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जल्द बहुरेंगे ऐतिहासिक लक्ष्मीविलास पैलेस के दिन, NIT इंजीनियर की देखरेख में हो रहा कार्य - जीर्णोद्धार

दरभंगा राज के आखिरी महाराजा सर कामेश्वर सिंह ने इसे दान में देकर 26 जनवरी 1961 को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि की स्थापना की थी. तब से यह संस्कृत विवि के अधिकार क्षेत्र में है.

दरभंगा
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Published : Feb 19, 2020, 3:28 AM IST

दरभंगाः जर्जर हो चुके 140 साल पुराने दरभंगा राज के ऐतिहासिक लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. इसकी जिम्मेवारी शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम को दी गई है. कई बार के आए भूकंपों में यह भवन जर्जर हो गया है.

फ्रेंच आर्किटेक्ट चार्ल्स मंट ने बनाया था डिजाइन
यह भारत के सबसे खूबसूरत महलों में से एक है. इसका डिजाइन फ्रेंच आर्किटेक्ट चार्ल्स मंट ने बनाया था. इसमें फ्रेंच और भारतीय वास्तुकला का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है. दरभंगा राज के आखिरी महाराजा सर कामेश्वर सिंह ने इसे दान में देकर 26 जनवरी 1961 को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि की स्थापना की थी. तब से यह संस्कृत विवि के अधिकार क्षेत्र में है.

कई हस्तियां बन चुके हैं अतिथि
ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर संतोष कुमार ने बताया कि इस महल के बनने में 12 साल लगे थे. उस जमाने में इसमें बिजली का कनेक्शन और लिफ्ट लगी थी. इसमें कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ ह्यूम से लेकर स्वामी दयानंद सरस्वती, सरोजिनी नायडू, सरदार गोविंद वल्लभ पंत, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी जैसी कई हस्तियां आ चुकी हैं. वहीं लॉर्ड माउंटबेटन और उनके पहले के सभी वायसराय भी इसके अतिथि बन चुके हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि इस महल का संरक्षण पुरातत्व के विशेषज्ञों की देखरेख में होना चाहिए. जो भी लोग काम कर रहे हैं उन्हें धरोहर के संरक्षण की जानकारी नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'पुराने रूप में ही लाया जाएगा महल'
वहीं, शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम के कार्यपालक अभियंता सचिन दयाल ने बताया कि महल को हू-ब-हू उसी के रूप में लाया जाएगा. इसकी खिड़कियां और दरवाजे सभी उसी रूप में बनाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एनआईटी के इंजीनियर और पुरातत्वविद भी इस काम में जुड़ रहे हैं

दरभंगाः जर्जर हो चुके 140 साल पुराने दरभंगा राज के ऐतिहासिक लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. इसकी जिम्मेवारी शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम को दी गई है. कई बार के आए भूकंपों में यह भवन जर्जर हो गया है.

फ्रेंच आर्किटेक्ट चार्ल्स मंट ने बनाया था डिजाइन
यह भारत के सबसे खूबसूरत महलों में से एक है. इसका डिजाइन फ्रेंच आर्किटेक्ट चार्ल्स मंट ने बनाया था. इसमें फ्रेंच और भारतीय वास्तुकला का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है. दरभंगा राज के आखिरी महाराजा सर कामेश्वर सिंह ने इसे दान में देकर 26 जनवरी 1961 को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि की स्थापना की थी. तब से यह संस्कृत विवि के अधिकार क्षेत्र में है.

कई हस्तियां बन चुके हैं अतिथि
ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर संतोष कुमार ने बताया कि इस महल के बनने में 12 साल लगे थे. उस जमाने में इसमें बिजली का कनेक्शन और लिफ्ट लगी थी. इसमें कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ ह्यूम से लेकर स्वामी दयानंद सरस्वती, सरोजिनी नायडू, सरदार गोविंद वल्लभ पंत, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी जैसी कई हस्तियां आ चुकी हैं. वहीं लॉर्ड माउंटबेटन और उनके पहले के सभी वायसराय भी इसके अतिथि बन चुके हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि इस महल का संरक्षण पुरातत्व के विशेषज्ञों की देखरेख में होना चाहिए. जो भी लोग काम कर रहे हैं उन्हें धरोहर के संरक्षण की जानकारी नहीं है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'पुराने रूप में ही लाया जाएगा महल'
वहीं, शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम के कार्यपालक अभियंता सचिन दयाल ने बताया कि महल को हू-ब-हू उसी के रूप में लाया जाएगा. इसकी खिड़कियां और दरवाजे सभी उसी रूप में बनाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एनआईटी के इंजीनियर और पुरातत्वविद भी इस काम में जुड़ रहे हैं

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