकाल लायी थी बेटियां
उमेश प्रसाद की दो बेटियां हैं रूसी और मनीषा. 2015 में दोनों बहन यमन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी. इसी दौरान यमन में हालात काफी ज्यादा बिगड़ गए. दोनों बहनें सिविल वार की स्थित में यमन में फंस गई. दोनों की तरह ही यमन में बहुत सारे भारतीय फंसे थे. अलकायदा और ISIS आतंकवादियों के डर के साये में जीवन बिताना पड़ रहा था. यमन में फंसे भारतीय लोगों को निकालने के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पहल की और किसी देवदूत की भांति इन बच्चियों को सकुशल भारत लाने में वो सफल रहीं.

umesh prasad daughter
यमन में पढ़ाई करने वाली उमेश प्रसाद की बेटियां

फोन कर हाल-चाल जानती थीं सुषमा
उमेश प्रसाद की आंखे सुषमा को याद करते हुए नम हो जाती है. कहते हैं कि बच्चियों के घर आने तक सुषमा परिवार के साथ लगातार संपर्क में थीं. अक्सर फोन करती. डगमगाते कदमों को हौसला देंती. सुषमा स्वराज से दिल्ली में परिवार संग मुलाकात भी की. ऐसे में उनका इस दुनिया से चला जाना बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा. हालांकि टीवी पर सुषमा स्वराज की निधन का खबर पर उमेश प्रसाद कई बार भावुक हुए.

umesh prasad
टीवी पर खबर देखते उमेश प्रसाद

सुषमा का जीवन भर रहूंगा ऋणी
उमेश प्रसाद ने कहा कि मैं सुषमा स्वराज जी का जीवन भर ऋणी रहूंगा. आज उनके कारण ही दोनों बेटियां जिंदा हैं. सुषमा जी ऊंचे पद पर रहते हुए भी साधारण दिखती थीं. मानवीय और बेहद संवेदनशील भी थी. उनके अचानक मौत से काफी दुखी और मर्माहत हूं. उन्हें लगता है सुषमा स्वराज अगर तब विदेश मंत्री नहीं होती तो, शायद उनकी बेटी को बचाना मुश्किल था.

सुषमा स्वराज के निधन से सदमे में परिवार

दिल्ली में कई बार हुई मुलाकात
उमेश प्रसाद के मुताबिक कई बार उनकी मुलाकात सुषमा स्वराज से हुई. दोनों बेटियों की एमबीबीएस की आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने काफी प्रयास भी किया. हालांकि कुछ कारणों से उनका यह प्रयास सफल नहीं हुआ. लेकिन उनके प्रयास के कारण ही मौत के मुंह से बेटी बाहर आ पायी. उमेश प्रसाद ने दृढ़ इच्छाशक्ति को सलाम करते हुए श्रद्धांजलि भी दी.

दरभंगा: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार को अचानक देहांत हो गया. उनकी मौत से पूरे देश में शोक की लहर है. वहीं दरभंगा के उमेश प्रसाद इस खबर से ज्यादा सदमे में हैं, क्योंकि संकट की घड़ी में उनकी बेटियों को यमन से सुरक्षित निकालने में सुषमा स्वराज ने अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में सुषमा स्वराज के इस दुनिया को अलविदा कहने का उमेश प्रसाद को विश्वास ही नहीं हो रहा.

सुषमा ने दी बेटियों को नई जिन्दगी
पूर्व विदेश मंत्री की मौत की खबर सुन उमेश प्रसाद लगातार टेलीविजन सेट पर चिपके रहे. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं रहीं. वो उनके सदैव आभारी हैं. उनके कारण ही दोनों बेटियों को नई जिंदगी मिली है.

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टीवी पर खबर देखते उमेश प्रसाद

यमन से सुरक्षित निकाल लायी थी बेटियां
उमेश प्रसाद की दो बेटियां हैं रूसी और मनीषा. 2015 में दोनों बहन यमन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी. इसी दौरान यमन में हालात काफी ज्यादा बिगड़ गए. दोनों बहनें सिविल वार की स्थित में यमन में फंस गई. दोनों की तरह ही यमन में बहुत सारे भारतीय फंसे थे. अलकायदा और ISIS आतंकवादियों के डर के साये में जीवन बिताना पड़ रहा था. यमन में फंसे भारतीय लोगों को निकालने के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पहल की और किसी देवदूत की भांति इन बच्चियों को सकुशल भारत लाने में वो सफल रहीं.

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यमन में पढ़ाई करने वाली उमेश प्रसाद की बेटियां

फोन कर हाल-चाल जानती थीं सुषमा
उमेश प्रसाद की आंखे सुषमा को याद करते हुए नम हो जाती है. कहते हैं कि बच्चियों के घर आने तक सुषमा परिवार के साथ लगातार संपर्क में थीं. अक्सर फोन करती. डगमगाते कदमों को हौसला देंती. सुषमा स्वराज से दिल्ली में परिवार संग मुलाकात भी की. ऐसे में उनका इस दुनिया से चला जाना बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा. हालांकि टीवी पर सुषमा स्वराज की निधन का खबर पर उमेश प्रसाद कई बार भावुक हुए.

