दरभंगाः मखाना अनुसंधान केंद्र में मखाना की खेती, उसके प्रसंस्करण और विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने को लेकर किसानों के लिए 3 दिनों का प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. इसमें दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर जिलों से आए किसानों ने भाग लिया. सभी किसानों को मखाना अनुसंधान केंद्र की ओर से सर्टिफिकेट दिए गए.
सिखाये बेहतर तरीके से खेती के गुर
मखाना अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. इंदु शेखर सिंह, डॉ. बी. आर. जाना, डॉ. मनोज कुमार और कृषि विज्ञान केंद्र जाले के अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर ने किसानों को प्रशिक्षण दिया. जबकि मखाना अनुसंधान केंद्र के वरीय तकनीकी अधिकारी मुरारी महाराज ने बेहतर खेती के तरीके बताये. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर एमएलएसएम कॉलेज, दरभंगा के प्रधानाचार्य और इलाके के वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. विद्यानाथ झा ने मखाना के महत्व पर प्रकाश डाला.
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आधुनिक खेती के कई फायदे
मखाना अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. इंदुशेखर सिंह ने कहा कि आज का युग पारंपरिक खेती से अलग हटकर वैज्ञानिक ढंग से व्यावसायिक खेती करने का है. मखाना की खेती से नगद लाभ मिलता है. वरीय वैज्ञानिक डॉ. बी. आर. जाना ने कहा कि मखाना मिथिला के इस इलाके के लिए सबसे लाभकारी फसल है. अगर किसान सही ढंग से इसकी खेती और प्रसंस्करण की तकनीक सीख कर काम करें तो उन्हें बहुत फायदा होगा.
उन्होंने कहा कि मखाना अनुसंधान केंद्र, किसानों को इसकी उन्नत खेती के लिए ट्रेनिंग देता है. वहीं, मुख्य अतिथि के तौर पर एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य और वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. विद्यानाथ झा ने किसानों को मखाना में पाए जाने वाले पोषक तत्वों और इसके औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी.
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दलहन-तिलहन की खेती से भी मोटी कमाई
जाले कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर ने कहा कि मखाना के साथ-साथ सिंघाड़ा, दलहन और तिलहन की खेती कर किसान कई गुना लाभ कमा सकते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और बिहार सरकार इसके प्रोत्साहन के लिए सब्सिडी देती हैं. वहीं, मखाना अनुसंधान केंद्र के वरीय तकनीकी अधिकारी मुरारी महाराज ने किसानों को खेती के दौरान आने वाली परेशानियों से निपटने और फसल की सही देखभाल से संबंधित जानकारियां दीं.