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सीएम के दौरे के बाद भी नहीं बदले बाढ़ पीड़ितों के हालात, दाने-दाने को तरस रहे लोग

बिहार के दरभंगा में बाढ़ (Darbhanga Flood) से लोग बेहाल हैं. वहीं बाढ़ प्रभावित कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड में राहत पहुंचाने का सरकारी दावा खोखला साबित हो रहा है. पढ़िए पूरी खबर..

Bihar Flood News
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Published : Sep 7, 2021, 6:11 PM IST

दरभंगा: बिहार में बाढ़ (Bihar Flood) से लोगों की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. जिले के बाढ़ प्रभावित कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड में राहत पहुंचाने का सरकारी दावा हवा हवाई साबित हो रहा है. ये स्थिति तब है जब हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के बाढ़ग्रस्त इलाके के कई गांवों का नाव और हेलीकॉप्टर से सर्वेक्षण किया था.

यह भी पढ़ें- दरभंगा और मधुबनी का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद बोले CM- विस्थापित परिवारों को दिए जा रहे 6 हजार रुपये

दरभंगा के कई गांवों में सीएम पहुंचे थे और पीड़ितों से मिल कर अधिकारियों को राहत कार्य चलाने के निर्देश दिया था. फिलहाल कोसी और कमला बलान नदियों की धारा से क्षेत्र में बसे प्रखंड के 70 से ज्यादा गांव बाढ़ प्रभावित हैं. सबसे ज्यादा खराब हालत दूरदराज के गांवों की है जहां सरकारी राहत अब तक नहीं पहुंची है.

देखें वीडियो

इन इलाकों में घरों में बाढ़ का पानी अब भी घुसा हुआ है. लोगों के घर बाढ़ में समा गए हैं. कटाव की वजह से लगातार लोगों के आशियाने उजड़ रहे हैं. इन इलाकों में न तो कोई सरकारी अधिकारी पहुंच रहे हैं और न ही कोई एनजीओ।. बाढ़ पीड़ित ऊंचे बांधों, सरकारी स्कूलों और ऊंची सड़कों पर शरण लिए हुए हैं.

घरों में पानी घुसा हुआ है.हमलोग सरकारी स्कूल में शरण लिए हुए हैं. भूखे-प्यासे रह रहे हैं. मुखिया-सरपंच कोई भी पूछने नहीं आता है. सरकार सही से जांच कर जल्द राहत पहुंचाए नहीं तो हमलोग भूखे मर जाएंगे.- सुरेंद्र कुमार, बाढ़ पीड़ित

बाढ़ के हालातों के बीच लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं. पशुओं के लिए चारे की कोई व्यवस्था नहीं है.कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के सीमावर्ती इलाके दरभंगा-सहरसा सीमा पर बसे दियारा क्षेत्र की उजुआ सिमरटोका पंचायत के महादलित टोला बुढ़िया सुकराती में अब तक कोई सरकारी मुलाजिम नहीं पहुंचा है.

ग्रामीणों का कहना है कि यहां अब तक राहत के नाम पर कुछ भी नहीं दिया गया है. घर-घर में पानी घुसा हुआ है. लोग प्राथमिक विद्यालय बुढ़िया सुकरासी के भवन में शरण लिए हुए हैं. ये स्कूल भी पानी से चारों तरफ से घिरा हुआ है और टापू जैसा नजर आ रहा है. दर्जनों घर कट कर नदी में विलीन हो गए हैं.

पीड़ितों ने बताया कि मुख्यमंत्री के आने की जानकारी मिली तो उन लोगों को लगा कि अब शायद कष्ट दूर होगा लेकिन आज तक इलाके में न ही कोई नेता आया और न ही कोई पदाधिकारी. ग्रामीण जल कैदी बनकर रह गए हैं. गांव की सुनीता देवी ने अपनी गिरी हुई झोपड़ी दिखाते हुए बताया कि उनका घर बाढ़ के पानी में ध्वस्त हो चुका है. वे लोग छोटे-छोटे बच्चों के साथ सरकारी स्कूल में शरण लिए हुए हैं. उन्होंने कहा कि खाने-पीने को नहीं मिल रहा है. बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं लेकिन कोई पूछनेवाला नहीं है. पशुओं के लिए भी चारे की कोई व्यवस्था नहीं है.

