दरभंगा: यूजीसी की 11वीं और 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत मिली राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के मामले में बिहार के जिन 372 कॉलेजों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. उन्हें पटना हाईकोर्ट ने थोड़ी मोहलत दी है. हाईकोर्ट के आदेश पर इन कॉलेजों को राशि के खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र देने और शेष बची राशि सरेंडर करने को कहा गया है. इसके लिए बिहार के तीन विश्वविद्यालयों पटना विवि, भागलपुर विवि और ललित नारायण मिथिला विवि को नोडल विश्वविद्यालय बनाया गया है. जहां इन सभी 372 कॉलेजों के प्रधानाचार्यों की बैठक आयोजित की जाएगी.
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एलएनएमयू बना होस्ट विश्वविद्यालय
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कॉलेजों के लिए होस्ट विश्वविद्यालय बनाया गया है. यहां 8, 9 और 10 मार्च को संबंधित कॉलेजों के प्रधानाचार्यों की बैठक बुलाई गई है. वहीं, इस बैठक में बीआरए बिहार विवि के 53, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के 46 और ललित नारायण मिथिला विवि के 60 कॉलेजों के प्रधानाचार्य शामिल होंगे.
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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने इस बैठक के लिए विश्वविद्यालय के विकास पदाधिकारी प्रो. केके साहू और स्नातकोत्तर गणित विभाग के अध्यक्ष डॉ. एनके अग्रवाल को नोडल पदाधिकारी बनाया है.
'यूजीसी की 11वीं और 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र जिन कॉलेजों ने नहीं भेजा है. उन पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. इसको लेकर एक एनजीओ ने पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उसी के बाद कोर्ट ने यह सख्ती बरती है'.- डॉ. केके साहू, विकास पदाधिकारी
प्रो. आरजे राव होंगे कमेटी के चेयनमैन
उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर संबंधित कॉलेजों के प्रधानाचार्यों के साथ बैठक के लिए कमेटी बनाई गई है. इस कमेटी के चेयरमैन बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल, मध्य प्रदेश के कुलपति प्रो. आरजे राव होंगे. जबकि तीनों विवि के कुलपति इसके सदस्य होंगे. इस बैठक में यूजीसी के ईआरओ कोलकाता के अधिकारी डॉ. अमित भी मौजूद रहेंगे. इस बैठक में प्रधानाचार्यों को उपयोगिता प्रमाण पत्र बनाने और शेष बची राशि सरेंडर करने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा.