दरभंगा: हिंदू धर्मावलंबियों में विख्यात कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के इस वर्ष के पंचांग का प्रकाशन कर दिया गया है. शनिवार को संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा और पंचांग के संपादक और विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रामचंद्र झा ने संयुक्त रूप से पंचांग का विमोचन किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कई पदाधिकारी और शिक्षक भी मौजूद थे.
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'विश्वविद्यालय पंचांग 1977 से लगातार प्रकाशित हो रहा है. यह पंचांग बिहार और उसके बाहर देश-विदेश में रहने वाले हिंदू धर्म के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है. दूसरे पंचांग जहां 10-15 हज़ार प्रतियों में छपते हैं. वहीं, संस्कृत विश्वविद्यालय का यह पंचांग 75 हज़ार प्रतियों में छप रहा है'.- प्रो. शशिनाथ झा, संस्कृत विवि के कुलपति प्रोफेसर
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हिंदू धर्म के लोगों में लोकप्रिय है पंचागकुलपति ने कहा कि जहां भी धार्मिक आयोजनों और तिथियों के बीच विवाद उत्पन्न होता है. वहां संस्कृत विश्वविद्यालय के पंचांग के अनुसार ही निर्णय होता है. इसकी वजह यह है कि हर साल बिहार भर के प्रसिद्ध विद्वानों की पंडित सभा संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित की जाती है. उन्होंने कहा कि इस पंडित सभा में वाद-विवाद के बाद इस पंचांग की तिथियां तय होती है और इसका निर्माण होता है. उन्होंने कहा कि इसलिए यह पंचांग ज्यादा मान्य है और हिंदू धर्म के लोगों में ज्यादा लोकप्रिय है.मिथिला की संस्कृति और परंपराओं को आधार पर तिथि का निर्धारण
बता दें कि 1978 से विश्वविद्यालय पंचांग का प्रकाशन जारी है. मूलत: मिथिला की संस्कृति और परंपराओं को आधार मानकर पंचांग में शुभ मुहूर्त और तिथि का निर्धारण किया जाता है. पंचांग की व्यापकता देश-विदेश तक फैली हुई है. इसके विमोचन से पर्व त्यौहारों के समय-तिथि को लेकर चल रही उहापोह की स्थिति अब खत्म हो गई है.