दरभंगाः देश विरोधी गतिविधियों में शामिल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े संदिग्ध लोगों का पर्दाफाश करने में जहां देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी एनआईए (NIA) लगी हुई है. वहीं दूसरी ओर भाकपा (माले) के नेता आरोपियों के परिजनों से मिल रहे हैं. दरअसल फुलवारीशरीफ विधायक गोपाल रविदास और सिकटा विधायक बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता (MLA Virendra Prasad Gupta) ने बुधवार को गिरफ्तार नूरुद्दीन जंगी के घर पहुंचकर उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात (MLA Gopal Ravidas Met To Nooruddin Jangi Family) की. इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र की सरकार 2024 की लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. बीजेपी एक खास समुदाय को टारगेट कर रही है.
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2020 में दरभंगा से चुनाव लड़े थे जंगीः दरभंगा पहुंचे फुलवारीशरीफ विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि पेशे से वकील नूरुद्दीन जंगी 2020 में दरभंगा शहरी सीट से विधानसभा से चुनाव लड़े थे. पेशे से वकील होने के नाते वे पीएफआई का केस भी लड़ते थे. उन्होंने कहा कि पीएफआई एक राजनीतिक पार्टी है. इसका सदस्य होना कोई अपराध नहीं है और बिना किसी ठोस सबूत के अधिवक्ता नूरुद्दीन जंगी को बिहार पुलिस लखनऊ से गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है, जो सही नहीं है.
"बीजेपी सरकार साजिश के तहत अधिवक्ता नूरुद्दीन जंगी जैसे कई लोगों को गिरफ्तार कर 2024 चुनाव की तैयारी कर रही है. बीजेपी एक समुदाय को टारगेट कर यह कार्य कर रही है. जिसका भाकपा माले पुरजोर विरोध करता है और परिवार के साथ हर समय खड़ा रहेगा. नूरुद्दीन जंगी के विरूद्ध अभी तक कोई साक्षय नहीं मिला है. बिना साक्ष्य के विशेष समुदाय को टारगेट करना बिल्कुल अनुचित है"- गोपाल रविदास, विधायक, सीपीआई(एमएल)
NAI ने की नूरूद्दीन जंगी के घर पर छापेमारीः बता दें कि गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल मामले को अब सिर्फ एनआईए ही देख रही है. जरूरत के हिसाब से पटना पुलिस, एटीएस अब जांच में सिर्फ सहयोग करेगी. इससे पहले पटना पुलिस और एटीएस ने इस मामले में आरोपी नुरुद्दीन जंगी को लखनऊ से गिरफ्तार किया था. आज गुरुवार को दरभंगा में एनआईए की टीम ने 4 घंटे की छापेमारी में नूरूद्दीन जंगी की मां और उनके भाई से गहन पूछताछ की गई और पूरे घर की तालाशी ली. हालांकि टीम ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि जंगी के घर कुछ दस्तावेज उनके हाथ लगे या नहीं, मीडिया वाले एनआईए से लगातार सवाल करते रहे, लेकिन टीम ने कोई जानकारी नहीं दी.
ऐसे हुआ था आतंकी साजिश का खुलासा: दरअसल, इस पूरे मामले की भनक पुलिस को तब लगी जब 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे से पहले 11 जुलाई को फुलवारी शरीफ में संदिग्ध अतहर परवेज और जलालुद्दीन को पकड़ा गया. ये लोग दो महीने से पीएम मोदी के आगमन को लेकर किसी बड़ी साजिश का षड्यंत्र रच रहे थे. FIR में दर्ज बयान के आधार पर बताया गया कि बहुत से लोग पीएम के आगमन को लेकर बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए जुटे हैं. पिछली 6-7 जुलाई को भी इन लोगों ने गुप्त मीटिंग की थी जिसमें अनजान लोगों का आना जाना हुआ था. यानी दोनों की साजिश के तार काफी गहरे दिख रहे थे. प्रधानमंत्री आगमन को लेकर आईबी के अलर्ट के बाद IB द्वारा मिली रिपोर्ट के आधार पर इन दोनों को गिरफ्तार किया गया था. जब इस मामले की जांच आगे बढ़ी तो बिहार में एक बड़े आतंकी साजिश का खुलासा हुआ. अब NIA इन सभी आरोपियों का चिट्ठा जांच में खंगालेगी.