दरभंगा(केवटी): बाबा साहेब राम संस्कृत महाविद्यालय पचाढी में संस्कृत दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. संस्कृत दिवस के अवसर पर तीन दिनों तक चलने वाले त्रिदिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्य डॉ. दिनेश झा की अध्यक्षता में आनलाइन माध्यम से आयोजित की गई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति डॉ. रामचन्द्र झा रहे. मंगलवार के कार्यक्रम के संचालक डॉ. त्रिलोक झा और डॉ. विजय कुमार मिश्र रहे. कार्यक्रम में डॉ. निशा ने मुख्य अतिथि को संस्कृत का एक मूर्धन्य विद्वान बताया और ऑनलाइन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया.
मिथिला में संस्कृत का महत्व
मुख्य अतिथि डॉ. झा ने अपने सम्बोधन में कहा कि मिथिला में संस्कृत के अध्ययन अध्यापन का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. इसे पुनर्जीवित करने के लिए सकारात्मक प्रयास की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि संस्कृत एक भाषा ही नहीं बल्कि एक विचारधारा है. जिसके ज्ञान और अनुकरण से वर्तमान समय में मनुष्य अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है. कार्यक्रम को अन्य वक्ताओं ने भी सम्बोधित किया. कार्यक्रम में डॉ. पवन कुमार झा, डॉ. ममता पाण्डेय, डॉ. बागीश मिश्र और डॉ. निहार रंजन सिन्हा मौजूद रहे.
उच्च शिक्षा चुनौती का सामना कर रहा संस्कृत
प्राचार्य डॉ. दिनेश झा ने कहा कि वर्तमान समय में संस्कृत उच्च शिक्षा एक चुनौती का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि आज विश्व के विकसित और पाश्चात्य देशों ने प्राचीन भारत के गुरु शिष्य परंपरा को जीवित किया है. इस परंपरा में प्राचीन भारत में हर शिष्य गुरु के लिए एक व्यक्ति होता था. जिससे उस शिष्य का सर्वांगीण विकास होता था. पाश्चात्य देशों के प्रमुख विश्वविद्यालयों में इस परंपरा के पालन का सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए अथक प्रयास की आवश्यकता है. साथ ही उन्होंने छात्रों से कहा कि वे तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में आयोजित प्रतियोगिताओं में आनलाइन माध्यम से भाग लेकर कार्यक्रम से लाभान्वित हो सकते हैं.