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दरभंगा: अयोध्या से जनकपुर चली राम की बारात अहिल्या स्थान पहुंची, महिलाओं ने गाए मंगल गीत - राम की बारात पहुंची अहिल्या स्थान

बारात का अहिल्या स्थान में मिथिला की परंपरा के अनुसार भव्य स्वागत किया गया. राम-लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की आरती उतारी गयी. महिलाओं ने मंगल गीत गाए. बारात में करीब तीन सौ की संख्या में साधु-संत पहुंचे थे.

राम की बारात अहिल्या स्थान पहुंची
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Published : Nov 25, 2019, 10:30 PM IST

दरभंगा: 21 नवंबर को अयोध्या से जनकपुर के लिए चली राम की बारात सोमवार को जिले के अहिल्या स्थान पहुंची. ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने इसी स्थान पर पत्थर बन चुकी अहिल्या का उद्धार किया था. बारात में चल रही झांकी में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न समेत राजा दशरथ और विश्वमित्र मुनि मौजूद रहे. इसे देखने के लिए लोगों की बड़ी भीड़ उमड़ी थी.

महिलाओं ने गाए मंगल गीत
बारात का अहिल्या स्थान में मिथिला की परंपरा के अनुसार भव्य स्वागत किया गया. राम-लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की आरती उतारी गयी. महिलाओं ने मंगल गीत गाए. बारात में करीब तीन सौ की संख्या में साधु-संत पहुंचे थे. इस दौरान साधु-संतों ने कहा कि मिथिला में अहिल्या स्थान आकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है. यहां उनका खूब आदर-सत्कार हो रहा है. यह भूमि पवित्र है, जहां श्रीराम के चरण पड़े थे. उन्होंने कहा कि यहां से सनातन धर्म-संस्कृति का अनूठा संदेश जा रहा है.

Ram's baraat reached Ahilya
बारात देखने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

भगवान राम ने अहिल्या का किया था उद्धार
दशरथ के रूप में बारात का नेतृत्व कर रहे अयोध्या के संत गोपाल दास ने कहा कि त्रेता युग में भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया था. यह बारात समाज के सभी वर्गों को एक-दूसरे से जोड़ने का संदेश लेकर पहुंची है. जितनी खुशी राजा दशरथ को बारात को लेकर त्रेता युग में हुई होगी. उतना ही आनंद उन्हें कलयुग में भी बारात का नेतृत्व करते हुए हो रहा है.

पेश है रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर: अलग-अलग घटनाओं में अपराधियों ने 2 लोगों को मारी गोली, 1 की मौत

एक दिसंबर को होगा राम-सीता का विवाह
बता दें कि राम बारात रात में दरभंगा के श्यामा मंदिर में रुकेगी. इसके बाद सुबह बेनीपुर होते हुए मधुबनी और जयनगर के रास्ते नेपाल की ओर जाएगी. 28 नवंबर को बारात नेपाल के जनकपुर पहुंचेगी. 29 नवंबर को वहां मटकोर की विधि होगी. इसके बाद एक दिसंबर को विवाह पंचमी के अवसर पर राम-सीता विवाह का भव्य आयोजन होगा.

दरभंगा: 21 नवंबर को अयोध्या से जनकपुर के लिए चली राम की बारात सोमवार को जिले के अहिल्या स्थान पहुंची. ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने इसी स्थान पर पत्थर बन चुकी अहिल्या का उद्धार किया था. बारात में चल रही झांकी में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न समेत राजा दशरथ और विश्वमित्र मुनि मौजूद रहे. इसे देखने के लिए लोगों की बड़ी भीड़ उमड़ी थी.

महिलाओं ने गाए मंगल गीत
बारात का अहिल्या स्थान में मिथिला की परंपरा के अनुसार भव्य स्वागत किया गया. राम-लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की आरती उतारी गयी. महिलाओं ने मंगल गीत गाए. बारात में करीब तीन सौ की संख्या में साधु-संत पहुंचे थे. इस दौरान साधु-संतों ने कहा कि मिथिला में अहिल्या स्थान आकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है. यहां उनका खूब आदर-सत्कार हो रहा है. यह भूमि पवित्र है, जहां श्रीराम के चरण पड़े थे. उन्होंने कहा कि यहां से सनातन धर्म-संस्कृति का अनूठा संदेश जा रहा है.

