दरभंगा: सीएम कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग की ओर से ‘पर्यावरण: मुद्दे तथा चुनौतियां’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार में राष्ट्रीय स्तर के कई पर्यावरण विशेषज्ञों ने शिरकत की. विशेषज्ञों ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा सिर्फ कड़े कानून से नहीं हो सकती. इसके लिए सामाजिक बदलाव की जरूरत है.
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सेमिनार में ललित नारायण मिथिला विवि के समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. गोपी रमण प्रसाद सिंह ने कहा कि पर्यावरण प्रकृति का अमूल्य उपहार है. यह हमारी नैतिकता से भी जुड़ा हुआ है. प्रकृति हमारी आवश्यकता को तो पूरा कर सकती है, परंतु हमारी इच्छाओं को नहीं. हमारे विकासात्मक कार्यों से पर्यावरण में अत्यधिक क्षरण हुआ है. मानव की छेड़खानी से आज पर्यावरण प्रदूषण ने विकराल रूप ले लिया है. अम्ल वर्षा, ग्रीन हाउस प्रभाव, बाढ़, भूकंप, ओजोन परत में छेद, महामारी, ग्लेशियर का पिघलना आदि समस्याएं पर्यावरण को हुई हानी के चलते पैदा हुई हैं.
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ रंजना सिन्हा ने कहा कि प्रकृति हमारी मां जैसी है. वह हमें सब कुछ देती है पर आज हम प्रकृति का सदुपयोग न कर उसका दोहन कर रहे हैं. एक तरफ हम भौतिक विकास कर रहे हैं तो दूसरी ओर समांतर रूप से अपने विनाश की कब्र खुद खोद रहे हैं. यदि हम अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी. पर्यावरण को धार्मिकता व नैतिकता से जोड़कर संरक्षण करने की आवश्यकता है. सिर्फ सरकारी कानूनों से नहीं, वरन सकारात्मक दायित्व निर्वहन से ही पर्यावरण की रक्षा संभव है.