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उपेक्षा का दशं झेल रहा है नरगौना पैलेस, LNMU ने की इस धरोहर को संरक्षित करने की पहल

इतिहासकार प्रो. रत्नेश्वर मिश्र ने महल के संरक्षण पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि ये भारत की नायाब धरोहर है. नरगौना महल में वे कई बार आए हैं. लेकिन महाराजा कामेश्वर सिंह ने जिस कक्ष में अंतिम सांस ली थी. उसे इतना व्यवस्थित उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था.

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Published : Jul 11, 2020, 8:35 PM IST

दरभंगा: कहते हैं कि जो समाज अपनी धरोहरों को नई पीढ़ी के लिए सुरक्षित नहीं रख सकता, उसका इतिहास दुनिया भुला देती है. जिस दरभंगा राज ने देश की शिक्षा, कला-संस्कृति और खेलकूद से लेकर राजनीति तक को दिशा देने में अपना योगदान दिया, जिसने आजादी की लड़ाई से लेकर आजाद भारत के निर्माण में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, उसकी धरोहरें आज अपने ही दरभंगा में उपेक्षित पड़ी हैं.

1936 में बने भारत के सबसे खूबसूरत और नायाब महलों में शुमार दरभंगा का नरगौना पैलेस आज उपेक्षित है. एक जमाने में रियासतों-रजवाड़ों के महल चिराग और लैंप से रोशन हुआ करता था. उस जमाने में नरगौना पैलेस में बिजली लगी थी. इस महल में 3 लिफ्ट लगी थीं, एसी, गीजर समेत कई यंत्र भी लगे थे. महल में एक खूबसूरत स्विमिंग पूल भी था.

भारत का पहला भूकंपरोधि महल
बता दें कि नरगौना पैलेस भारत का पहला भूकंपरोधि महल है. डच वास्‍तुशैली में बने इस महल को प्रसिद्ध वास्‍तुकार सह अभियंता फेलचर, हेय और रिड ने सामूहिक रूप से किया था. महाराजा कामेश्‍वर सिंह ने इसका निर्माण 1934 में आये भूकंप के बाद क्षतिग्रस्‍त छत्र निवास पैलेस के स्‍थान पर कराया था. इस महल में एक भी ईंट का प्रयोग नहीं हुआ है.

स्विमिंग पूल
स्विमिंग पूल

स्विमिंग पूल को धरोहर की तर्ज पर किया जएगा चालू
इस महल में देश-विदेश के कई राजे-महाराजे, वायसराय लॉर्ड माउंटबेटेन उनकी पत्नी एडविना, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन समेत कई मशहूर हस्तियां मेहमान बने थे. इंदिरा गांधी ने तो 1956 में इसके स्विमिंग पूल के पास बैठ कर महाराजा कामेश्वर सिंह के साथ चाय भी पी थी. इसी महल में 1962 में महाराजा कामेश्वर सिंह ने अंतिम सांस ली थी. आज उसकी तरफ न तो भारत सरकार और न बिहार सरकार का ध्यान है. खस्ताहाल और उपेक्षित पड़े इस महल और स्विमिंग पूल को अब संरक्षित करने की पहल ललित नारायण मिथिला विवि ने अपने स्तर से शुरू की है. महल में महाराजा के कक्ष को आम लोगों के लिए खोला जा रहा है. तो वहीं, स्विमिंग पूल को धरोहर की तर्ज पर फिर से चालू किया जा रहा है.

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कई हस्तियां आ चुके है यहां, फोटो संभार-संतोष कुमार

ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर और राज मामलों के जानकार संतोष कुमार ने बताया कि उनके पास जो तस्वीरें हैं. उनमें नरगौना पैलेस में वायसराय लार्ड माउंटबेटेन अपनी पत्नी एडविना के साथ आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के लिए इन धरोहरों का संरक्षण बहुत जरूरी है.

'भारत की नायाब धरोहर है नरगौना पैलेस'
इतिहासकार प्रो. रत्नेश्वर मिश्र ने महल के संरक्षण पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि ये भारत की नायाब धरोहर है. नरगौना महल में वे कई बार आए हैं. लेकिन महाराजा कामेश्वर सिंह ने जिस कक्ष में अंतिम सांस ली थी. उसे इतना व्यवस्थित उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था. उन्होंने कहा कि इन धरोहरों का संरक्षण कर हम आनेवाली पीढ़ियों को अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित करवा सकेंगे.

देखें रिपोर्ट

'धरोहरों को बचाना कोई मुश्किल काम नहीं'
ललित नारायण मिथिला विवि के रजिस्ट्रार कर्नल निशीथ कुमार राय ने कहा कि दरभंगा राज का देश के लिए योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि खराब हो रही धरोहरों को बचाना कोई मुश्किल काम नहीं है. उन्होंने महल की देखभाल शुरू की है. अब इसके स्विमिंग पूल का भी जीर्णोद्धार किया जा रहा है. इसका ऐतिहासिक महत्व है. महल में देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियां अतिथि बनकर रह चुकी हैं.

