ETV Bharat / state

दरभंगा राज की धरोहरों को किया जा रहा संरक्षित, महाराजा की प्रतिमा का हो रहा जीर्णोद्धार

रथ के चेयरमैन आविष्कार तिवारी ने कहा कि वे उपेक्षित पड़ी धरोहरों के संरक्षण का काम करते हैं. महाराजा रामेश्वर सिंह की ये प्रतिमा बेहद कीमती सफेद संगमरमर की बनी है. जिसके जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया गया है.

Darbhanga
Darbhanga
author img

By

Published : Jul 5, 2020, 2:02 AM IST

Updated : Jul 5, 2020, 2:12 AM IST

दरभंगाः देश-विदेश में चर्चित ऐतिहासिक दरभंगा राज की धरोहरें अपने ही शहर में उपेक्षित हैं. सन 1556 में मुगल बादशाह अकबर से मिले दरभंगा राज की हद आज की नेपाल सीमा से शुरू होकर वर्तमान झारखंड के संताल परगना तक जाती थी। करीब 400 साल तक शासन करने वाले इस राज परिवार ने न सिर्फ मिथिला और बिहार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया बल्कि आजादी के बाद हो रहे नए भारत के निर्माण में भी अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई थी. ऐसे राज परिवार की उपेक्षित पड़ी धरोहरों के संरक्षण का काम अब शुरू हुआ है.

पेश है रिपोर्ट

शुरू हुआ प्रतिमा के संरक्षण का काम
दरभंगा राज परिसर के खूबसूरत चौरंगी पर 1934 में लगी महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह की प्रतिमा वर्षों से उपेक्षित पड़ी थी. चोरों ने प्रतिमा की कीमती पत्थर की आंखें निकाल ली थी. तो असामाजिक तत्वों ने नाक क्षतिग्रस्त कर दी थी. लेकिन इसे ठीक करवाने की पहल नहीं शुरू हुई थी. धरोहरों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था 'ई समाद फाउंडेशन' ने इसकी सुधि ली है. महाराजा रामेश्वर सिंह की 91वीं पुण्यतिथि पर प्रतिमा के संरक्षण का काम शुरू हुआ. इस काम में दिल्ली की एक संस्था 'रेकग्नाइज अवेल ट्रांसफॉर्म हेरिटेज' (रथ) के सचिव गौरव पाल की मदद ली जा रही है. संस्था के चेयरमैन आविष्कार तिवारी और प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरुषि मेहरा ने दरभंगा आकर काम शुरू किया है. ललित नारायण मिथिला विवि ने इसकी अनुमति दी है जबकि ई समाद फाउंडेशन इसका खर्च उठा रहा है.

सफेद संगमरमर की बनी है प्रतिमा
रथ के चेयरमैन आविष्कार तिवारी ने कहा कि वे उपेक्षित पड़ी धरोहरों के संरक्षण का काम करते हैं. महाराजा रामेश्वर सिंह की ये प्रतिमा बेहद कीमती सफेद संगमरमर की बनी है. इसमें 3डी फेस दिखता है. वे इसकी आंखों और नाक को ठीक ऐसे ही मैटेरियल से रिस्टोर करेंगे. साथ ही चेहरे के क्रैक को भी ठीक करेंगे.

वहीं, ई समाद फाउंडेशन के ट्रस्टी और ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर संतोष कुमार ने कहा कि महाराजा की देश को कई बड़ी देन हैं. उनकी प्रतिमा वर्षों से क्षतिग्रस्त और उपेक्षित पड़ी थी. उनकी 91वीं पुण्यतिथि पर उसे संरक्षित करने का काम फाउंडेशन के खर्च पर शुरू हुआ है. आगे भी ऐसी धरोहरों के संरक्षण का काम किया जाएगा.

दरभंगाः देश-विदेश में चर्चित ऐतिहासिक दरभंगा राज की धरोहरें अपने ही शहर में उपेक्षित हैं. सन 1556 में मुगल बादशाह अकबर से मिले दरभंगा राज की हद आज की नेपाल सीमा से शुरू होकर वर्तमान झारखंड के संताल परगना तक जाती थी। करीब 400 साल तक शासन करने वाले इस राज परिवार ने न सिर्फ मिथिला और बिहार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया बल्कि आजादी के बाद हो रहे नए भारत के निर्माण में भी अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई थी. ऐसे राज परिवार की उपेक्षित पड़ी धरोहरों के संरक्षण का काम अब शुरू हुआ है.

पेश है रिपोर्ट

शुरू हुआ प्रतिमा के संरक्षण का काम
दरभंगा राज परिसर के खूबसूरत चौरंगी पर 1934 में लगी महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह की प्रतिमा वर्षों से उपेक्षित पड़ी थी. चोरों ने प्रतिमा की कीमती पत्थर की आंखें निकाल ली थी. तो असामाजिक तत्वों ने नाक क्षतिग्रस्त कर दी थी. लेकिन इसे ठीक करवाने की पहल नहीं शुरू हुई थी. धरोहरों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था 'ई समाद फाउंडेशन' ने इसकी सुधि ली है. महाराजा रामेश्वर सिंह की 91वीं पुण्यतिथि पर प्रतिमा के संरक्षण का काम शुरू हुआ. इस काम में दिल्ली की एक संस्था 'रेकग्नाइज अवेल ट्रांसफॉर्म हेरिटेज' (रथ) के सचिव गौरव पाल की मदद ली जा रही है. संस्था के चेयरमैन आविष्कार तिवारी और प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरुषि मेहरा ने दरभंगा आकर काम शुरू किया है. ललित नारायण मिथिला विवि ने इसकी अनुमति दी है जबकि ई समाद फाउंडेशन इसका खर्च उठा रहा है.

सफेद संगमरमर की बनी है प्रतिमा
रथ के चेयरमैन आविष्कार तिवारी ने कहा कि वे उपेक्षित पड़ी धरोहरों के संरक्षण का काम करते हैं. महाराजा रामेश्वर सिंह की ये प्रतिमा बेहद कीमती सफेद संगमरमर की बनी है. इसमें 3डी फेस दिखता है. वे इसकी आंखों और नाक को ठीक ऐसे ही मैटेरियल से रिस्टोर करेंगे. साथ ही चेहरे के क्रैक को भी ठीक करेंगे.

वहीं, ई समाद फाउंडेशन के ट्रस्टी और ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर संतोष कुमार ने कहा कि महाराजा की देश को कई बड़ी देन हैं. उनकी प्रतिमा वर्षों से क्षतिग्रस्त और उपेक्षित पड़ी थी. उनकी 91वीं पुण्यतिथि पर उसे संरक्षित करने का काम फाउंडेशन के खर्च पर शुरू हुआ है. आगे भी ऐसी धरोहरों के संरक्षण का काम किया जाएगा.

Last Updated : Jul 5, 2020, 2:12 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.