दरभंगाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की शिक्षा जिस स्कूल से हुई. वह अब खंडहर में तब्दील हो चुका है. स्कूल का नाम नेशनल स्कूल था. इस नेशनल स्कूल से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर समेत जाने कितनी बड़ी हस्तियों और स्वतंत्रता सेनानियों का जुड़ाव रहा है. नेशनल स्कूल के जिस तीन नंबर कमरे में कर्पूरी ठाकुर रहा करते थे, वह भी ध्वस्त होने के कगार पर है.
महात्मा गांधी की प्रेरणा से हुई थी स्थापना
नेशनल स्कूल की स्थापना 1920 में महात्मा गांधी की प्रेरणा से दरभंगा के लालबाग में हुई थी. 1922 में महात्मा गांधी यहां आए भी थे. इसके संस्थापकों में स्वतंत्रता सेनानी ब्रजकिशोर नारायण, धरणीधर प्रसाद और कमलेश्वरी चरण सिन्हा प्रमुख थे. कर्पूरी ठाकुर को दरभंगा के नेशनल स्कूल में रखने वाले कमलेश्वरी चरण सिन्हा ही थे. इसी नेशनल स्कूल में रहते हुए कर्पूरी ठाकुर आजादी की लड़ाई में शामिल हुए और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के तहत जेल भी गए. कर्पूरी ठाकुर की उच्च शिक्षा भी दरभंगा के सीएम कॉलेज में हुई थी.
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स्कूल से था जननायक को बहद लगाव
नेशनल स्कूल दरभंगा के संस्थापक कमलेश्वरी चरण सिन्हा के पौत्र और वरिष्ठ पत्रकार अमरेश्वरी चरण सिन्हा ने कहा कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का नेशनल स्कूल से बहुत ही गहरा जुड़ाव रहा है. कर्पूरी ठाकुर ने दरभंगा में रहकर पढ़ाई की थी. असहयोग आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में छात्र स्कूल कॉलेज छोड़ रहे थे. ऐसे लोगों की शिक्षा-दीक्षा के लिए पूरे भारत में महात्मा गांधी के आदेश पर नेशनल स्कूलों की स्थापना हुई थी.
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यह भी जानें
- 24 जनवरी 1924 को तत्कालीन दरभंगा और वर्तमान समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम में जननायक का हुआ था जन्म
- कर्पूरी ठाकुर का दरभंगा से था बेहद लगाव
- 1938 तक कर्पूरी ठाकुर दरभंगा के नेशनल स्कूल के तीन नंबर कमरे में रहे थे
- 1920 में महात्मा गांधी की प्रेरणा से दरभंगा के लालबाग में नेशनल स्कूल की हुई थी स्थापना
- 1922 में नेशनल स्कूल पहुंचे थे महात्मा गांधी
1920 में हुई थी स्थापना
1920 में स्थापित दरभंगा का नेशनल स्कूल भारत के पांच प्रमुख नेशनल स्कूलों में से एक था. बाद में यह स्कूल न सिर्फ शिक्षा बल्कि आजादी की लड़ाई और उस समय की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र भी बन गया था. दरभंगा उस समय पूरे उत्तर बिहार में न सिर्फ शिक्षा बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था. इसलिए कर्पूरी ठाकुर ने दरभंगा को चुना था. उन्होंने कहा कि यहां रहकर कर्पूरी ठाकुर को देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने का मौका मिला. वे भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए.
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संरक्षण की है जरूरत
अमरेश्वरी चरण सिन्हा ने कहा कि दरभंगा की इतनी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर नेशनल स्कूल के संरक्षण की जरूरत है. जिस नेशनल स्कूल से महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और ब्रजकिशोर नारायण जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों का संबंध रहा है. वह स्कूल आज खंडहर में तब्दील है. उन्होंने कहा कि लोगों ने इस पर अवैध रूप से कब्जा भी जमा रखा है. कई बार दरभंगा के सामाजिक संगठनों और लोगों ने सरकार को नेशनल स्कूल को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर इसके संरक्षण के लिए आग्रह किया.