दरभंगा: जिले में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की ओर से दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटाइजेशन विषय पर 5 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. ये कार्यशाला ललित नारायण मिथिला विवि के महाराजा कामेश्वर सिंह शोध पुस्तकालय में आयोजित किया गया है. जिसमें मिथिला के प्रसिद्ध विद्वान पं. वाचस्पति मिश्र की ताड़ पत्र पर लिखी गई ढाई सौ साल पुरानी पांडुलिपि को प्रदर्शित किया गया.
पांडुलिपियों को बचाने की सिखाई गई तकनीक
कार्यशाला में प्रतिभागियों को नष्ट हो रही पांडुलिपियां और हस्तलिखित दुर्लभ ग्रंथों के उपचार, संरक्षण और डिजिटाइजेशन की तकनीक सिखाई गई. मधुबनी के मधेपुर से आए प्रतिभागी दीपक कुमार झा ने बताया कि उनके दादाजी दरभंगा राज के पुरोहित हुआ करते थे. ताड़पत्र, भोजपत्र और बांसपत्र पर लिखे उनके दो-ढाई सौ साल पुराने ग्रंथ घर में यूं ही रखे रखे खराब हो रहे हैं. ऐसे में वे इस कार्यशाला के जरिए इनके संरक्षण और डिजिटाइजेशन की तकनीक सीखने आए हैं.
देश भर से 30 संग्रहकर्ता हुए शामिल
प्रशिक्षक संतोष कुमार झा ने बताया कि कार्यशाला में प्रतिभागियों को ढाई सौ साल पुरानी दुर्लभ पांडुलिपि का प्रदर्शन कर पांडुलिपि के क्षेत्र, भाषा और लिपि पर प्रशिक्षण दिया गया है. बता दें कि इस कार्यशाला में देश भर से चुने हुए संस्थानों और निजी तौर पर दुर्लभ पाण्डुलिपुयों के 30 संग्रहकर्ताओं को प्रतिभागी के रूप में शामिल किया गया है.