दरभंगा: सीएम कॉलेज के संस्कृत विभाग और अम्बलिंकिंग प्रतिष्ठान, राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में बुद्ध पूर्णिमा की पूर्वसंध्या पर ‘बौद्ध शिक्षाएं और कोविड-19’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया. जिसमें भारत के अलावा जापान, हांगकांग, थाईलैंड, वियतनाम और श्रीलंका से बौद्ध धर्म के विद्वानों ने शिरकत की. वेबिनार का आरंभ थाईलैंड के महाचूलांगकरन विश्वविद्यालय के भिक्खु दीपरतन ने त्रिशरण और पंचशील की बुद्ध वंदना से किया. इस वेबिनार का उद्घाटन ललित नारायण मिथिला विवि के रजिस्ट्रार प्रो. मुश्ताक अहमद ने किया.
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अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का किया गया आयोजन
वेबिनार के उद्घाटन के मौके पर रजिस्ट्रार प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि दुनिया के सभी धर्म मानव कल्याण और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए बने हैं. धर्म दिखाने की नहीं, बल्कि मन-मस्तिष्क में रखा जाने वाला है. यह मात्र साहित्य नहीं, बल्कि आचरण में उतारने के लिए है. उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध की समानता, मानवता और करुणापूर्ण शिक्षा के अनुसार संवेदनशील और आदर्श समाज का निर्माण संभव है. वेबिनार में मिथिला स्नातकोत्तर संस्कृत अध्ययन एवं शोध संस्थान के पूर्व पांडुलिपि विभागाध्यक्ष डॉ. मित्रनाथ झा ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं की प्रासंगिकता और मिथिला की सांस्कृतिक पर चर्चा की.
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विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुईं प्राध्यापिका डॉ चामिनि वीरसूरिया
श्रीलंका के अनुराधापुर की प्रसिद्ध चित्रकार और प्राध्यापिका डॉ चामिनि वीरसूरिया ने अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की. उन्होंने कोविड-19 के दौर में तथागत बुद्ध की शिक्षाओं में से पंचनियमों की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया. ये नियम हैं - उतु नियम, धम्म नियम, खम्म नियम, चित्त नियम और बीज नियम. उन्होंने कहा कि संसार में हमारे साथ कोई भी घटना केवल कुशल-अकुशल कर्मों की वजह से ही नहीं होती, बल्कि इन पंचनियमों में से किसी एक के गड़बड़ होने से होता है.
हांगकांग विश्वविद्यालय के प्राध्यापक ने दिया बीज वक्तव्य
हांगकांग विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन केंद्र के प्राध्यापक डॉ. दीपेन बरुआ ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि तथागत बुद्ध की शिक्षाएं सार्वदेशिक और सार्वकालिक है. उनके द्वारा बताए गए करुणा और मैत्री के सिद्धांत इस कोविड -19 के दौर में सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए अत्यावश्यक है. सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य और आपदा राहत प्रयासों के अलावा, मानवीय संगठन विभिन्न चिकित्सा उपकरणों, भोजन, दवाइयों आदि की आपूर्ति करके चल रहे संकट को कम करने में मदद कर रहे हैं. जो करुणा जैसे मूल्यों का मानवीय हृदय में प्रस्फुटन है. उन्होंने कहा कि डफुलनेस मेडिटेशन अभ्यास इस महामारी के दौरान चिंता और तनाव से निपटने में भी हमारी सहायता करता है, क्योंकि अभ्यास के साथ हम अपने-आपको शांत करने और ध्यान केंद्रित करने के लिए मानसिक विराम लेकर दैनिक जीवन में अधिक सकारात्मक सोच सकते हैं.