Ram's baraat reached Ahilya
बारात देखने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

भगवान राम ने अहिल्या का किया था उद्धार
दशरथ के रूप में बारात का नेतृत्व कर रहे अयोध्या के संत गोपाल दास ने कहा कि त्रेता युग में भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया था. यह बारात समाज के सभी वर्गों को एक-दूसरे से जोड़ने का संदेश लेकर पहुंची है. जितनी खुशी राजा दशरथ को बारात को लेकर त्रेता युग में हुई होगी. उतना ही आनंद उन्हें कलयुग में भी बारात का नेतृत्व करते हुए हो रहा है.

पेश है रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर: अलग-अलग घटनाओं में अपराधियों ने 2 लोगों को मारी गोली, 1 की मौत

एक दिसंबर को होगा राम-सीता का विवाह
बता दें कि राम बारात रात में दरभंगा के श्यामा मंदिर में रुकेगी. इसके बाद सुबह बेनीपुर होते हुए मधुबनी और जयनगर के रास्ते नेपाल की ओर जाएगी. 28 नवंबर को बारात नेपाल के जनकपुर पहुंचेगी. 29 नवंबर को वहां मटकोर की विधि होगी. इसके बाद एक दिसंबर को विवाह पंचमी के अवसर पर राम-सीता विवाह का भव्य आयोजन होगा.

Intro:दरभंगा। 21 नवंबर को अयोध्या से जनकपुर के लिए चली राम बारात सोमवार को दरभंगा के अहिल्या स्थान पहुंची। ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग मे भगवान राम ने इसी स्थान पर पत्थर बन चुकी अहिल्या का उद्धार किया था। बारात में चल रही झांकी में राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न समेत राजा दशरथ और विश्वमित्र मुनि थे। इसे देखने के लिए लोगों की बड़ी भीड़ उमड़ी थी। इनमे महिलाओं की संख्या काफी थी। बारात का अहिल्या स्थान में मिथिला की परंपरा के अनुसार भव्य स्वागत किया गया। राम-लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की आरती उतारी गयी। महिलाओं ने मंगल गीत गाए। बारात में करीब तीन सौ की संख्या में साधु-संत पहुंचे थे। ई टीवी भारत संवाददाता विजय कुमार श्रीवास्तव ने कुछ साधु-संतों से बात की।


Body:साधु-संतों ने कहा कि मिथिला में अहिल्या स्थान आकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है। यहां उनका खूब आदर-सत्कार हो रहा है। यह भूमि पवित्र है जहां श्रीराम के चरण पड़े थे। उन्होंने कहा कि यहां से सनातन धर्म-संस्कृति का अनूठा संदेश जा रहा है। संतों ने कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने की खुशी भारत समेत अमेरिका और अफ्रीका जैसे देशों में भी मनायी जा रही है।

वहीं, दशरथ के रूप में बारात का नेतृत्व कर रहे अयोध्या के संत गोपाल दास ने कहा कि त्रेता युग मे भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया था। यह बारात समाज के सभी वर्गों को एक-दूसरे से जोड़ने का संदेश लेकर पहुंची है। जितनी खुशी राजा दशरथ को बारात को लेकर त्रेता युग मे हुई होगी उतना ही आनंद उन्हें कलयुग में भी बारात का नेतृत्व करते हुए हो रहा है। खासकर सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या में मंदिर बनाने के पक्ष में आये फैसले के बाद यह खुशी काफी बढ़ गयी है।


Conclusion:बता दें कि राम बारात रात में दरभंगा के श्यामा मंदिर में रुकेगी। सुबह बेनीपुर होते हुए मधुबनी और जयनगर के रास्ते नेपाल की ओर जाएगी। 28 नवंबर को बारात नेपाल के जनकपुर पहुंचेगी। 29 नवंबर को वहां मटकोर की विधि होगी। एक दिसंबर को विवाह पंचमी के अवसर पर राम-सीता विवाह का भव्य आयोजन होगा।


बाइट 1- गोपाल दास, बारात के नेतृत्वकर्ता संत.


walkthrough के साथ
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विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा

नोट- आखिरी बाइट गोपाल दास की है।
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