दरभंगा: कोरोना महामारी की वजह से जारी लॉकडाउन के कारण देश भर में दिहाड़ी मजदूर परेशान हैं. बिहार में मजदूरी करने वाले और दूसरे राज्यों से अपने घर लौटे मजदूरों के सामने रोजगार और भोजन की समस्या है. इस समस्या को दूर करने के लिये जिले के कई जगहों पर किसानों ने अपने कुदाल और टोकरी के साथ सोशल डिस्टेंसिंग मेन्टेन करते हुये प्रदर्शन किया.
अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा और मनरेगा मजदूर सभा के संयुक्त तत्वावधान में मजदूरों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. मजदूरों ने अपने हाथों में तख्तियां लेकर अपने लिये राशन की गारंटी और 10 हजार रुपये भत्ता की मांग की. बहादुरपुर के देकुली गाछी में आयोजित धरना का नेतृत्व खेग्रामस के जिला उपाध्यक्ष मो जमालुद्दीन, प्रखंड अध्यक्ष गणेश महतो व अनिरुद्ध पासवान ने किया.
मजदूरों की मांग
खेग्रामस के जिला उपाध्यक्ष मो. जमालुद्दीन और भाकपा (माले) के राज्य कमिटी सदस्य अभिषेक कुमार ने कहा कि लॉकडाउन ने ग्रामीण गरीबों-मजदूरों को भूखमरी के कगार पर ढकेल दिया है. वहीं मनरेगा मजदूरों से न्यूनतम से भी कम मजदूरी पर सरकार काम ले रही हैं. इस संकट के दौर में भी पॉश मशीन और राशनकार्ड के नाम पर जगह-जगह गरीबों को राशन से वंचित किया जा रहा है. राशन में महज चावल-गेहूं दिया जा रहा है, जबकि भोजन के अन्य जरूरी सामान खरीदने की स्थिति में एक बड़ी आबादी नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी गरीबों-मज़दूरों को तीन महीने का राशन और प्रति परिवार 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता मिलना चाहिए.
मजदूरों में उभर रहा अंसतोष
बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूरों और छोटे कारोबारियों की मदद के लिये मुफ्त राशन समेत कई योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन सरकारी तंत्र की खामियों और बेहद धीमी रफ्तार की वजह से इस वर्ग के बड़े तबके तक ये मदद नहीं पहुंच रही है. इस वजह से मजदूरों को काफी परेशानी हो रही है और उनमें असंतोष उभर रहा है.