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दरभंगा: संस्कृत विवि के छात्र-छात्राओं ने रचा इतिहास, राज्य स्तरीय 'तरंग' में जीते 16 गोल्ड मेडल - लड़कियों ने लहराया परचम

प्रतियोगिता में चार लड़कियों ने मिलकर 10 गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा जमाया. रंगोली, स्किट और माइम में यहां के छात्र-छात्राएं ओवरऑल चैंपियन रहे. बता दें कि 26 जनवरी 1961 को स्थापित संस्कृत विवि के 59 साल के इतिहास में इस तरह की ये पहली उपलब्धि है.

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संस्कृत विवि के छात्र-छात्राओं ने जीता गोल्ड मेडल
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Published : Dec 13, 2019, 10:57 PM IST

दरभंगा: बिहार में संस्कृत विषय का एकमात्र उच्च शिक्षा केंद्र कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि अपने पांडित्य के लिए जाना जाता रहा है. ऐसे में यहां के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक गतिविधियों और खेल में लीक से हटकर ऊंची छलांग लगाई है. हाल ही में पटना के पाटलिपुत्र विवि में आयोजित राज्य स्तरीय 'तरंग' प्रतियोगिता में स्टूडेंट्स ने 27 खेलों में से 16 में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया है.

प्रतियोगिता में चार लड़कियों ने मिलकर 10 गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा जमाया. रंगोली, स्किट और माइम में यहां के छात्र-छात्राएं ओवरऑल चैंपियन रहे. 26 जनवरी 1961 को स्थापित संस्कृत विवि के 59 साल के इतिहास में इस तरह की ये पहली उपलब्धि है.

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राज्य स्तरीय 'तरंग' प्रतियोगिता में विजयी स्टूडेंट्स

लड़कियों ने लहराया परचम
चार खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली छात्रा निशा कुमारी ने कहा कि यह उपलब्धि विवि के शिक्षकों के मार्गदर्शन की वजह से मिली है. सभी ने मिलकर यह साबित कर दिया कि संस्कृत के छात्र किसी से कम नहीं हैं. वहीं, दो खेलों में गोल्ड मेडल विजेता शांभवी ने कहा कि ये उसके जीवन की बड़ी उपलब्धि है. उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वे इस तरह राज्य में विवि का परचम लहराएंगी.

संस्कृत विवि के छात्र-छात्राओं ने रचा इतिहास

'10 स्टूडेंट्स ने गोल्ड मेडल जीता'
विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने इस प्रतियोगिता को अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है. उन्होंने कहा कि यहां के छात्र-छात्राओं ने कुल 27 प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था. जिसमें 10 स्टूडेंट्स ने गोल्ड मेडल जीते हैं. साथ ही कहा कि आने वाले दिनों में संस्कृत विवि में राज्य स्तरीय खेल-कूद, सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं और शास्त्रार्थ का आयोजन किया जाएगा. इसके साथ ही विवि के कुलपति ने सभी सफल विजेताओं को पुरस्कृत किया.

दरभंगा: बिहार में संस्कृत विषय का एकमात्र उच्च शिक्षा केंद्र कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि अपने पांडित्य के लिए जाना जाता रहा है. ऐसे में यहां के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक गतिविधियों और खेल में लीक से हटकर ऊंची छलांग लगाई है. हाल ही में पटना के पाटलिपुत्र विवि में आयोजित राज्य स्तरीय 'तरंग' प्रतियोगिता में स्टूडेंट्स ने 27 खेलों में से 16 में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया है.

प्रतियोगिता में चार लड़कियों ने मिलकर 10 गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा जमाया. रंगोली, स्किट और माइम में यहां के छात्र-छात्राएं ओवरऑल चैंपियन रहे. 26 जनवरी 1961 को स्थापित संस्कृत विवि के 59 साल के इतिहास में इस तरह की ये पहली उपलब्धि है.

