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LNMU प्रशासन ने डाटा सेंटर में जड़ा ताला, एनालिसिस करने वाली कंपनी के कर्मचारियों को किया बाहर

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय प्रशासन ने डाटा ताला जड़ दिया और एनालिसिस करने व कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया. कंपनी के कर्मचारियों के द्वारा विरोध किये जाने पर रजिस्ट्रार ने एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है.

डाटा सेंटर
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Published : Nov 13, 2021, 8:19 PM IST

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (Lalit Narayan Mithila University) ने नामांकन और परीक्षा का डाटा एनालिसिस कर रिजल्ट बनाने का काम करने वाली एजेंसी को बाहर का रास्ता दिखा दिया. दिल्ली की नेशनल कंप्यूटर को-ऑपरेटिव सोसाइटी (National Computer Co-Operative Society) को इसका टेंडर मिला था. शनिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने डाटा सेंटर में ताला जड़ दिया (Lock the Data Center) और वहां काम कर रहे निजी कंपनी के कर्मियों को बाहर निकाल दिया.

ये भी पढ़ें- सरकार ने विश्वविद्यालयों में सीट वृद्धि के प्रस्ताव को दी मंजूरी, LNMU में बढ़ी सबसे अधिक सीटें

निजी कंपनी के कर्मियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा डाटा सेंटर में ही ताला जड़े जाने पर कहा कि विश्वविद्यालय ने उनके साथ नामांकन से लेकर रिजल्ट निकालने तक के काम का अनुबंध किया था, लेकिन बीच में ही उन्हें काम से हटा दिया गया. हालांकि इस संबंध में विश्वविद्यालय का कहना है कि इस कंपनी की जगह नई कंपनी को काम का टेंडर दे दिया गया है इसलिए इस कंपनी को काम करने से रोक दिया गया.

विश्वविद्यालय में डाटा एनालिसिस का काम कर रही कंपनी के मैनेजर दिलीप कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके साथ 2015 में करार किया था. उनकी कंपनी लगातार विश्वविद्यालय में नामांकन से लेकर परीक्षा और परीक्षाफल प्रकाशित करने का डाटा तैयार कर रहे थी, लेकिन विश्वविद्यालय ने बीच में ही किसी दूसरी कंपनी को काम सौंप दिया और अब उन्हें आधा-अधूरा काम छोड़ कर जाने को कह रहे हैं. उनकी कंपनी फिलहाल कॉपियों की कोडिंग कर रही है और रिजल्ट निकालने की प्रक्रिया चल रही है. इसी बीच में विश्वविद्यालय ने जबरन उन्हें काम से बेदखल कर दिया.

देखें वीडियो

इस मामले में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. मुस्ताक अहमद ने कहा कि पुरानी कंपनी को पिछले कई महीनों से काम छोड़ने को कहा जा रहा था. उनकी जगह नया टेंडर निकालकर विश्वविद्यालय ने नई कंपनी की बहाली भी कर दी है. इसके बावजूद पुरानी कंपनी काम छोड़ने को तैयार नहीं थी. रजिस्ट्रार ने कहा कि कोरोना से उनकी परीक्षाओं के परिणाम पेंडिंग पड़े थे और कंपनी सही ढंग से काम नहीं कर रही थी. इसलिए इस कंपनी को हटाकर दूसरी कंपनी को टेंडर दिया गया, लेकिन ये लोग काम छोड़ने के बजाए टालमटोल कर रहे थे. इसलिए विश्वविद्यालय ने सख्त कदम उठाते हुए अपने डाटा सेंटर में खुद ही ताला जड़ दिया और कंपनी के कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. उन्होंने कहा कि सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में अब पुरानी कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

बता दें कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में निजी कंपनियों से डाटा एनालिसिस, नामांकन और परीक्षा का रिजल्ट बनाने का काम कराया जाता है. इसमें हर साल बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां होती हैं और छात्रों का परीक्षा परिणाम लंबित रह जाता है. इसकी वजह से छात्रों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें- कंगना को अवार्ड देना भारत सरकार की भूल, इसे तुरंत वापस लेना चाहिए: कुशवाहा

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (Lalit Narayan Mithila University) ने नामांकन और परीक्षा का डाटा एनालिसिस कर रिजल्ट बनाने का काम करने वाली एजेंसी को बाहर का रास्ता दिखा दिया. दिल्ली की नेशनल कंप्यूटर को-ऑपरेटिव सोसाइटी (National Computer Co-Operative Society) को इसका टेंडर मिला था. शनिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने डाटा सेंटर में ताला जड़ दिया (Lock the Data Center) और वहां काम कर रहे निजी कंपनी के कर्मियों को बाहर निकाल दिया.

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निजी कंपनी के कर्मियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा डाटा सेंटर में ही ताला जड़े जाने पर कहा कि विश्वविद्यालय ने उनके साथ नामांकन से लेकर रिजल्ट निकालने तक के काम का अनुबंध किया था, लेकिन बीच में ही उन्हें काम से हटा दिया गया. हालांकि इस संबंध में विश्वविद्यालय का कहना है कि इस कंपनी की जगह नई कंपनी को काम का टेंडर दे दिया गया है इसलिए इस कंपनी को काम करने से रोक दिया गया.

विश्वविद्यालय में डाटा एनालिसिस का काम कर रही कंपनी के मैनेजर दिलीप कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके साथ 2015 में करार किया था. उनकी कंपनी लगातार विश्वविद्यालय में नामांकन से लेकर परीक्षा और परीक्षाफल प्रकाशित करने का डाटा तैयार कर रहे थी, लेकिन विश्वविद्यालय ने बीच में ही किसी दूसरी कंपनी को काम सौंप दिया और अब उन्हें आधा-अधूरा काम छोड़ कर जाने को कह रहे हैं. उनकी कंपनी फिलहाल कॉपियों की कोडिंग कर रही है और रिजल्ट निकालने की प्रक्रिया चल रही है. इसी बीच में विश्वविद्यालय ने जबरन उन्हें काम से बेदखल कर दिया.

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इस मामले में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. मुस्ताक अहमद ने कहा कि पुरानी कंपनी को पिछले कई महीनों से काम छोड़ने को कहा जा रहा था. उनकी जगह नया टेंडर निकालकर विश्वविद्यालय ने नई कंपनी की बहाली भी कर दी है. इसके बावजूद पुरानी कंपनी काम छोड़ने को तैयार नहीं थी. रजिस्ट्रार ने कहा कि कोरोना से उनकी परीक्षाओं के परिणाम पेंडिंग पड़े थे और कंपनी सही ढंग से काम नहीं कर रही थी. इसलिए इस कंपनी को हटाकर दूसरी कंपनी को टेंडर दिया गया, लेकिन ये लोग काम छोड़ने के बजाए टालमटोल कर रहे थे. इसलिए विश्वविद्यालय ने सख्त कदम उठाते हुए अपने डाटा सेंटर में खुद ही ताला जड़ दिया और कंपनी के कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. उन्होंने कहा कि सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में अब पुरानी कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

बता दें कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में निजी कंपनियों से डाटा एनालिसिस, नामांकन और परीक्षा का रिजल्ट बनाने का काम कराया जाता है. इसमें हर साल बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां होती हैं और छात्रों का परीक्षा परिणाम लंबित रह जाता है. इसकी वजह से छात्रों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.

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