दरभंगा: कहते हैं कि जो समाज अपनी धरोहरों को नई पीढ़ी के लिए सुरक्षित नहीं रख सकता, उसका इतिहास दुनिया भुला देती है. जिस दरभंगा राज ने देश की शिक्षा, कला-संस्कृति और खेलकूद से लेकर राजनीति तक को दिशा देने में अपना योगदान दिया, जिसने आजादी की लड़ाई से लेकर आजाद भारत के निर्माण में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, उसकी धरोहरें आज अपने ही दरभंगा में उपेक्षित पड़ी हैं.

1936 में बने भारत के सबसे खूबसूरत और नायाब महलों में शुमार दरभंगा का नरगौना पैलेस आज उपेक्षित है. एक जमाने में रियासतों-रजवाड़ों के महल चिराग और लैंप से रोशन हुआ करता था. उस जमाने में नरगौना पैलेस में बिजली लगी थी. इस महल में 3 लिफ्ट लगी थीं, एसी, गीजर समेत कई यंत्र भी लगे थे. महल में एक खूबसूरत स्विमिंग पूल भी था.

भारत का पहला भूकंपरोधि महल
बता दें कि नरगौना पैलेस भारत का पहला भूकंपरोधि महल है. डच वास्‍तुशैली में बने इस महल को प्रसिद्ध वास्‍तुकार सह अभियंता फेलचर, हेय और रिड ने सामूहिक रूप से किया था. महाराजा कामेश्‍वर सिंह ने इसका निर्माण 1934 में आये भूकंप के बाद क्षतिग्रस्‍त छत्र निवास पैलेस के स्‍थान पर कराया था. इस महल में एक भी ईंट का प्रयोग नहीं हुआ है.

स्विमिंग पूल
स्विमिंग पूल

स्विमिंग पूल को धरोहर की तर्ज पर किया जएगा चालू
इस महल में देश-विदेश के कई राजे-महाराजे, वायसराय लॉर्ड माउंटबेटेन उनकी पत्नी एडविना, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन समेत कई मशहूर हस्तियां मेहमान बने थे. इंदिरा गांधी ने तो 1956 में इसके स्विमिंग पूल के पास बैठ कर महाराजा कामेश्वर सिंह के साथ चाय भी पी थी. इसी महल में 1962 में महाराजा कामेश्वर सिंह ने अंतिम सांस ली थी. आज उसकी तरफ न तो भारत सरकार और न बिहार सरकार का ध्यान है. खस्ताहाल और उपेक्षित पड़े इस महल और स्विमिंग पूल को अब संरक्षित करने की पहल ललित नारायण मिथिला विवि ने अपने स्तर से शुरू की है. महल में महाराजा के कक्ष को आम लोगों के लिए खोला जा रहा है. तो वहीं, स्विमिंग पूल को धरोहर की तर्ज पर फिर से चालू किया जा रहा है.

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कई हस्तियां आ चुके है यहां, फोटो संभार-संतोष कुमार

ललित नारायण मिथिला विवि के सीनेटर और राज मामलों के जानकार संतोष कुमार ने बताया कि उनके पास जो तस्वीरें हैं. उनमें नरगौना पैलेस में वायसराय लार्ड माउंटबेटेन अपनी पत्नी एडविना के साथ आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के लिए इन धरोहरों का संरक्षण बहुत जरूरी है.

'भारत की नायाब धरोहर है नरगौना पैलेस'
इतिहासकार प्रो. रत्नेश्वर मिश्र ने महल के संरक्षण पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि ये भारत की नायाब धरोहर है. नरगौना महल में वे कई बार आए हैं. लेकिन महाराजा कामेश्वर सिंह ने जिस कक्ष में अंतिम सांस ली थी. उसे इतना व्यवस्थित उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था. उन्होंने कहा कि इन धरोहरों का संरक्षण कर हम आनेवाली पीढ़ियों को अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित करवा सकेंगे.

देखें रिपोर्ट

'धरोहरों को बचाना कोई मुश्किल काम नहीं'
ललित नारायण मिथिला विवि के रजिस्ट्रार कर्नल निशीथ कुमार राय ने कहा कि दरभंगा राज का देश के लिए योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि खराब हो रही धरोहरों को बचाना कोई मुश्किल काम नहीं है. उन्होंने महल की देखभाल शुरू की है. अब इसके स्विमिंग पूल का भी जीर्णोद्धार किया जा रहा है. इसका ऐतिहासिक महत्व है. महल में देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियां अतिथि बनकर रह चुकी हैं.

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