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मिथिलांचल में प्रसिद्ध लोकपर्व सामा-चकेवा की हुई शुरुआत - Sama Chakewa will last for seven days

सामा-चकेवा पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है. मिथिलांचल का यह त्योहार छठ पर्व के समाप्ति के बाद अगले 7 दिनों तक चलेगा.

दरभंगा
समा-चकेवा खरीदती महिलाएं
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Published : Nov 21, 2020, 9:34 PM IST

दरभंगा: मिथिलांचल के प्रसिद्ध लोकपर्व सामा-चकेवा की छठ समाप्ति के उपरांत शनिवार को शुरुआत हो गई है. भाई-बहन के अटूट प्रेम के इस पर्व में मिथिला की संस्कृति के कई रूप झलकते हैं. मिथिलांचल में इस पर्व की शुरुआत को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. पहले दिन बहनों ने बाजार जाकर सामा-चकेवा और चुगला के प्रतीकों की खरीदारी की.

सात दिनों तक चलता है यह त्योहार
7 दिनों तक बहने भाई की खुशहाल जीवन के लिए मंगल कामना करती हैं. इस पर्व में बहनें पारंपरिक गीत गाती हैं. सामा-चकेवा व चुगला की कथा को गीतों के रूप में प्रस्तुत करती हैं. आखिरी दिन कार्तिक पूर्णिमा को सामा-चकेवा को टोकरी में सजा-धजा कर बहनें नदी तालाबों के घाटों तक पहुंचती हैं और पारंपरिक गीतों के साथ सामा चकेवा का विसर्जन हो जाता है.

लोकपर्व सामा-चकेवा की हुई शुरुआत

वहीं, एक स्थानीय युवती ने बताया कि सामा-चकेवा मिथिलांचल का एक प्रसिद्ध त्योहार है. वे अपने भाई की सलामती और खुशहाली के लिए यह त्योहार मनाती हैं. उन्होंने कहा कि 7 दिनों तक वे गीत गाएंगी और सामा चकेवा का खेल खेलेंगी.

दरभंगा: मिथिलांचल के प्रसिद्ध लोकपर्व सामा-चकेवा की छठ समाप्ति के उपरांत शनिवार को शुरुआत हो गई है. भाई-बहन के अटूट प्रेम के इस पर्व में मिथिला की संस्कृति के कई रूप झलकते हैं. मिथिलांचल में इस पर्व की शुरुआत को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. पहले दिन बहनों ने बाजार जाकर सामा-चकेवा और चुगला के प्रतीकों की खरीदारी की.

सात दिनों तक चलता है यह त्योहार
7 दिनों तक बहने भाई की खुशहाल जीवन के लिए मंगल कामना करती हैं. इस पर्व में बहनें पारंपरिक गीत गाती हैं. सामा-चकेवा व चुगला की कथा को गीतों के रूप में प्रस्तुत करती हैं. आखिरी दिन कार्तिक पूर्णिमा को सामा-चकेवा को टोकरी में सजा-धजा कर बहनें नदी तालाबों के घाटों तक पहुंचती हैं और पारंपरिक गीतों के साथ सामा चकेवा का विसर्जन हो जाता है.

लोकपर्व सामा-चकेवा की हुई शुरुआत

वहीं, एक स्थानीय युवती ने बताया कि सामा-चकेवा मिथिलांचल का एक प्रसिद्ध त्योहार है. वे अपने भाई की सलामती और खुशहाली के लिए यह त्योहार मनाती हैं. उन्होंने कहा कि 7 दिनों तक वे गीत गाएंगी और सामा चकेवा का खेल खेलेंगी.

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