बता दें कि 31 अगस्त को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा और मधुबनी जिले के बाढ़ ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया था. इस दौरान उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के विभिन्न पुलों और तटबंधों की स्थिति का मुआयना किया. बाढ़ सर्वेक्षण से लौटने के बाद पटना एयरपोर्ट पर सीएम नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत हुए कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाको में जगह-जगह राहत शिविर बनाए गए हैं. जिन लोगों का घर बार नहीं है वहां उनको रहने की व्यवस्था के साथ खाने-पीने की व्यवस्था की गई है. साथ ही विस्थापित परिवार को 6 हजार रुपये दिए जा रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत यहां कुछ और ही है.

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यह भी पढ़ें- बाढ़ की चपेट में मुजफ्फरपुर का शहरी इलाका, घरों में घुसा पानी

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दरभंगा के कई गांवों में सीएम पहुंचे थे और पीड़ितों से मिल कर अधिकारियों को राहत कार्य चलाने के निर्देश दिया था. फिलहाल कोसी और कमला बलान नदियों की धारा से क्षेत्र में बसे प्रखंड के 70 से ज्यादा गांव बाढ़ प्रभावित हैं. सबसे ज्यादा खराब हालत दूरदराज के गांवों की है जहां सरकारी राहत अब तक नहीं पहुंची है.

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इन इलाकों में घरों में बाढ़ का पानी अब भी घुसा हुआ है. लोगों के घर बाढ़ में समा गए हैं. कटाव की वजह से लगातार लोगों के आशियाने उजड़ रहे हैं. इन इलाकों में न तो कोई सरकारी अधिकारी पहुंच रहे हैं और न ही कोई एनजीओ।. बाढ़ पीड़ित ऊंचे बांधों, सरकारी स्कूलों और ऊंची सड़कों पर शरण लिए हुए हैं.

घरों में पानी घुसा हुआ है.हमलोग सरकारी स्कूल में शरण लिए हुए हैं. भूखे-प्यासे रह रहे हैं. मुखिया-सरपंच कोई भी पूछने नहीं आता है. सरकार सही से जांच कर जल्द राहत पहुंचाए नहीं तो हमलोग भूखे मर जाएंगे.- सुरेंद्र कुमार, बाढ़ पीड़ित

बाढ़ के हालातों के बीच लोग दाने-दाने को तरस रहे हैं. पशुओं के लिए चारे की कोई व्यवस्था नहीं है.कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के सीमावर्ती इलाके दरभंगा-सहरसा सीमा पर बसे दियारा क्षेत्र की उजुआ सिमरटोका पंचायत के महादलित टोला बुढ़िया सुकराती में अब तक कोई सरकारी मुलाजिम नहीं पहुंचा है.

ग्रामीणों का कहना है कि यहां अब तक राहत के नाम पर कुछ भी नहीं दिया गया है. घर-घर में पानी घुसा हुआ है. लोग प्राथमिक विद्यालय बुढ़िया सुकरासी के भवन में शरण लिए हुए हैं. ये स्कूल भी पानी से चारों तरफ से घिरा हुआ है और टापू जैसा नजर आ रहा है. दर्जनों घर कट कर नदी में विलीन हो गए हैं.

पीड़ितों ने बताया कि मुख्यमंत्री के आने की जानकारी मिली तो उन लोगों को लगा कि अब शायद कष्ट दूर होगा लेकिन आज तक इलाके में न ही कोई नेता आया और न ही कोई पदाधिकारी. ग्रामीण जल कैदी बनकर रह गए हैं. गांव की सुनीता देवी ने अपनी गिरी हुई झोपड़ी दिखाते हुए बताया कि उनका घर बाढ़ के पानी में ध्वस्त हो चुका है. वे लोग छोटे-छोटे बच्चों के साथ सरकारी स्कूल में शरण लिए हुए हैं. उन्होंने कहा कि खाने-पीने को नहीं मिल रहा है. बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं लेकिन कोई पूछनेवाला नहीं है. पशुओं के लिए भी चारे की कोई व्यवस्था नहीं है.

बता दें कि 31 अगस्त को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा और मधुबनी जिले के बाढ़ ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया था. इस दौरान उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के विभिन्न पुलों और तटबंधों की स्थिति का मुआयना किया. बाढ़ सर्वेक्षण से लौटने के बाद पटना एयरपोर्ट पर सीएम नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत हुए कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाको में जगह-जगह राहत शिविर बनाए गए हैं. जिन लोगों का घर बार नहीं है वहां उनको रहने की व्यवस्था के साथ खाने-पीने की व्यवस्था की गई है. साथ ही विस्थापित परिवार को 6 हजार रुपये दिए जा रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत यहां कुछ और ही है.

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