दरभंगा: हनुमाननगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों ने बाढ़ पीड़ितों के बीच मेडिकल शिविर लगाया. इस दौरान जरूरतमंदों का इलाज कर उन्हें मुफ्त में दवाईयां भी वितरित की गई.
बता दें कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर दरभंगा-समस्तीपुर मुख्य सड़क पर कई किमी तक बाढ़ का पानी बह रहा है. लोगों की परेशानी को दखते हुए प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक जमील अहमद ने बाढ़ पीड़ितों के बीच जाकर इलाज करने का निर्णय लिया. इस दौरान दर्जनों लोगों का मुफ्त में इलाज किया गया.
'लोगों की परेशानी को देखते हुए लिया गया निर्णय'
मेडिकल टीम में शामिल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हनुमाननगर के डॉक्टर अनीता मिश्रा ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों की परेशानी को देखते हुए प्रभावित इलाके में अलग-अलग जगहों पहुंचकर मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि लोगों के बीच पहुंचने के लिए उन्हें कभी नाव तो कभी कभी कई किमी पैदल चलना पड़ रहा है. वहीं, प्रयोगशाला प्राविधिक विनोद कुमार झा ने बताया कि सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं.
![नाव से बाढ़ प्रभावित इलाके में मेडिकल कैंप लगाने जा रहे कर्मी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-dar-01-in-the-event-of-flood-medical-team-is-getting-support-of-flood-victims-spl-bhc10050_11082020070250_1108f_1597109570_1042.jpg)
इस मौके पर मेडिकल टीम में प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक जमील अहमद, डॉ.अनिता मिश्रा, प्रयोगशाला प्राविधिक विनोद कुमार झा, मनोज ठाकुर, कोविड-19 पर्यवेक्षक भुवनेश्वर सिंह और पिन्टू कुमार मौजूद रहे.
बिहार में हर साल बाढ़ की त्रासदी
बिहार में हर साल बाढ़ से भारी तबाही होती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं. कई लोगों के घर बाढ़ में बह जाते हैं तो कई को जान से हाथ धोना पड़ता है. इसे देखते हुए राज्य में 3800 किलोमीटर से अधिक लंबाई में तटबंध का निर्माण कराया गया, लेकिन इससे बाढ़ की समस्या खत्म नहीं हुई.
विशेषज्ञों का मानना है कि तटबंध से बाढ़ की समस्या का निदान नहीं होने वाला है. इसके लिए नदियों को सिंचाई योजना से लिंक करना होगा. बाढ़ से हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है. राज्य सरकार हर साल बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से मांग करती है.
हर साल होता है करोड़ों का नुकसान
बिहार में बाढ़ से हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है. राज्य सरकार हर साल बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से मांग करती है. 2007 में बिहार सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए 17 हजार करोड़ से अधिक, 2008 में कुसहा तटबंध टूटने पर बिहार सरकार ने 14 हजार 800 करोड़, 2016 में बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 4 हजार से अधिक की मांग की गई थी.
![बाढ़ के पानी में फंसा हुआ किसान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8379578_1.jpg)
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र
बिहार का कुल 68.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है, जिसमें उत्तर बिहार में 44.46 लाख हेक्टेयर और दक्षिण बिहार में 24.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है. बाढ़ से बचाव के लिए 3800 किलोमीटर तटबंध का निर्माण किया गया है, जिसमें उत्तर बिहार में तटबंध की लंबाई 3305 किलोमीटर हैं और दक्षिण बिहार के तटबंध की लंबाई 485 किलोमीटर है.
बिहार में नदियों के 12 बेसिन पर तटबंध का निर्माण किया गया है, जो इस प्रकार हैं-
तटबंध | लंबाई (कि.मी) |
गंडक बेसीन तटबंध | 511.66 |
बूढ़ी गंडक बेसीन तटबंध | 779.26 |
बागमती बेसीन तटबंध | 488.14 |
कोसी बेसीन तटबंध | 652.41 |
कमला बेसीन तटबंध | 204.00 |
घाघरा बेसीन तटबंध | 132.90 |
पुनपुन बेसीन तटबंध | 37.62 |
चंदन बेसीन तटबंध | 83.18 |
महानंदा बेसीन तटबंध | 230.33 |
गंगा बेसीन तटबंध | 596. 02 |
सोन बेसीन तटबंध | 59.54 |
किउल हरोहर बेसीन तटबंध | 14.00 |