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राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की कार्यशाला में संग्रहकर्ताओं ने सीखे पांडुलिपि संरक्षित करने की तकनीक

प्रशिक्षक संतोष कुमार झा ने बताया कि कार्यशाला में प्रतिभागियों को ढाई सौ साल पुरानी दुर्लभ पांडुलिपि का प्रदर्शन कर पांडुलिपि के क्षेत्र, भाषा और लिपि पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

workshop on manuscripts in darbhanga
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की कार्यशाला
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Published : Jan 22, 2020, 3:05 PM IST

दरभंगा: जिले में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की ओर से दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटाइजेशन विषय पर 5 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. ये कार्यशाला ललित नारायण मिथिला विवि के महाराजा कामेश्वर सिंह शोध पुस्तकालय में आयोजित किया गया है. जिसमें मिथिला के प्रसिद्ध विद्वान पं. वाचस्पति मिश्र की ताड़ पत्र पर लिखी गई ढाई सौ साल पुरानी पांडुलिपि को प्रदर्शित किया गया.

पांडुलिपियों को बचाने की सिखाई गई तकनीक
कार्यशाला में प्रतिभागियों को नष्ट हो रही पांडुलिपियां और हस्तलिखित दुर्लभ ग्रंथों के उपचार, संरक्षण और डिजिटाइजेशन की तकनीक सिखाई गई. मधुबनी के मधेपुर से आए प्रतिभागी दीपक कुमार झा ने बताया कि उनके दादाजी दरभंगा राज के पुरोहित हुआ करते थे. ताड़पत्र, भोजपत्र और बांसपत्र पर लिखे उनके दो-ढाई सौ साल पुराने ग्रंथ घर में यूं ही रखे रखे खराब हो रहे हैं. ऐसे में वे इस कार्यशाला के जरिए इनके संरक्षण और डिजिटाइजेशन की तकनीक सीखने आए हैं.

पूरी रिपोर्ट

देश भर से 30 संग्रहकर्ता हुए शामिल
प्रशिक्षक संतोष कुमार झा ने बताया कि कार्यशाला में प्रतिभागियों को ढाई सौ साल पुरानी दुर्लभ पांडुलिपि का प्रदर्शन कर पांडुलिपि के क्षेत्र, भाषा और लिपि पर प्रशिक्षण दिया गया है. बता दें कि इस कार्यशाला में देश भर से चुने हुए संस्थानों और निजी तौर पर दुर्लभ पाण्डुलिपुयों के 30 संग्रहकर्ताओं को प्रतिभागी के रूप में शामिल किया गया है.

दरभंगा: जिले में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की ओर से दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटाइजेशन विषय पर 5 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. ये कार्यशाला ललित नारायण मिथिला विवि के महाराजा कामेश्वर सिंह शोध पुस्तकालय में आयोजित किया गया है. जिसमें मिथिला के प्रसिद्ध विद्वान पं. वाचस्पति मिश्र की ताड़ पत्र पर लिखी गई ढाई सौ साल पुरानी पांडुलिपि को प्रदर्शित किया गया.

पांडुलिपियों को बचाने की सिखाई गई तकनीक
कार्यशाला में प्रतिभागियों को नष्ट हो रही पांडुलिपियां और हस्तलिखित दुर्लभ ग्रंथों के उपचार, संरक्षण और डिजिटाइजेशन की तकनीक सिखाई गई. मधुबनी के मधेपुर से आए प्रतिभागी दीपक कुमार झा ने बताया कि उनके दादाजी दरभंगा राज के पुरोहित हुआ करते थे. ताड़पत्र, भोजपत्र और बांसपत्र पर लिखे उनके दो-ढाई सौ साल पुराने ग्रंथ घर में यूं ही रखे रखे खराब हो रहे हैं. ऐसे में वे इस कार्यशाला के जरिए इनके संरक्षण और डिजिटाइजेशन की तकनीक सीखने आए हैं.

पूरी रिपोर्ट

देश भर से 30 संग्रहकर्ता हुए शामिल
प्रशिक्षक संतोष कुमार झा ने बताया कि कार्यशाला में प्रतिभागियों को ढाई सौ साल पुरानी दुर्लभ पांडुलिपि का प्रदर्शन कर पांडुलिपि के क्षेत्र, भाषा और लिपि पर प्रशिक्षण दिया गया है. बता दें कि इस कार्यशाला में देश भर से चुने हुए संस्थानों और निजी तौर पर दुर्लभ पाण्डुलिपुयों के 30 संग्रहकर्ताओं को प्रतिभागी के रूप में शामिल किया गया है.

Intro:दरभंगा। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन नई दिल्ली की ओर से दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटाइजेशन विषय पर आयोजित कार्यशाला में मिथिला के प्रसिद्ध विद्वान पं. वाचस्पति मिश्र की ताड़ पत्र पर लिखी गई ढाई सौ साल पुरानी पांडुलिपि को प्रदर्शित किया गया। नष्ट हो रही इस पांडुलिपि के माध्यम से प्रतिभागियों को हस्तलिखित दुर्लभ ग्रंथों के उपचार, संरक्षण और डिजिटाइजेशन की तकनीक सिखाई गई।


Body:मधुबनी के मधेपुर से आये प्रतिभागी दीपक कुमार झा ने बताया कि उनके दादाजी दरभंगा राज के पुरोहित हुआ करते थे। ताड़पत्र, भोजपत्र और बांसपत्र पर उनके लिखे दो-ढाई सौ साल पुराने कई ग्रंथ उनके परिवार में खराब हालत में हैं। इस कार्यशाला में वे इनके संरक्षण और डिजिटाइजेशन की तकनीक सीखने आए हैं।

वहीं, रिसोर्स पर्सन संतोष कुमार झा ने बताया कि कार्यशाला के दूसरे दिन इस सत्र में उन्होंने ढाई सौ साल पुरानी दुर्लभ पांडुलिपि का प्रदर्शन कर प्रतिभागियों को पांडुलिपि के क्षेत्र, भाषा, लिपि और उसके विषय पर प्रशिक्षण दिया है।


Conclusion:बता दें कि पांच दिवसीय इस कार्यशाला में देश भर के चुने हुए संस्थानों और निजी तौर पर दुर्लभ पाण्डुलिपुयों के 30 संग्रहकर्ताओं को प्रतिभागी के रूप में शामिल किया गया है। इसका आयोजन ललित नारायण मिथिला विवि के महाराजा कामेश्वर सिंह सामाजिक अध्ययन संस्थान एवं शोध पुस्तकालय की ओर से किया जा रहा है। इसमें प्रशिक्षण देने के लिए एनएमएम के कई ख्याति प्राप्त प्रशिक्षक आए हैं।

बाइट 1- दीपक कुमार झा, प्रतिभागी.
बाइट 2- संतोष कुमार झा, प्रशिक्षक.

ptc के साथ
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विजय कुमार श्रीवास्तव
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