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चमचमाते इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में नहीं आता कोई कर्मी, मेंटेनेंस के नाम पर अवैध निकासी का आरोप

दरभंगा के सिनुआर गोपाल का स्वास्थ्य उपकेन्द्र करीब 15 साल से सरकारी उदासीनता का दंश झेल रहा है. यहां अस्पताल भवन तो बना, लेकिन मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है. लोगों का आरोप है कि मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ अवैध निकासी की जा रही है. पढ़ें पूरी खबर..

Lock in Sinuar Gopal Health Sub Center of Harpatti Panchayat of Darbhanga
Lock in Sinuar Gopal Health Sub Center of Harpatti Panchayat of Darbhanga
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Published : Oct 11, 2021, 8:36 AM IST

दरभंगा: सूबे की सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लाख दावे कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बहादुरपुर प्रखंड (Bahadurpur Block) अंतर्गत आने वाली हरपट्टी पंचायत के सिनुआर गोपाल (Sinuar Gopal) गांव में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre) शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. लाखों रुपये से बने स्वास्थ्य उपकेंद्र का भवन तो आकर्षक है, लेकिन इसमें कार्यरत कर्मियों के नदारत रहने से आम जनता त्रस्त है. स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद भी यहां ताला लटका (Lock in Health Sub Center) हुआ है.

यह भी पढ़ें - ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा पर CBI जांच की मांग, RJD ने लगाया घोटाले का आरोप

बात दें कि जिले के हरपट्टी पंचायत के सिनुवार गोपाल गांव में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन सिर्फ देखने में ही सुंदर है. लेकिन यहां से आम लोगों को किसी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. लाखों रुपयों से बने स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन में कार्यरत कर्मी ताला खोलना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. ताला लटके रहने के कारण मामूली सर्दी, बुखार से पीड़ित लोगों को निजी क्लिनिक का रुख करना पड़ रहा है. जहां छोटी-मोटी बीमारी में भी हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं.

देखें वीडियो

स्थानीय लोगों का कहना है कि बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई बार आवेदन देने के बाद जांच के लिए अधिकारी आते हैं. लेकिन जांच करके क्या जाते हैं कुछ पता नहीं चल पाता है. पिछले लगभग 15 से 20 वर्षों से इस स्वास्थ्य उपकेंद्र पर किसी भी कर्मी का आना-जाना नहीं होता है. जिससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य उपकेंद्र होने से यहां के लोगों को काफी सहुलियत थी. लेकिन अब सिर्फ इस भवन के मेंटेनेंस के नाम पर पैसे की लूट हो रही है. लोगों ने बताया कि पहले छोटे-छोटे बच्चों का यहां इलाज होता था. यहां गर्भवती महिलाएं भी प्रसव कराने आती थी. पर इन दिनों यह सरकारी स्वास्थ्य उपकेंद्र बन्द पड़ा है. इस कारण यहां के लोगों को इलाज कराने को लिए गांव से दूर जाना पड़ता है.

बात दें कि स्वास्थ्य उपकेंद्र बंद होने रहने के कारण आक्रोशित लोगों ने इसे चारवाहा विद्यालय जैसा कहने लगे, तो कुछ लोगों ने इसे मवेशियों का खटाल नाम दे दिया. वहीं सिनुआर गोपाल स्वस्थ्य उपकेंद्र पर आज तक किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि ने भी नोटिस नहीं किया.

लोगों ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत कर्मियों को विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का संरक्षण प्राप्त रहने के कारण मनोबल बढ़ा हुआ है. यहां फिर इस स्वास्थ्य केंद्र पर किसी कर्मी की नियुक्ति नहीं की गई, जिसकी पहले से नियुक्ति थी, उसका भी तबादला कर दिया गया, जिस कारण इस स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका हुआ है.

यह भी पढ़ें - Bihar Health System: स्वास्थ्य उपकेंद्र में पिछले 11 सालों से लटका ताला, बना शोभा की वस्तु

दरभंगा: सूबे की सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लाख दावे कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बहादुरपुर प्रखंड (Bahadurpur Block) अंतर्गत आने वाली हरपट्टी पंचायत के सिनुआर गोपाल (Sinuar Gopal) गांव में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre) शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. लाखों रुपये से बने स्वास्थ्य उपकेंद्र का भवन तो आकर्षक है, लेकिन इसमें कार्यरत कर्मियों के नदारत रहने से आम जनता त्रस्त है. स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद भी यहां ताला लटका (Lock in Health Sub Center) हुआ है.

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बात दें कि जिले के हरपट्टी पंचायत के सिनुवार गोपाल गांव में बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन सिर्फ देखने में ही सुंदर है. लेकिन यहां से आम लोगों को किसी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. लाखों रुपयों से बने स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन में कार्यरत कर्मी ताला खोलना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. ताला लटके रहने के कारण मामूली सर्दी, बुखार से पीड़ित लोगों को निजी क्लिनिक का रुख करना पड़ रहा है. जहां छोटी-मोटी बीमारी में भी हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं.

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स्थानीय लोगों का कहना है कि बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई बार आवेदन देने के बाद जांच के लिए अधिकारी आते हैं. लेकिन जांच करके क्या जाते हैं कुछ पता नहीं चल पाता है. पिछले लगभग 15 से 20 वर्षों से इस स्वास्थ्य उपकेंद्र पर किसी भी कर्मी का आना-जाना नहीं होता है. जिससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य उपकेंद्र होने से यहां के लोगों को काफी सहुलियत थी. लेकिन अब सिर्फ इस भवन के मेंटेनेंस के नाम पर पैसे की लूट हो रही है. लोगों ने बताया कि पहले छोटे-छोटे बच्चों का यहां इलाज होता था. यहां गर्भवती महिलाएं भी प्रसव कराने आती थी. पर इन दिनों यह सरकारी स्वास्थ्य उपकेंद्र बन्द पड़ा है. इस कारण यहां के लोगों को इलाज कराने को लिए गांव से दूर जाना पड़ता है.

बात दें कि स्वास्थ्य उपकेंद्र बंद होने रहने के कारण आक्रोशित लोगों ने इसे चारवाहा विद्यालय जैसा कहने लगे, तो कुछ लोगों ने इसे मवेशियों का खटाल नाम दे दिया. वहीं सिनुआर गोपाल स्वस्थ्य उपकेंद्र पर आज तक किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि ने भी नोटिस नहीं किया.

लोगों ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत कर्मियों को विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का संरक्षण प्राप्त रहने के कारण मनोबल बढ़ा हुआ है. यहां फिर इस स्वास्थ्य केंद्र पर किसी कर्मी की नियुक्ति नहीं की गई, जिसकी पहले से नियुक्ति थी, उसका भी तबादला कर दिया गया, जिस कारण इस स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका हुआ है.

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