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राज्य स्तरीय 'तरंग' प्रतियोगिता में विजयी स्टूडेंट्स

लड़कियों ने लहराया परचम
चार खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली छात्रा निशा कुमारी ने कहा कि यह उपलब्धि विवि के शिक्षकों के मार्गदर्शन की वजह से मिली है. सभी ने मिलकर यह साबित कर दिया कि संस्कृत के छात्र किसी से कम नहीं हैं. वहीं, दो खेलों में गोल्ड मेडल विजेता शांभवी ने कहा कि ये उसके जीवन की बड़ी उपलब्धि है. उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वे इस तरह राज्य में विवि का परचम लहराएंगी.

संस्कृत विवि के छात्र-छात्राओं ने रचा इतिहास

'10 स्टूडेंट्स ने गोल्ड मेडल जीता'
विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने इस प्रतियोगिता को अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है. उन्होंने कहा कि यहां के छात्र-छात्राओं ने कुल 27 प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था. जिसमें 10 स्टूडेंट्स ने गोल्ड मेडल जीते हैं. साथ ही कहा कि आने वाले दिनों में संस्कृत विवि में राज्य स्तरीय खेल-कूद, सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं और शास्त्रार्थ का आयोजन किया जाएगा. इसके साथ ही विवि के कुलपति ने सभी सफल विजेताओं को पुरस्कृत किया.

Intro:दरभंगा। बिहार में संस्कृत विषय का एकमात्र उच्च शिक्षा का केंद्र कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि अब तक अपने पांडित्य के लिए जाना जाता था। लेकिन, यहां के छात्र-छात्राओं ने खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में लीक से हट ऊंची छलांग लगाई है। हाल ही में पटना के पाटलिपुत्र विवि में आयोजित राज्य स्तरीय 'तरंग' प्रतियोगिता में 10 छात्र-छात्राओं ने 27 स्पर्द्धाओं में से 16 में गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया है। खासकर छात्राओं ने तो कमाल ही कर दिया है। चार लड़कियों ने मिलकर 10 गोल्ड मेडल पर कब्ज़ा जमाया और तीन स्पर्द्धाओं रंगोली, स्किट और माइम में यहां के छात्र-छात्राएं ओवरऑल चैंपियन रहे। 26 जनवरी 1961 को स्थापित संस्कृत विवि के 59 साल के इतिहास में इस तरह की ये पहली उपलब्धि है। विवि के कुलपति ने सभी विजेताओं को पुरस्कृत किया।


Body:दो स्पर्द्धाओं में गोल्ड मेडल विजेता शांभवी के चेहरे की मुस्कान देखते ही बनती थी। उसने कहा कि ये उसके जीवन की बड़ी उपलब्धि है। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि राज्य में विवि का परचम लहराएगी। वह आगे भी ऐसी उपलब्धि हासिल करने के लिए मेहनत करती रहेगी।

वहीं, चार स्पर्द्धाओं में गोल्ड मेडल जीतने वाली छात्रा निशा कुमारी ने कहा कि यह उपलब्धि विवि के शिक्षकों के मार्गदर्शन की वजह से मिली है। उन सभी ने मिलकर यह साबित कर दिया कि संस्कृत के छात्र किसी दूसरे विषय के छात्र से कमतर नहीं हैं। उसने कहा कि अब संस्कृत पीछे नहीं रहेगा।


Conclusion:विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने इसे अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि यहां के छात्र-छात्राओं ने कुल 27 प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था। 10 छात्र-छात्राओं ने गोल्ड मेडल जीते हैं। विवि इन्हें प्रोत्साहित करता रहेगा। आने वाले दिनों में संस्कृत विवि में राज्य स्तरीय खेल-कूद, सांस्कृतिक ओरतियोगिताएं और शास्त्रार्थ का आयोजन किया जाएगा।

बाइट 1- शांभवी, गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा.
बाइट 2- निशा कुमारी, गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा.
बाइट 3- प्रो. सर्व नारायण झा, कुलपति, केएसडीएसयू.

विजय कुमार श्रीवास्तव
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