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टीवी पर खबर देखते उमेश प्रसाद

सुषमा का जीवन भर रहूंगा ऋणी
उमेश प्रसाद ने कहा कि मैं सुषमा स्वराज जी का जीवन भर ऋणी रहूंगा. आज उनके कारण ही दोनों बेटियां जिंदा हैं. सुषमा जी ऊंचे पद पर रहते हुए भी साधारण दिखती थीं. मानवीय और बेहद संवेदनशील भी थी. उनके अचानक मौत से काफी दुखी और मर्माहत हूं. उन्हें लगता है सुषमा स्वराज अगर तब विदेश मंत्री नहीं होती तो, शायद उनकी बेटी को बचाना मुश्किल था.

सुषमा स्वराज के निधन से सदमे में परिवार

दिल्ली में कई बार हुई मुलाकात
उमेश प्रसाद के मुताबिक कई बार उनकी मुलाकात सुषमा स्वराज से हुई. दोनों बेटियों की एमबीबीएस की आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने काफी प्रयास भी किया. हालांकि कुछ कारणों से उनका यह प्रयास सफल नहीं हुआ. लेकिन उनके प्रयास के कारण ही मौत के मुंह से बेटी बाहर आ पायी. उमेश प्रसाद ने दृढ़ इच्छाशक्ति को सलाम करते हुए श्रद्धांजलि भी दी.

Intro:सुषमा स्वराज की अचानक मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हर कोई उनकी मौत से शोक में है। ठीक इसी तरह दरभंगा में रहने वाले उमेश प्रसाद सुषमा स्वराज की मौत से सदमे में है। जैसे ही टीवी पर उन्हें यह खबर मिली, वे तब से लगातार टीवी से ही चिपक कर सुषमा स्वराज से जुड़ी हर खबर को देख रहे हैं। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं रही और ऐसा हो भी क्यों नहीं, क्योंकि उमेश प्रसाद की दो बेटियां की जान सुषमा स्वराज के पहल के कारण ही बच पाई थी और दोनों बेटियों को नई जिंदगी मिली।


Body:दरअसल दरभंगा के रहने वाली उमेश प्रसाद की दो बेटी रूसी और मनीषा यमन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर रही थी। तभी 2015 में यमन की हालत बेहद खराब हो गई की अलकायदा और ISIS आतंकवादी का ज्यादा जगहों पर कब्जा हो गया। यमन में सिविल वार जैसी हालत हो गई, चारों तरफ गोलीबारी बम बारूद के बीच में उमेश प्रसाद की दोनों बेटी वहां फंस गई, पल-पल मौत के बीच जिंदगी का एक-एक क्षण डर के साये में बिकने लगा।

ऐसे परिस्थिति में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज देवदूत बन वहां फंसे सभी भारतीयों के साथ इन बच्चियों को बचाने की पहल शुरू की। जिसमें सरकार सफल हुई, कई लोगों के साथ इन दोनों बच्चियों को यमन से सकुशल निकाल कर हिंदुस्तान ले आई। इतना ही नहीं सुषमा स्वराज हर पल इस परिवार से संपर्क में भी रही और यमन से लौटने वक्त कई बार इन लोगों का हाल-चाल भी लेते रही और हौसला बढ़ाती रही। बाद में सुषमा स्वराज ने दिल्ली में इन परिवार से मुलाकात भी की थी। आज जबकि सुषमा स्वराज नहीं रही, अब बस उनकी यादें बची, ऐसे में इस परिवार के मुखिया कोई विश्वास ही नहीं हो रहा है कि सुषमा स्वराज की मौत हो गई है। हालांकि टीवी पर लगाता सुषमा स्वराज की खबर देख रहे उमेश प्रसाद कई बार भावुक भी हो गए।


Conclusion:वही मीडिया से बात करते हुए उमेश प्रसाद ने सुषमा स्वराज के लिए बड़ी शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा कि मैं सुषमा स्वराज का जीवन भर ऋणी रहूंगा। क्योंकि उन्हीं के सार्थक प्रयास से उनके दोनों बेटी की जान बची है। सुषमा स्वराज की तारीफ करते हुए कहा कि सुषमा स्वराज इतने ऊंचे पद पर रहते हुए भी ना सिर्फ साधारण दिखती थी बल्कि वे मानवीय और बेहद संवेदनशील भी थी। उनके अचानक मौत से काफ़ी दुखी और मर्माहत हैं। उन्हें लगता है सुषमा स्वराज अगर तब विदेश मंत्री नहीं होती तो, शायद उनकी बेटी को बचाना मुश्किल था। उमेश प्रसाद ने कहा कि यमन से लौटने के बाद कई बार उनकी मुलाकात सुषमा स्वराज से हुई और तब सुषमा स्वराज ने उनकी दोनों बेटी रूसी और मनीषा के एमबीबीएस की आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए काफी प्रयास किया। हालांकि कुछ कारणों से उनका यह प्रयास सफल नहीं हुआ। लेकिन उनके प्रयास और दोनों बेटियों की नई जिंदगी देने वाली सुषमा स्वराज के दृढ़ इच्छाशक्ति को आज भी सलाम कर सुषमा को श्रद्धांजलि दी।

Byte ---------- उमेश प्रसाद
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