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दरभंगा में 'अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोध' दिवस मनाया गया, बच्चों को किया गया जागरूक

बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर दरभंगा में बच्चों के बीच कॉपी-पेन और हैंड सैनिटाइजर वितरित किए गए.

बच्चों के बीच कॉपी-पेन और हैंड सैनिटाइजर वितरण
बच्चों के बीच कॉपी-पेन और हैंड सैनिटाइजर वितरण
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Published : Jun 13, 2020, 12:40 PM IST

दरभंगा: जिले में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोध दिवस मनाया गया. इस मौके पर 'बचपन बचाओ आंदोलन' बाल कल्याण समिति, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन और महिला जागृति की ओर से गरीब बच्चों को कोरोना को लेकर जागरूक किया गया. साथ ही शहर के वार्ड संख्या-31 के भीगो नया टोला में गरीब बच्चों के बीच कॉपी-पेन और हैंड सैनिटाइजर वितरित किए गए.

अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोध दिवस के मौके एनजीओ के कार्यकर्ताओं ने बताया कि फिलहाल बाल श्रम पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है. दो दशक पहले तक पूरी दुनिया में बाल मजदूरों की संख्या करीब 26 करोड़ थी. लेकिन दुनिया भर के प्रयासों से अब ये घट कर 15 करोड़ रह गई है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक ने इस पर चिंता जताई थी कि सभी प्रयासों के बावजूद साल 2025 तक करीब 12 करोड़ बाल मजदूर दुनिया में रहेंगे.

'बाल मजदूरी की रोकथाम बेहद मुश्किल होगी'
कार्यकर्ताओं ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में जो आपदा आई है, उसके वजह से बाल मजदूरी की रोकथाम बेहद मुश्किल होगी. ऐसी परिस्थिति में बाल मजदूरी बढ़ने की आशंका है. उन्होंने कहा कि ऐसे में बाल श्रम रोकने की दिशा में काम कर रहे लोगों को ज्यादा सक्रिय रहना होगा. कोरोना से गरीब बच्चों को बचाने के उपाय भी गंभीरतापूर्वक किए जाने चाहिए.

दरभंगा: जिले में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोध दिवस मनाया गया. इस मौके पर 'बचपन बचाओ आंदोलन' बाल कल्याण समिति, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन और महिला जागृति की ओर से गरीब बच्चों को कोरोना को लेकर जागरूक किया गया. साथ ही शहर के वार्ड संख्या-31 के भीगो नया टोला में गरीब बच्चों के बीच कॉपी-पेन और हैंड सैनिटाइजर वितरित किए गए.

अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोध दिवस के मौके एनजीओ के कार्यकर्ताओं ने बताया कि फिलहाल बाल श्रम पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है. दो दशक पहले तक पूरी दुनिया में बाल मजदूरों की संख्या करीब 26 करोड़ थी. लेकिन दुनिया भर के प्रयासों से अब ये घट कर 15 करोड़ रह गई है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक ने इस पर चिंता जताई थी कि सभी प्रयासों के बावजूद साल 2025 तक करीब 12 करोड़ बाल मजदूर दुनिया में रहेंगे.

'बाल मजदूरी की रोकथाम बेहद मुश्किल होगी'
कार्यकर्ताओं ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में जो आपदा आई है, उसके वजह से बाल मजदूरी की रोकथाम बेहद मुश्किल होगी. ऐसी परिस्थिति में बाल मजदूरी बढ़ने की आशंका है. उन्होंने कहा कि ऐसे में बाल श्रम रोकने की दिशा में काम कर रहे लोगों को ज्यादा सक्रिय रहना होगा. कोरोना से गरीब बच्चों को बचाने के उपाय भी गंभीरतापूर्वक किए जाने चाहिए.

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