दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्विद्यालय में फिर एक बार लापरवाही का मामला सामने आया है. जहां विवि के परीक्षक स्नातक विज्ञान प्रतिष्ठा के एक छात्र की कॉपी पर एक प्रश्नोत्तर पर अंक देना ही भूल गए हैं. आश्चर्य की बात है कि पिछले साल भी इसी छात्र की कॉपी पर परीक्षक एक प्रश्नोत्तर पर अंक देना भूल गए थे.
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विवि ने षड़यंत्र से किया इनकार
छात्र ने 8 हजार रुपये खर्च कर दोनों साल की कॉपी आरटीआई से निकाली तो मामला सामने आया. अब छात्र को छूटे हुए प्रश्नोत्तर पर अंक तो दे दिया गया है लेकिन छात्र का कहना है कि विवि ने उसे साजिश के तहत कम अंक देकर टॉपर होने से रोक दिया है. इसके खिलाफ वह हाइकोर्ट जाएगा. उधर, विवि ने मामले में किसी षडयंत्र से इनकार किया है.
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जान बूझ कर उत्तर पर कम नंबर देने का आरोप
सीएम साइंस कॉलेज के स्नातक भौतिक विज्ञान प्रतिष्ठा अंतिम वर्ष के छात्र रूपेश कुमार मिश्रा ने कहा कि उसे दोनों साल 4-4 हजार रुपये खर्च कर आरटीआई से अपनी कॉपी निकालनी पड़ी, तब जाकर मामला सामने आया. उसने कहा कि विवि के परीक्षक ना सिर्फ किसी प्रश्नोत्तर पर नंबर देना भूल जाते हैं, बल्कि उसे जान बूझ कर उत्तर पर कम नंबर दिए जाते हैं.
टॉपर नहीं होने देने की साजिश
रूपेश कुमार मिश्रा ने कहा कि उसके विषय में टॉपर छात्र से कुछ ही कम नंबर उसे मिले हैं. अगर सही से नंबर दिए जाते तो वह टॉपर होता. उसने कहा कि विवि ने जानबूझ कर उसे टॉपर नहीं होने देने के लिए ये साजिश की है. अब जब उसने कॉपी पर चैलेंज किया तो उसे महज 4 अंक दे दिए गए हैं. उसने कहा कि वह विवि के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगा.
परीक्षा नियंत्रक ने किया आरोप से इनकार
उधर, विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉ. सत्येंद्र कुमार राय ने छात्र के इस आरोप से इनकार किया कि उसके साथ विवि ने कोई साजिश की है. उन्होंने कहा कि छात्र के छूटे हुए प्रश्नोत्तर पर 5 में से 4 अंक दे दिए गए हैं. विवि में रिटोटलिंग का प्रावधान तो है लेकिन रिवैल्यूएशन यानि पुनर्मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस परीक्षक ने इस छात्र की कॉपी जांची थी उसे मूल्यांकव कार्य से हमेशा के लिए अलग करने की कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने विवि में किसी टॉपर घोटाले से इनकार किया.