दरभंगा: जिस के भरोसे राज्य सरकार सूबे में सुशासन का राज कायम करना चाहती है. वही विभाग का एक थाना आज फूसनूमा झोपड़ी में चल रहा है. हनुमान नगर प्रखंड क्षेत्र में स्थापित मोरो थाना की स्थिती भी कुछ ऐसी है कि, न उनके पास हाजत है और न ही मालखाना है. एक अदद भवन के लिए थाने के पुलिस कर्मी तरस रहे हैं.
सूबे की सरकार लोगों के बीच न्याय के साथ विकास की जितनी भी दलीलें पेश करें. लेकिन मोरो थाना की पुलिसिंग के लिए यह सब बातें बेमानी है. मोरो थाना में हाजत नहीं होने की वजह से आरोपी को पुलिसकर्मी अपने कमरे में रखते हैं या फिर 8 किलोमीटर दूर विशनपुर थाना में बने एकमात्र हाजत में पहुंचा दिया जाता है. हाजत नहीं होने के कारण पुलिस के सामने हमेशा अनहोनी होने की आशंका बनी रहती है.
यह भी पढ़ें: UPDATE: लालू यादव की सेहत बेहद खराब, दिल्ली AIIMS के CCU में भर्ती
तीन जिलो के सीमा पर स्थित है मोरो थाना
मोरो थाना तीन जिलों दरभंगा, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर की सीमा क्षेत्र पर स्थित है. करीब 49 साल पहले साल 1972 से इसने ओपी के रुप में काम करना शुरू किया था. 13 वर्ष पहले इसे स्वतंत्र रूप से थाना का दर्जा मिला. इस थाना के पास 4 पंचायत मोरो, अरैला, गोदाईपट्टी और पटोरी की करीब 30 हजार की आबादी के सुरक्षा का जिम्मा है. लेकिन थाना के पास एक अपना भवन नहीं है.
यह भी पढ़ें: सड़क सुरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी: बिना हेलमेट वाहन चला रहे छात्र को दौड़ाकर पीटा
50 साल से फटे हाल
सरकार कहती है कि राज्य की पुलिस आधुनिक बन गई है. सरकार अपने बयान में पुलिस थानों को हाईटेक करने की बात करते हैं. एक बार सीएम नीतीश कुमार को दरभंगा से 57 किलो मीटर दूर सफर तय कर मोरो थाना आकर उसके बदहाली का हाल अपने आंखों से देखना चाहिए. कैसे बीते 50 सालों से मोरो थाना फटेहाल अवस्था में चल रहा है.
स्थापना के बाद 50 बसंत झेल चुका यह थाना बसुआरा हाईस्कूल के सामने स्थित एक फूसनुमा घर में 400 रुपये के मासिक किराये पर संचालित हो रहा है. इस थाना के भवन की स्थिति ऐसी कि यहां की पुलिस आमजन को सुरक्षा प्रदान करने के बजाय खुद को ही असुरक्षित महसूस कर रही है. भवन की जर्जरता ऐसी कि बरसात के दिनों में पुलिसकर्मियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.
काम है किसी तरह तो करना पड़ेगा
थाने में कार्यरत पुलिसकर्मी कहते हैं, 'किसी तरह काम को तो करना ही पड़ेगा, बहुत सारी परेशानी और समस्याओं के साथ यहां काम करना पड़ता है. अगर कोई अपराधी पकड़ा जाता है. तो उसे अपने साथ रखना पड़ता है. बरसात में भीग कर काम करना पड़ता है. किसी तरह ऊपर और नीचे पॉलिथीन लगाकर थाना चला रहे हैं. सरकार को इस ओर ध्यान देनी चाहिए'.
मोरो थाना भवन के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. मुरार थाना अध्यक्ष द्वारा जिस जमीन का सत्यापन किया गया था. उसे अगरतम कार्रवाई के लिए विभाग को भेज दिया गया है. जल्द ही भूमि संबंधित समस्या समाप्त हो जाएगी. और मोरो थाना को अपना जमीन भवन के लिए प्राप्त हो जाएगा.- कैलाश चौधरी, सीओ