दरभंगा: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार को अचानक देहांत हो गया. उनकी मौत से पूरे देश में शोक की लहर है. वहीं दरभंगा के उमेश प्रसाद इस खबर से ज्यादा सदमे में हैं, क्योंकि संकट की घड़ी में उनकी बेटियों को यमन से सुरक्षित निकालने में सुषमा स्वराज ने अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में सुषमा स्वराज के इस दुनिया को अलविदा कहने का उमेश प्रसाद को विश्वास ही नहीं हो रहा.
सुषमा ने दी बेटियों को नई जिन्दगी
पूर्व विदेश मंत्री की मौत की खबर सुन उमेश प्रसाद लगातार टेलीविजन सेट पर चिपके रहे. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं रहीं. वो उनके सदैव आभारी हैं. उनके कारण ही दोनों बेटियों को नई जिंदगी मिली है.
यमन से सुरक्षित निकाल लायी थी बेटियां
उमेश प्रसाद की दो बेटियां हैं रूसी और मनीषा. 2015 में दोनों बहन यमन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी. इसी दौरान यमन में हालात काफी ज्यादा बिगड़ गए. दोनों बहनें सिविल वार की स्थित में यमन में फंस गई. दोनों की तरह ही यमन में बहुत सारे भारतीय फंसे थे. अलकायदा और ISIS आतंकवादियों के डर के साये में जीवन बिताना पड़ रहा था. यमन में फंसे भारतीय लोगों को निकालने के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पहल की और किसी देवदूत की भांति इन बच्चियों को सकुशल भारत लाने में वो सफल रहीं.
फोन कर हाल-चाल जानती थीं सुषमा
उमेश प्रसाद की आंखे सुषमा को याद करते हुए नम हो जाती है. कहते हैं कि बच्चियों के घर आने तक सुषमा परिवार के साथ लगातार संपर्क में थीं. अक्सर फोन करती. डगमगाते कदमों को हौसला देंती. सुषमा स्वराज से दिल्ली में परिवार संग मुलाकात भी की. ऐसे में उनका इस दुनिया से चला जाना बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा. हालांकि टीवी पर सुषमा स्वराज की निधन का खबर पर उमेश प्रसाद कई बार भावुक हुए.
सुषमा का जीवन भर रहूंगा ऋणी
उमेश प्रसाद ने कहा कि मैं सुषमा स्वराज जी का जीवन भर ऋणी रहूंगा. आज उनके कारण ही दोनों बेटियां जिंदा हैं. सुषमा जी ऊंचे पद पर रहते हुए भी साधारण दिखती थीं. मानवीय और बेहद संवेदनशील भी थी. उनके अचानक मौत से काफी दुखी और मर्माहत हूं. उन्हें लगता है सुषमा स्वराज अगर तब विदेश मंत्री नहीं होती तो, शायद उनकी बेटी को बचाना मुश्किल था.
दिल्ली में कई बार हुई मुलाकात
उमेश प्रसाद के मुताबिक कई बार उनकी मुलाकात सुषमा स्वराज से हुई. दोनों बेटियों की एमबीबीएस की आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उन्होंने काफी प्रयास भी किया. हालांकि कुछ कारणों से उनका यह प्रयास सफल नहीं हुआ. लेकिन उनके प्रयास के कारण ही मौत के मुंह से बेटी बाहर आ पायी. उमेश प्रसाद ने दृढ़ इच्छाशक्ति को सलाम करते हुए श्रद्धांजलि भी दी.